भारत में ड्रोन सेक्टर की संभावनाएं
ड्रोन क्षेत्र एक आकर्षक व्यवसाय के तौर पर उभर रहा है, जिसमें पर्याप्त रोजगार के अवसरों के साथ कई अन्य उद्योगों को विकसित करने की क्षमता है.
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट प्रस्तुत करते हुए अपने भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ड्रोन शक्ति योजना का विवरण भी पेश किया था. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अब ड्रोन सिर्फ रक्षा क्षेत्र में उपयोग होनेवाले उपकरण भर नहीं रहे हैं, बल्कि बहुद्देश्यीय उपकरण के तौर पर उभर रहे हैं. इनका उपयोग शासन, खेती, रसद जैसे कई क्षेत्रों के लिए किया जा सकता है तथा दुनिया के कई हिस्सों में ऐसा किया भी जा रहा है.
वित्त मंत्री ने बजट में कृषि क्षेत्र में ड्रोन के व्यापक उपयोग का प्रस्ताव रखा, जिसमें कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव शामिल है. प्रस्तावित ‘ड्रोन ऐज ए सर्विस’ मॉडल से नये व्यवसाय और रोजगार के अवसर विकसित होंगे.
ड्रोन शक्ति योजना के तहत स्टार्टअप उद्यमों को विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है. साथ ही, देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के चुनिंदा आईटीआई पाठ्यक्रमों में ड्रोन से संबंधित शिक्षण-प्रशिक्षण को शामिल करने से ड्रोन-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी.
हालांकि ड्रोन पिछले दो दशकों से मौजूद हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्ष मानव रहित हवाई वाहनों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं. हम इन्हें फ्लाइंग मिनी रोबोट या पायलट विहीन लघु विमान कह सकते हैं. ड्रोन की प्रमुख गतिविधियां उड़ानों की पायलटिंग और संचालन, डेटा विश्लेषण और डेटा प्रसंस्करण हैं.
ड्रोन आईओटी तकनीक का उपयोग कर बनाये जाते हैं, जिसमें एक नियंत्रक शामिल होता है, जहां से लॉन्च, नेविगेशन और लैंडिंग गतिविधियों को या तो रिमोट कंट्रोल या मोबाइल इत्यादि की मदद से नियंत्रित किया जाता है. जमीन पर बैठे नियंत्रक ड्रोन की वाई-फाई जैसी रेडियो तरंगों के साथ संवाद करते हैं.
किसी भी अन्य सक्रिय डिवाइस की तरह ड्रोन को भी बैटरी या ईंधन जैसे ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता होती है. ड्रोन प्रोपेलर, रोटर और एक फ्रेम से लैस होता है. ड्रोन मिश्रित और हल्के पदार्थों से बने होते हैं, ताकि उनका वजन कम रहे और उनकी परिवहन क्षमता बेहतर हो सके.
जटिल गतिविधियों में प्रभावी तरीके से भागीदारी कर ड्रोन व्यवसायों अथवा सरकार को लाभ पहुंचाते हैं. ड्रोन बहुत कम या बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के साथ न्यूनतम आवश्यक प्रयास, समय और ऊर्जा के भीतर दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंच सकते हैं. इसी का नतीजा है कि ड्रोन को दुनियाभर में बहुत तेजी से अपनाया जा रहा है, विशेष रूप से सैन्य, वाणिज्यिक, व्यक्तिगत और भविष्य की प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में.
हाल ही में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दूरदराज के क्षेत्रों में टीकों की आपूर्ति के लिए ड्रोन तकनीक के उपयोग के लिए तेलंगाना राज्य सरकार की एक परियोजना को मंजूरी दी है. इसके तहत ड्रोन सिर्फ खेतों में समान रूप से कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव और फसलों की निगरानी ही नहीं करेंगे, बल्कि किसानों की अन्य चुनौतियों की प्रभावी तौर पर पहचान भी करेंगे.
सरकार द्वारा शुरू की गयी ‘स्वामित्व’ योजना ने लाखों गांवों के निवासियों को संपत्ति कार्ड प्रदान किया है. ड्रोन का उपयोग अग्नि सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बाढ़ राहत जैसी आपातकालीन सेवाओं के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, जहां मानवीय हस्तक्षेप जोखिम भरा हो सकता है. उदाहरण के रूप में, अभी हाल ही में बिहार में पुलिस ने शराबबंदी कानून को लागू करने के लिए ड्रोन का उपयोग करना शुरू कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि ड्रोन के अनुचित उपयोग से भारी सामरिक नुकसान भी हो सकता है. ड्रोन पारंपरिक हथियारों की तुलना में सस्ते हैं, लेकिन फिर भी बेहतर पहुंच के साथ विनाशकारी हो सकते हैं. इसी कारण से ड्रोन हमलों की संख्या बढ़ रही है. हमारे देश ने पिछले साल जम्मू हवाई अड्डे पर एक ड्रोन हमले का सामना किया था.
नतीजतन, डीआरडीओ ने एक एंटी-ड्रोन प्रणाली विकसित की है और दूसरी प्रणाली पर काम चल रहा है. एंटी-ड्रोन सिस्टम में सॉफ्ट किल और हार्ड किल विकल्प उपलब्ध हैं. सॉफ्ट किल ऑप्शन ड्रोन को जाम करता है तथा हार्ड-किल ऑप्शन लेजर तकनीक, दूसरे ड्रोन या मिसाइल की मदद से ड्रोन को मारता है. ड्रोन के विनाशकारी उपयोग को रोकने के लिए सरकार को सख्त नियम-कानून बनाने चाहिए. रक्षा ड्रोन का खरीद-बिक्री किसी भी परिस्थिति में गैर-रक्षा उद्देश्यों के लिए नहीं होनी चाहिए.
एक आयरिश कंपनी मन्ना ने पिछले साल अपनी ड्रोन डिलीवरी सेवाएं शुरू की थीं. उनके मुताबिक ड्रोन डिलीवरी कार आधारित डिलिवरी की तुलना में 90 फीसदी सस्ती है. निश्चित तौर पर ड्रोन उद्योग में अप्रतिम संभावनाएं हैं क्योंकि ड्रोन सेवा बाजार 2021 के हालिया बाजार मूल्य 13.9 अरब डॉलर के 2026 में 40.7 अरब डॉलर तक हो जाने की उम्मीद है.
देश में ड्रोन सेक्टर के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ड्रोन और इसके कच्चे माल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. कोरोना काल के दौरान लगे लॉकडाउन से भी ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा मिला. कई सरकारी संगठनों ने भी मानवरहित होने के कारण ड्रोन का उपयोग किया. ई-कॉमर्स की कई प्रमुख कंपनियों ने पहले ही अपनी ड्रोन डिलीवरी सेवाएं शुरू कर दी हैं. ड्रोन क्षेत्र एक आकर्षक व्यवसाय के तौर पर उभर रहा है, जिसमें पर्याप्त रोजगार के अवसरों के साथ कई अन्य उद्योगों को विकसित करने की क्षमता है.