26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता

बजट का मुख्य फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है. प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत आवागमन के सभी प्रकारों के विस्तार की घोषणा की गयी है.

वित्तवर्ष 2022-23 का प्रस्तुत बजट अच्छा है. यह बजट सुधारों की निरंतरता को इंगित कर रहा है. कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को बचाने और गतिशील रखने के लिए जो उपाय पहले किये गये हैं, यह बजट उन्हीं पर जोर दे रहा है तथा इसमें विभिन्न योजनाओं का दायरा भी बढ़ाया गया है. इस बजट का मुख्य फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है. प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत आवागमन के सभी प्रकारों- सड़क, रेल, बंदरगाह आदि- के विस्तार की घोषणा की गयी है.

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकारों के लिए एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यदि राज्य सरकारें इस योजना के तहत कनेक्टिविटी बढ़ाने की योजनाएं लायेंगी, तो उन्हें इस प्रावधान से धन आवंटित किया जायेगा. बहुत सारी सड़कें, ओवरब्रिज, मेट्रो आदि का निर्माण कार्य राज्य सरकारों के अंतर्गत आता है. कई बार संसाधनों के अभाव और क्षमता में कमी के कारण राज्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं. इस आवंटन से उन्हें इनसे जुड़ी परियोजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी.

गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन योजना (पीएलआइ स्कीम) एक महत्वपूर्ण पहल है. इसमें कुछ ऐसे क्षेत्र थे, जिनके बारे में पहले घोषणाएं हुई थीं, पर इस बजट में उनके लिए धन का भी आवंटन कर दिया गया है. इसमें सबसे अहम सोलर पैनल व संबंधित चीजों के बारे में है. इस पहल से सौर ऊर्जा समेत स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ाने को लेकर सरकार की ठोस प्रतिबद्धता जाहिर होती है.

इस उत्पादन से सोलर पैनलों और संबंधित उपकरणों के लिए निर्यात पर हमारी निर्भरता भी घटेगी. तीसरी बात है कि महामारी में छोटे व मध्यम उद्यमों को वित्तीय और आर्थिक राहत देने के लिए जो बड़ी योजना चलायी गयी थी, उसमें 50 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन के साथ पांच लाख करोड़ रुपये तक का विस्तार कर दिया गया है. इस कदम से ऐसे उद्यमों के लिए वित्त मुहैया कराने में बड़ी मदद मिलेगी. यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था का आधार है तथा महामारी के दौर में सबसे अधिक असर भी इन्हीं उद्यमों को हुआ है.

इनकी सहायता के लिए इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को अगले वर्ष मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया है. महामारी में बहुत से छोटे व मझोले उद्यमों का काम या तो ठप हो गया था या उनकी उत्पादन क्षमता बहुत कम हो गयी थी. तब बैंकों का उधार चुकाने और बुनियादी वित्त की कमी को पूरा करने में इस योजना से बहुत मदद मिली थी. इस गारंटी से बैंकों को फिर से वित्त मुहैया कराने का भरोसा भी पैदा हुआ है.

इसका लाभ 1.30 करोड़ से अधिक छोटे और मध्यम उद्यमों को हुआ था. अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के साथ उनकी कारोबारी गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है, पर महामारी से पहले की स्थिति में लाने के लिए अभी भी उन्हें समुचित सहायता की जरूरत है. इसके अलावा क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट में भी अतिरिक्त दो लाख करोड़ रुपये देने की घोषणा वित्तमंत्री ने की है.

सड़क, रेल, बंदरगाह आदि के विस्तार के साथ लॉजिस्टिक सुविधाओं का होना भी जरूरी है. माल ढुलाई में आसानी और भंडारण के लिए गोदामों को बनाने से जुड़े प्रावधान भी स्वागत योग्य हैं, जिनके तहत वितरण केंद्रों को विकसित करने की योजना है. हालांकि अभी इस बारे में विवरणों की प्रतीक्षा है, लेकिन सरकार ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) से संबंधित मौजूदा कानून को हटा कर नया कानून लाने का फैसला लिया है.

उन इलाकों में राज्य सरकारों की मदद से मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की घोषणा हुई है. नये मयुफैक्चरिंग यूनिट लगानेवालों के लिए करों में छूट के प्रावधान से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. बहुत सी जगहों पर एसईजेड स्थापित होने के बाद भी चल नहीं रहे हैं. नये कानून के आने से अर्थव्यवस्था के विकास में ऐसे क्षेत्रों का भी योगदान संभव हो सकेगा.

सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड लाने का विचार भी आकर्षक है. इस संबंध में भी विवरण अभी आने हैं. पर्यावरण के क्षेत्र में इससे मदद मिलेगी. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण की चुनौतियों से निपटना सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में है. स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देकर कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की दिशा में अनेक उपाय किये जा रहे हैं. कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में भारत के लक्ष्यों के बारे में विश्व समुदाय को जानकारी दी थी.

उस दिशा में सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड से बड़ी मदद मिल सकती है. यह एक महत्वपूर्ण नीतिगत पहल साबित हो सकती है. पीएलआइ स्कीम के तहत सोलर पैनल एवं अन्य उपकरणों के उत्पादन के साथ जोड़ने के प्रावधानों के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग की व्यवस्था लाने की घोषणा भी सराहनीय है. इससे प्रदूषण मुक्त बैटरी चालित वाहनों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा लोगों को भी सहूलियत होगी.

उल्लेखनीय है कि हमारे देश में लोगों में बैटरी चालित वाहनों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है तथा इन वाहनों की बिक्री भी हो रही है. पर बैटरी को चार्ज करने से जुड़ी मुश्किलों के कारण लोगों में हिचक भी है. शहरों में बहुत से आवासीय कॉलोनियां ऐसी हैं, जहां पार्किंग में चार्जिंग की व्यवस्था स्थापित करना आसान नहीं है. एक बड़ी समस्या यह है कि अगर आपको कहीं बैटरी चार्ज कराना है, तो दो से चार घंटे वहां प्रतीक्षा करना पड़ सकता है.

स्वाभाविक रूप से इतना समय दे पाना सबके लिए संभव नहीं है. लंबी यात्राओं में तो यह और भी बड़ी समस्या हो सकती है. इन मुश्किलों को बैटरी स्वैपिंग की व्यवस्था से दूर किया जा सकता है. जिस प्रकार हम पेट्रोल पंप पर तेल लेते हैं, उसी तरह अगर कुछ मिनटों में बैटरी बदलने की सुविधा हो, तो सभी मुश्किलों का हल हो सकता है. इसके लिए एक समान बैटरी बनाने के लिए नियमन लाना होगा तथा कंपनियों को उसके हिसाब से अपनी व्यवस्था करनी होगी.

जिस गति से ऐसे वाहन लोकप्रिय हो रहे हैं, इस पहल से उसमें और तेजी आयेगी. ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल रूपी लाने की घोषणा भी अहम है, जिसे रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जायेगा. सरकार ने क्रिप्टो पर 30 फीसदी का कर लाकर लोगों को उस ओर से हतोत्साहित करने का प्रयास किया है. इन मुद्दों पर आगे चलकर ही कुछ निश्चित रूप से कहा जा सकेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें