स्टार्टअप के लिए अनुकूल समय
वर्ष 2021 का हर तेरहवां यूनिकॉर्न भारतीय था. हर आठ दिन पर हमारे देश में एक स्टार्टअप यूनिकॉर्न बना. उम्मीद है नया वर्ष और भी बेहतर होगा. अभी 80 से ज्यादा स्टार्टअप यूनिकॉर्न बनने की दौड़ में शामिल हैं.
वर्ष 2021 में कोरोना की दूसरी लहर ने बड़ी तबाही मचायी थी, जिससे महीनों तक आम जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा. लेकिन, महामारी के बीच भारतीय स्टार्टअप के लिए बीता वर्ष काफी शानदार रहा. भारतीय स्टार्टअप में वर्ष के मध्य तक वैश्विक निवेशकों की रुचि बढ़ने लगी, जो वर्षांत तक चलती रही. बीते वर्ष में भारतीय स्टार्टअप में 42 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश हुआ, जो वर्ष 2020 के कुल 11.5 अरब डॉलर के निवेश की तुलना में काफी अधिक है.
प्रमुख डेटा और विश्लेषण कंपनी ‘ग्लोबल डेटा’ के मुताबिक 2021 में भारत पूंजी निवेश के मामले में पूरे विश्व में तीसरे और एशिया-प्रशांत के देशों में चीन के बाद दूसरे नंबर पर रहा. हमारे देश का स्टार्टअप तंत्र 60000 से अधिक स्टार्टअप के साथ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप तंत्र हो गया है. ये सिर्फ नयी तकनीक और साधन ही नहीं, अच्छी संख्या में रोजगार भी सृजित कर रहे हैं.
ऑरिओस वेंचर पार्टनर्स द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश के अब तक के कुल 90 यूनिकॉर्न में से आधे से अधिक 46 बीते वर्ष यानी 2021 में ही यूनिकॉर्न बने. उद्यम पूंजी (वेंचर कैपिटल) की भाषा में स्टार्टअप यूनिकॉर्न वैसी कंपनियों को कहा जाता है, जिनका बाजार मूल्यांकन एक अरब डॉलर से ज्यादा हो जाता है. हमारे देश की चार कंपनियां फ्लिपकार्ट, पेटीएम, बायजुस और ओयोरूम्स डेकाकॉर्न क्लब में भी शामिल हो चुकी हैं.
डेकाकॉर्न वैसी कंपनियों को कहा जाता है, जिनका बाजार मूल्यांकन 10 अरब डॉलर से ज्यादा का होता है. मेंसा ब्रांड्स ने सिर्फ छह महीने के अंदर यूनिकॉर्न बनकर, देश में सबसे कम समय में यूनिकॉर्न बनने का रिकॉर्ड बनाया है. आंकड़ों के अनुसार 80 से अधिक सूनिकॉर्न में से 40 प्रतिशत वर्ष 2021 में ही बने. सूनिकोर्न वैसे स्टार्टअप को कहा जाता है, जिसमें जल्दी ही यूनिकॉर्न बनने की क्षमता होती है.
सालभर फिनटेक और ई-कॉमर्स क्षेत्र के स्टार्टअप में यूनिकॉर्न बनने की होड़ लगी रही, साथ ही हेल्थकेयर, क्रिप्टो, सोशल कॉमर्स और प्रॉपटेक इत्यादि क्षेत्रों को देश का पहला स्टार्टअप यूनिकॉर्न भी मिला. कुल 250 से अधिक निवेश के साथ फिनटेक क्षेत्र निवेशकों का प्रमुख पसंद रहा. इस क्षेत्र से वर्ष 2021 में सबसे ज्यादा कुल 12 यूनिकॉर्न भी निकले. फिनटेक क्षेत्र के यूनिकॉर्न में डिजिट इंश्योरेंस, एक्को इंश्योरेंस, ग्रो, क्रेड इत्यादि प्रमुख रहे.
