सतर्कता ही बचाव
बिना जरूरत घूमना, बाजारों व अन्य सार्वजनिक स्थानों में भीड़भाड़ करना तथा निर्देशों को न मानना खतरनाक साबित हो सकता है.
देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या लगातार घट रही है, लेकिन अब भी हर दिन 39 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं. रविवार को चार सौ से अधिक मौतें हुई हैं. देश के कुछ हिस्सों, खासकर केरल में संक्रमण में बढ़ोतरी से चिंताएं बढ़ी हैं. हालांकि अभी तक टीके की 43 करोड़ से अधिक खुराक दी चुकी है, पर आबादी के बड़े हिस्से का पूर्ण टीकाकरण होने में कुछ और समय लगेगा.
ऐसे में तीसरी लहर की आशंका को गंभीरता से लेने की जरूरत है. एक हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि अगस्त और सितंबर में 28 प्रतिशत भारतीय यात्रा करने की तैयारी कर रहे हैं. इसकी एक वजह यह है कि दूसरी लहर के चलते बड़ी संख्या में लोग गर्मियों में बाहर नहीं निकल सके थे. उसकी भरपाई वे अब करना चाहते हैं. इसके अलावा त्योहारों का मौसम भी आ रहा है. कुछ दिनों पहले देशभर ने देखा कि दूसरी लहर के दौरान लगायी गयी पाबंदियों में छूट मिलने के साथ ही पहाड़ी इलाकों में पर्यटकों की भीड़ लग गयी थी और कोरोना संक्रमण से बचाव के जरूरी उपायों- मास्क लगाने, परस्पर दूरी बरतने, भीड़ नहीं करने, सैनिटाइजर इस्तेमाल करने आदि को अपनाने में लापरवाही बरती जा रही थी.
मीडिया में खबरें आने के बाद प्रशासन ने मुस्तैदी दिखायी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसे व्यवहार पर चिंता जतायी थी. दिल्ली और कुछ शहरों में निर्देशों का उल्लंघन होने के कारण बाजारों को बंद करने की नौबत आ गयी थी. विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि तीसरी लहर से बचने और उसके असर को काबू में रखने के लिए हमारे पास निर्देशों के पालन के अलावा और कोई चारा नहीं है. भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के रूपों में बदलाव हो रहा है.
यह कह पाना मुश्किल है कि कब कौन वायरस दूसरी लहर की तरह महामारी को एक बार फिर आक्रामक बना दे. ध्यान रहे, बच्चों के तीसरी लहर की चपेट में आने का डर है. उनके लिए टीके की उपलब्धता में अभी समय लगेगा. ऐसे में बिना जरूरत घूमना, यात्रा करना, बाजारों व अन्य सार्वजनिक स्थानों में भीड़भाड़ करना तथा मास्क पहनने जैसे निर्देशों को न मानना हम सभी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
सर्वेक्षण में यह भी इंगित हुआ है कि यात्रा की योजना बना रहे आधे से अधिक लोग परिजनों व मित्रों के यहां जाना चाहते हैं. यदि ऐसी यात्राएं बहुत जरूरी न हों और सावधानी से न की जाएं, तो लोग अपने और अपने निकटवर्ती लोगों की जान ही मुसीबत में डालेंगे. जान है, तो जहान है. कुछ समय तक संयम रखना हमारे भविष्य को सुरक्षित कर सकता है. कुछ महीनों में आबादी के बड़े हिस्से को टीका लग जाने की उम्मीद है. उसके बाद हम कामकाज के साथ बिना भय के घूमने-फिरने भी जा सकेंगे. अभी कोई लापरवाही ठीक नहीं है.