सुधारों से राहत
सुधार से जुड़ीं पहलों को सभी राज्यों में अपनाया जाना चाहिए तथा यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि योजनाओं पर ठीक से अमल हो.
कोरोना संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत रही है. इस क्रम में सबसे महत्वपूर्ण पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान के रूप में हमारे सामने है. पिछले साल लॉकडाउन और उसके बाद के दौरान महामारी और पाबंदियों के असर से गरीब व निम्न आय वर्ग से लेकर मध्य वर्ग तथा उद्योगों व कारोबारों को राहत देने के लिए कई कार्यक्रम घोषित हुए थे.
देश को आत्मनिर्भर बनाने तथा अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए इस अभियान के तहत अनेक सुधारों की पहल भी हुई थी. इसमें अभी भी नये-नये आयाम जोड़े जा रहे हैं तथा पहले के कल्याण कार्यक्रमों को विस्तार दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक हालिया आलेख में सही ही रेखांकित किया है कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किये गये चार सुधारों ने गरीबों, वंचितों और मध्य वर्ग की बड़ी मदद की है.
कोरोना काल में इन तबकों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है, लेकिन सरकार के राहत उपायों ने जरूरी सहारा मुहैया कराया है. लॉकडाउन में बड़ी संख्या में कामगारों ने अपने गांवों का रूख किया था. जो शहरों में थे, उनकी आमदनी ठप हो गयी थी. इन्हें तात्कालिक सहायता की जरूरत थी. केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ पहल के तहत यह सुनिश्चित किया कि हर कामगार को देश के किसी भी हिस्से में राशन मिले, भले ही उसका राशन कार्ड किसी भी राज्य का हो.
आधार कार्ड के साथ जुड़े होने के साथ किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका भी नहीं रही. जिन 17 राज्यों ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत कार्डों को आधार संख्या से जोड़ने के अभियान को पूरा किया है, वे केंद्र से अतिरिक्त 37,600 करोड़ रुपये उधार ले सके. सरकार कई साल से कारोबार संबंधी जटिलताओं को कम करने में लगी है ताकि कारोबार करना आसान हो सके.
इस पहल में 22 राज्य शामिल हैं. इसके बदले भी उन्हें अतिरिक्त राशि मिली है. इसका सर्वाधिक लाभ छोटे व मझोले कारोबारों को हुआ है. ग्यारह राज्य शहरों में संपत्ति कर, पानी और नाली आदि के शुल्क से जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल बनाने का काम पूरा कर चुके हैं. इससे शहरी गरीबों और मध्य वर्ग को सीधे फायदा मिला है तथा इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने का रास्ता हमवार हुआ है.
इसके एवज में भी राज्यों को अधिक उधार मिला है. विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों के खाते में पैसे पहुंचाने के काम में केंद्र की पहल को 23 राज्यों में व्यापक रूप से अपनाया गया है. एक तो इन उपायों से लोगों को राहत मिली है और दूसरी ओर राज्यों को अधिक राशि हासिल होने से उनके अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सहयोग मिला है. इन पहलों को सभी राज्यों में अपनाया जाना चाहिए तथा यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि योजनाओं पर ठीक से अमल हो. देश को महामारी के चंगुल से निकालकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह आवश्यक है.