राहत और सुधार

सान्याल की बात से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कुछ समय तक सरकारी मदद और राहत की जरूरत बनी रहेगी.

By संपादकीय | July 14, 2021 1:52 PM

कोरोना महामारी की दो लहरों से त्रस्त अर्थव्यवस्था को गतिशील करना सरकार की प्रमुख चुनौतियों में है. इस प्रयास में विभिन्न क्षेत्रों के लिए अनेक चरणों में राहत पैकेज दिये गये हैं तथा कई कल्याण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने भरोसा दिलाया है कि सरकार की ओर से कारोबारों और लोगों को आगे भी आर्थिक राहत दी जायेगी.

इस संबंध में स्थिति कुछ सप्ताह बाद ही स्पष्ट हो सकेगी और तब तक महामारी की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के बारे में भी ठीक से जानकारी मिल चुकी होगी. सान्याल ने रेखांकित किया है कि दूसरी लहर की भयावह आक्रामकता की वजह से फरवरी में आये बजट के प्रावधानों को अभी तक लागू नहीं किया जा सका हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि मंत्री परिषद में व्यापक फेर-बदल और बड़ी संख्या में नये मंत्रियों की आमद के बाद सरकार आर्थिक समेत विभिन्न नीतियों को अमली जामा पहनाने के लिए तैयार है.

अभी भी बड़ी तादाद में संक्रमण के मामले आ रहे हैं तथा तीसरी लहर आने की आशंका भी जतायी जा रही है. टीकाकरण अभियान की गति बढ़ाने की भी आवश्यकता है. पर, यह बड़े संतोष की बात है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य में निवेशकों का भरोसा बना हुआ है तथा निर्यात में भारी बढ़ोतरी का रुख है. ऐसे में यह संभावना अधिक है कि जल्दी ही आर्थिक वृद्धि की दर समुचित स्तर पर पहुंच जायेगी. उस स्थिति में मुद्रास्फीति और बढ़ने की आशंका है. सान्याल ने यह भी कहा है कि आर्थिक वृद्धि के बावजूद उपभोग में कमी आने की चुनौती की भी संभावना है.

अगर ऐसा होता है, तब फिर अर्थव्यवस्था को सरकार के सहारे की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने एक अन्य संभावित स्थिति की ओर संकेत किया है कि सामान्यत: संतोषजनक दौर में अर्थव्यवस्था के पहुंचने के बावजूद कुछ क्षेत्र कमजोर बने रह सकते हैं, जिन्हें राहत की दरकार होगी. सान्याल की बात से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कुछ समय तक सरकारी मदद और राहत की जरूरत बनी रहेगी. सरकार ने भी लगातार आश्वासन दिया है कि वह इसे पूरा करने के लिए तैयार है.

मुख्य आर्थिक सलाहकार का बयान भी उसी क्रम में है. सान्याल ने सही ही जोर दिया है कि हमें भविष्यवाणियों और संभावनाओं के अनुमानों पर ध्यान न देकर ठोस आर्थिक व वित्तीय आंकड़ों का संज्ञान लेना चाहिए. वास्तविक आंकड़ों के अध्ययन से ही यह स्पष्ट हो सकता है किन क्षेत्रों में बेहतरी हो रही है और राहत उपायों का क्या असर हो रहा है. इससे कमजोर क्षेत्रों के लिए प्रभावी पहल करने में आसानी होगी. सान्याल ने वर्तमान स्थिति में आवश्यक आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने और कुछ बड़े सरकारी उपक्रमों के योजनाबद्ध निजीकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया है. निश्चित ही यह चुनौतीपूर्ण दौर है, पर सुधारों के सिलसिले का बाधित होना आर्थिक विकास के लिए उचित नहीं होगा.

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