प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस बार कोई राजनीतिक यानी वोट बैंक पॉलिटिक्स का बजट नहीं दिया है, बल्कि आगे की दिशा नीति को समझाया है. भारत के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार को क्या करना है, उसके लिए न्यू एज, नेक्स्ट जेन एवं सनराइज सेक्टर्स पर जोर देनेवाला बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया है. जल्द ही उत्तर प्रदेश एवं पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं.
इनके मद्देनजर बजट में किसी भी तरह का राजनीतिक दांव-पेच करने की बजाय सरकार ने बड़ी सोच को अपनाते हुए पूंजीगत व्यय के लिए परिव्यय को 35 प्रतिशत बढ़ा दिया है, यानी सरकार विभिन्न क्षेत्रों में खर्च करेगी. इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जायेगा, जिसमें नेशनल हाइवेज को 25 हजार किलोमीटर तक बढ़ाया जायेगा. इससे देश में रोजगार का सृजन होगा, सीमेंट, स्टील व अन्य कई वस्तुओं के उत्पादन व मांग में बढ़ोतरी होगी.
इस परियोजना को सरकार द्वारा ‘गति शक्ति’ नाम दिया गया है. यह परियोजना 2022 के बजट की सबसे महत्वपूर्ण घोषणा है, जिससे बजट की बड़ी तस्वीर विकास पर फोकस करती हुई नजर आ रही है. अक्सर बजट प्रस्ताव में विनिवेश को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर दी जाती हैं, लेकिन बाद में वास्तविक विनिवेश बहुत कम होता है. इस संबंध में सरकार ने विनिवेश से 65 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है, जो काफी ठोस दिख रहा है. अनुमानित राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.9 प्रतिशत से घटा कर 6.4 प्रतिशत कर दिया गया है, क्योंकि सरकार खर्च करना चाहती है.
सरकार ने पहली बार डिजिटल परिसंपत्तियों पर कर लगाने का फैसला लिया है. इसका मतलब यह हुआ कि क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांसफर से हुई कमाई पर अब टैक्स देना होगा. इन पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाने का प्रस्ताव बजट में किया गया है. सरकार ने रिजर्व बैंक को जल्द ही डिजिटल रुपया तैयार करने को कहा है, यानी भारत के पास जल्द ही अपनी डिजिटल करेंसी होगी. इसके अलावा यूपीआइ में सुधार एवं लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म तैयार करने पर जोर दिया गया है.
इन परिवर्तनों के साथ भविष्य में बिचौलियों की भूमिका भी समाप्त हो जायेगी. सरकार और व्यवसाय करनेवालों के बीच सीधा संपर्क हो सकेगा. इससे जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया का जो सपना लोगों को दिखाया था, बजट में उसे साकार बनानेवाले महत्वपूर्ण कदमों पर फोकस किया गया है. करदाताओं के लिए कोई परिवर्तन नहीं है, केवल निवेशकों के लिए लांग टर्म कैपिटल गेन के सेस को हटा दिया गया है.
एक अच्छी चीज यह दिखायी दे रही है कि सरकार के पास कर प्राप्ति बढ़ रही है. जनवरी, 2022 में भी 1.38 लाख करोड़ राजस्व सिर्फ जीएसटी से आया है. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष टैक्स बढ़िया तरीके से बढ़ रहे हैं, जिसका मतलब है कि सरकार खर्च करने की दिशा में और आगे बढ़ेगी. डिजिटल इन्वेस्टमेंट पर जोर देकर सरकार आनेवाले एक या दो साल नहीं, बल्कि वर्षों की योजना तैयार कर रही है.
किसानों को एमएसपी के जरिये 2.3 लाख करोड़ देने का लक्ष्य रखा गया है. पीएम आवास योजना को भी बढ़ाया जायेगा. हर चीज को देखते हुए यह बजट सकारात्मक परिणामों वाला दिख रहा है. मार्केट ने भी इसको लेकर अच्छी प्रतिक्रिया दी है. सरकार ने जो घरेलू फोकस रखा है, वह बढ़िया है. इससे देश में चीजों की खपत बढ़ेगी और लोगों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी.
भारत सरकार ग्रीन बॉन्ड्स, सोलर एनर्जी के लिए पीएलआइ स्कीम, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स जैसी चीजों को बढ़ावा देने के साथ पुरानी सोच को छोड़ नये भारत के निर्माण की रूपरेखा तैयार करने और उस पर निवेश करने की तैयारी कर रही है. बजट में इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम में दक्षता को और बढ़ावा देने के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति लाने की बात कही गयी है, जिसके तहत इंटर ऑपरेटेबिलिटी मानक तैयार किये जायेंगे, यानी हुंडई की बैटरी मारुति में इस्तेमाल हो सकेगी और मर्सिडीज की ऑडी में भी लग सकेगी.
बैटरी चार्जिंग अब ऐसी नहीं होगी कि एक ही किस्म की गाड़ी की बैटरी उसी में लगे, दूसरी बैटरी भी लगायी जा सकेगी. इन नये कदमों के साथ हिंदुस्तान के लोगों को सहूलियत देने का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा डायमंड के दाम कम होंगे, कपड़ा और चमड़े का सामान सस्ता होगा, खेती के उपकरण, जूते-चप्पलों की कीमत घटेगी. वहीं छातों की कीमत बढ़ेगी.
पूंजीगत माल, बिना मिश्रण वाले ईंधन और नकली गहने महंगे हो जायेंगे. स्टील में कस्टम ड्यूटी में कई परिवर्तन किये गये हैं. स्टेनलेस स्टील, कोटेड स्टील और मिश्रित इस्पात की छड़ों पर डंपिंग रोधी शुल्क को हटा लिया गया है. इससे घर बनाने के काम में आने वाली छड़, ग्रिल आदि की कीमत कम हो जायेगी. स्टील का इस्तेमाल बंदरगाह, हवाई अड्डे, डैम आदि बनाने में किया जाता है.
सरकार के इस कदम से देश के संरचनात्मक विकास में गति आयेगी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने छोटे और मझोले उद्योगों को राहत देते हुए बजट में स्टील स्क्रैप (कबाड़) पर मिलने वाली कस्टम ड्यूटी छूट को एक साल के लिए और बढ़ा दिया है. इससे छोटे और मझोले सेक्टर में कबाड़ से स्टील उत्पाद बनाने वालों को आसानी होगी. कुल मिला कर, यह भारत के भविष्य एवं विकास को बढ़ावा देनेवाला बजट है.