कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर से आर्थिक सुधारों को तगड़ा झटका लगा है. आर्थिकी फिर से अनिश्चितता के संकट में है. कोविड प्रभावित क्षेत्रों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से नये उपायों की घोषणा की गयी है. पर्यटन से लेकर छोटे उद्यमों को राहत देने के साथ-साथ निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र में स्वास्थ्य अवसंरचना को बढ़ावा देने के उपाय किये जा रहे हैं. हालांकि, वित्तमंत्री की घोषणा में मौजूदा राहत उपायों के विस्तार पर ही अधिक फोकस किया गया है.
इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना के आकार को बढ़ाते हुए तीन लाख करोड़ से 4.5 लाख करोड़ रुपये किया गया है. इसी व्यवस्था के तहत 1.1 लाख करोड़ के अतिरिक्त ऋण की योजना है. इसमें स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को 50,000 करोड़ दिये जायेंगे. कोविड से बुरी तरह प्रभावित पर्यटन क्षेत्र को 60,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया जायेगा. विदेशी पर्यटकों के लिए मुफ्त वीजा प्रवेश देने जैसी घोषणाएं आशाजनक हैं.
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की अवधि 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दी गयी है. स्पष्ट है कि करों में कटौती या बड़े कारोबारों को समर्थन देने जैसे बड़े राहत उपायों के बजाय सरकार छोटे उद्यमों को धन मुहैया कराने और दीर्घावधि सुधार उपायों पर फोकस कर रही है. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति समेत कई संस्थाएं भारत सरकार से राजकोषीय समर्थन बढ़ाने की मांग कर चुके हैं. वित्तमंत्री द्वारा घोषित 6.28 लाख करोड़ रुपये पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इसमें बड़ा हिस्सा सुधार उपायों पर केंद्रित है, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक विस्तारित है.
साथ ही बड़ा हिस्सा मौजूदा योजनाओं में प्रक्रियात्मक बदलाव और पूर्व में घोषित उपायों से जुड़ा है. राहत उपायों को सामूहिकता में देखें, तो मौजूदा अनिश्चितताओं को दूर करने और खपत को बढ़ावा देने के लिए यह पर्याप्त नहीं है. सरकार की नीतियों को कारगर बनाने का बड़ा भार बैंकों पर है. इसी सोच के साथ 2.67 लाख करोड़ के नये पैकेज से उम्मीद की जा रही है कि गारंटी समर्थन से बैंक कोविड प्रभावित कारोबार को कर्ज मुहैया करायेंगे.
गारंटी का मकसद बैंकों के जोखिम को कम करना है. हालांकि, हालिया आंकड़ों को देखें तो बैंकों के ऋण देने में बढ़ोतरी, जमा वृद्धि के मुकाबले कम ही रही है. मौजूदा राहत उपायों से उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधियों, उत्पादन, निर्यात में कुछ तेजी आयेगी, साथ ही रोजगार की दिशा में सकारात्मक प्रगति दिखेगी.
नकदी हस्तांतरण से शहरी गरीबों को तात्कालिक तौर पर सहयोग की जरूरत है. आधारिक संरचना परियोजनाओं को राजकोषीय सहयोग के माध्यम से क्रियान्वयन करने पर खर्च में बढ़ोतरी के रूप राहत पहुंचेगी. रोजगार और कुल मांग में भी इससे सकारात्मक असर दिखेगा. सुधार की दिशा में गति को तेज करने के लिए टीकाकरण को अधिकतम गति पर ले जाने की जरूरत है, क्योंकि सामान्य परिस्थिति होने पर ही पर्यटन समेत अनेक क्षेत्रों में सुधार होता दिखेगा.