तीव्र वृद्धि दर
अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे ही सही, पर सधे कदमों से बढ़ोतरी की ओर अग्रसर है तथा एक-दो साल के भीतर इसके महामारी के पहले की स्थिति में आने की संभावना बेहद मजबूत है.
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पादन की वृद्धि दर 18.5 प्रतिशत के आसपास रह सकती है. भारतीय स्टेट बैंक की शोध रिपोर्ट में यह अनुमान लगाते हुए कहा गया है कि चार हजार से अधिक कंपनियों ने इस अवधि में 28.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है. चूंकि यह बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2021) से कम है, इसलिए स्टेट बैंक का आकलन भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान 21.4 प्रतिशत से कम है.
लेकिन इस महत्वपूर्ण तथ्य का संज्ञान लिया जाना चाहिए कि अप्रैल से जून के बीच ही भारत को कोरोना महामारी की भयावह दूसरी लहर का सामना करना पड़ा था और ऐसा लगने लगा था कि अर्थव्यवस्था पिछले वित्त वर्ष की दो तिमाहियों की तरह मंदी की चपेट में आ सकती है. यह वृद्धि दर न केवल संतोषजनक है, बल्कि आगे के लिए भी उत्साहवर्द्धक है.
महामारी की पहली लहर के अनुभवों से सीख लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने दूसरी लहर में समझदारी के साथ पाबंदियों को लागू किया था. उद्योग और कारोबार जगत ने भी आर्थिक गतिविधियों को कमोबेश जारी रखा. इसके परिणामस्वरूप पहली तिमाही में अपेक्षा से कहीं अधिक राजस्व संग्रहण हुआ, जो पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक है. अप्रैल से जून के बीच बजट के सालाना लक्ष्य के 28 प्रतिशत राजस्व की वसूली की उम्मीद है.
निश्चित रूप से यह व्यक्तिगत और कॉरपोरेट कमाई में बढ़त का सूचक है. उल्लेखनीय है कि महामारी के पहले के तीन वर्षों में पहली तिमाही में बजट लक्ष्य का 14 प्रतिशत राजस्व सरकार के पास आ पाता था. अर्थव्यवस्था के प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में भी बढ़ोतरी हो रही है. उड़ान सेवाओं में भी अच्छी वृद्धि के संकेत हैं. बाजारों और मनोरंजन से जुड़ी जगहों में भी पाबंदियों में ढील के साथ लोगों का आना-जाना बढ़ रहा है. इन कारकों से इंगित होता है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे ही सही, पर सधे कदमों से बढ़ोतरी की ओर अग्रसर है.
पिछले साल भारी गिरावट से त्रस्त आर्थिक गतिविधियों को संभालने और उन्हें आगे ले जाने के लिए सरकार ने लगातार राहत पैकेजों की घोषणा की थी तथा लोगों एवं व्यवसायों को कर्ज देने व पूंजी जुटाने में सहूलियत दी गयी थी. गरीबों और निम्न आयवर्ग के कल्याण की विशेष योजनाएं अभी भी जारी हैं.
इसके अलावा, महामारी की रोकथाम के अन्य उपायों तथा तीसरी लहर को रोकने के प्रयासों के साथ टीकाकरण अभियान भी जारी है. इन सब पहलों ने अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा बहाल करने तथा विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए बड़ा आधार मुहैया कराया है. अब यह भी उम्मीद की जा सकती है कि आर्थिक वृद्धि से घरेलू मांग भी तेजी से बढ़ेगी तथा निर्यात भी अधिक हो सकेगा. निवेशकों का भी भरोसा बना हुआ है. ऐसे में एक-दो साल के भीतर अर्थव्यवस्था के महामारी के पहले की स्थिति में आने की संभावना बेहद मजबूत है.