देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में संतोषजनक कमी को देखते हुए पाबंदियों में छूट देने का सिलसिला शुरू हो गया है. सोमवार को संक्रमण के नये मामलों की संख्या 86.5 हजार के आसपास रही, जो बीते 66 दिनों में सबसे कम है. पिछले 63 दिनों में पहली बार यह संख्या एक लाख के नीचे आयी है. इससे स्पष्ट है कि महामारी की रोकथाम की कोशिशें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं. लेकिन अभी भी हम बचाव के उपायों पर अमल करने में किसी तरह की लापरवाही नहीं कर सकते हैं.
सभी वयस्कों को निशुल्क टीका मुहैया कराने की महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर एक बार देश को आगाह किया है कि रूप बदलनेवाला अदृश्य वायरस अभी भी मौजूद है और इस दुश्मन से लड़ने के लिए हमें मास्क पहनने, हाथ की साफ-सफाई और शारीरिक दूरी बरतने की आदत को बरकरार रखना है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि महामारी की पहली लहर के बाद जब संक्रमण की गति थम-सी गयी थी,
तो बहुत-से लोगों ने दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया था. पाबंदियों से मिली छूट का गलत फायदा उठाते हुए बाजारों और आयोजनों में भीड़ जुटने लगी थी तथा मास्क पहनने से बहुत सारे लोग परहेज करने लगे थे. उस लापरवाही का नतीजा भयावह दूसरी लहर के रूप में हमारे सामने आया. अब जब दूसरी लहर की रफ्तार कुछ थम रही है, तो तीसरी लहर की आशंका भी मंडराने लगी है. यदि हमने वायरस के प्रसार को रोक दिया, तो तीसरी लहर से भी बच जायेंगे. प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के बाद टीकाकरण अभियान तेज होने की उम्मीद है.
अब टीकों की खरीद केंद्र सरकार करेगी और उसे राज्यों में वितरित किया जायेगा. इस प्रक्रिया में राज्य सरकारें टीकों की खुराक लोगों तक पहुंचाने पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर सकती हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही जानकारी दी है कि जून में 12 करोड़ खुराक उपलब्ध होंगे. अगले कुछ महीनों में टीकों की आपूर्ति में बहुत बढ़ोतरी होगी. टीकाकरण ही कोरोना महामारी से बचाव का एकमात्र स्थायी उपाय है. इस संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी का भी गंभीरता से संज्ञान लिया जाना चाहिए.
संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस घेबरेयेसस ने कहा है कि बहुत जल्दी पाबंदियों को हटाना उन लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है. वायरस के कुछ रूप अपेक्षाकृत अधिक संक्रामक हैं. यह बड़े राहत की बात है कि भारत में उपलब्ध टीके हर तरह के वायरसों का मुकाबला करने में सक्षम हैं. इसलिए टीकों के बारे में फैली अफवाहों और बेबुनियाद आशंकाओं को दरकिनार करते हुए हमें स्वयं भी टीका लेना चाहिए और अपने परिजनों व पड़ोसियों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए. चूंकि हर किसी तक टीका पहुंचने में देरी होगी, इसलिए फिलहाल हमें संबंधित नियमों व निर्देशों का हरसंभव पालन करना चाहिए. ध्यान रहे- सावधानी हटी, दुर्घटना घटी.