वर्ष 2021 ई-कॉमर्स से जुड़े स्टार्टअप के लिए भी अद्भुत रहा, फ्लिपकार्ट में 3.6 बिलियन डॉलर का निवेश, वर्ष का सबसे बड़ा निवेश रहा. ई-कॉमर्स क्षेत्र से कुल 10 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुए, जिनमें मीशो, मोगलिक्स, लिसियस इत्यादि प्रमुख रहे. हेल्थटेक, उद्यम तकनीक, उपभोक्ता सेवा और एडटेक के स्टार्टअप ने भी कई निवेशकों को आकर्षित किया.
देश के स्टार्टअप हब की बात करें, तो भारत की सिलिकॉन वैली कहे जानेवाले बेंगलुरु शहर से सबसे ज्यादा 18 यूनिकॉर्न निकले. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 14 यूनिकॉर्न के साथ दूसरे और भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई आठ यूनिकॉर्न के साथ तीसरे नंबर पर रही.
वर्ष 2021 कई स्टार्टअप के भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के कारण उल्लेखनीय रहा. पेटीएम का लगभग 2.5 अरब डॉलर मूल्य का आइपीओ देश का अब तक का सबसे बड़ा आइपीओ रहा. लेकिन, बाजार पूंजीकरण मामले में 14.8 अरब डॉलर के मूल्यांकन के साथ जोमाटो शीर्ष सूचीबद्ध स्टार्टअप रहा. विगत वर्ष के सकारात्मक नतीजों के परिणामस्वरूप एलआइसी और मोबिक्विक जैसी कई बड़ी कंपनियां वर्ष 2022 में आइपीओ की कतार में खड़ी हैं.
नाइका, जोमाटो, पॉलिसी बाजार आदि के सफल आइपीओ से प्रमाणित होता है कि भारत की खुली अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप को आगे बढ़ कर परिपक्व होने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता है. इसीलिए, टाइगर ग्लोबल सेकविआ कैपिटल और सॉफ्ट बैंक जैसे कई प्रसिद्ध निवेशक भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में गंभीर रुचि लेने लगे हैं. प्रतिस्पर्धी देशों की बात करें तो चीन में पिछले वर्ष के 73 बिलियन डॉलर की अपेक्षा सिर्फ 54.5 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ, जबकि हमारे देश में निवेश पिछले वर्ष की अपेक्षा लगभग तीन गुना बढ़ा है.
निश्चित तौर पर भारतीय स्टार्टअप तंत्र निवेशकों को ज्यादा आकर्षक लगने लगा है. देश में वैश्विक प्रतिभा की भरमार और सहज उपलब्धता है. अधिकांश सफल स्टार्टअप के संस्थापकों के पास उनके कार्यक्षेत्र का उत्कृष्ट अनुभव है, जिसका उपयोग वे अपनी संस्था को आगे ले जाने में करते हैं. भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल, सस्ते इंटरनेट की उपलब्धता, उद्यमियों की अभिनव सोच और क्षमता से भारतीय स्टार्टअप ने सफलता के नये आयाम को छुआ है.
भारतीय स्टार्टअप तंत्र धीरे-धीरे परिपक्व हो रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिल रहा है. विगत वर्ष की पहली तिमाही में घोर आर्थिक मंदी के बावजूद, भारतीय स्टार्टअप तंत्र ने अर्थव्यवस्था को ना सिर्फ सुदृढ़ बनाये रखा, बल्कि सफलता के नये आयाम भी गढ़ दिये. एक दशक पहले तक एक अरब डॉलर का निवेश बड़ी बात थी, साल 2021 का हर तेरहवां यूनिकॉर्न भारतीय था. हर आठ दिन पर हमारे देश में एक स्टार्टअप यूनिकॉर्न बना. उम्मीद है नया वर्ष और भी बेहतर होगा. अभी 80 से ज्यादा स्टार्टअप यूनिकॉर्न बनने की दौड़ में शामिल हैं. स्टार्टअप में निवेश से उद्यम और रोजगार के विविध अवसर पैदा होंगे, साथ ही अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी. हमारा देश सिर्फ विविधताओं का ही नहीं, आकर्षक अवसरों वाला देश भी है, आवश्यकता है- अनवरत और अभिनव प्रयासों की. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)