करदाताओं को सम्मान
निरंतर विकास को देखते हुए यह स्वीकार कर पाना कठिन है कि देश में केवल डेढ़ करोड़ लोग ही ऐसे हैं, जिन्हें आयकर देना चाहिए.
वित्त मंत्री निर्मला सीता सीतारमण ने कहा है कि ईमानदारी से आयकर देनेवाले लोगों को आदर दिया जाना चाहिए क्योंकि वे देश की प्रगति में अपना योगदान कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि 1.30 अरब से अधिक की आबादी के हमारे देश में 2020 में आयकर देनेवालों की संख्या लगभग 1.46 करोड़ ही थी. इनमें से 46 लाख लोगों ने ही अपनी आमदनी 10 लाख रुपये सालाना से अधिक बतायी थी. पिछले वित्त वर्ष में जनवरी के मध्य तक लगभग 5.95 करोड़ लोगों ने अपनी आय का ब्यौरा दिया था.
यह संख्या 2019-20 की तुलना में करीब पांच फीसदी ज्यादा है. इन लगभग छह करोड़ में से अधिकतर लोगों को विभिन्न छूटों की वजह से आयकर नहीं देना होता है. आयकर जैसे प्रत्यक्ष कर सरकारी राजस्व में अहम भूमिका निभाते हैं. जो लोग आयकर की सीमा में आते हैं, उनसे यह अपेक्षा रहती है कि वे सही जानकारी देंगे और उसके मुताबिक कर चुकायेंगे. यह सच है कि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा गरीब और निम्न आय वर्ग में है, लेकिन यह भी सच है कि बहुत से लोग कर देने से बचने के लिए या तो ठीक से ब्यौरा नहीं देते या फिर आय के स्रोत के रूप में ऐसे व्यवसायों का उल्लेख करते हैं,
जो कराधान के दायरे से बाहर हैं. बीते डेढ़ साल के महामारी के दौर में जहां आमदनी में कमी आयी है, वहीं राजस्व संग्रहण भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में जिन लोगों ने आय के अनुसार समुचित कर दिया है, उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए. कोरोना काल को छोड़ दें, तो आर्थिक मोर्चे पर विभिन्न चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में प्रगति होती रही है. निरंतर विकास को देखते हुए यह स्वीकार कर पाना कठिन है कि देश में केवल डेढ़ करोड़ लोग ही ऐसे हैं, जिन्हें आयकर देना चाहिए.
आय छुपाने और कर चुराने की प्रवृत्ति किस कदर हावी है, इसका अनुमान अक्सर पड़नेवाले आयकर छापों से लगाया जा सकता है. बीते डेढ़ दशक से अधिक अवधि में करदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी 22 प्रतिशत के आसपास ही रही है. इसके बावजूद वर्तमान संख्या बहुत कम है. इस संदर्भ में एक बड़ी विसंगति यह है कि वेतन पानेवाले करदाता गैर-वेतन आयवाले लोगों की तुलना में तीन गुना से अधिक कर चुकाते हैं.
उनके पास अपनी आमदनी को छुपाने का कोई रास्ता भी नहीं होता. यह भी उल्लेखनीय है कि कुल कर राजस्व संग्रहण का 60 प्रतिशत हिस्सा मात्र चार प्रतिशत करदाता देते हैं. कुछ वर्षों से केंद्र सरकार ब्यौरा और कर देने की प्रक्रिया में लगातार सुधार को प्राथमिकता दे रही है. डिजिटल तकनीक पर आधारित सुविधाओं के बढ़ने से अब करदाताओं को कर चुकाने, अधिक राशि को वापस लेने या शिकायतों का निवारण करने के लिए आयकर कार्यालयों का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है. इससे पारदर्शिता भी बढ़ी है. ऐसे में लोगों को कर देने में उत्साह दिखाना चाहिए.