आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मजबूत होगा बैंकिंग तंत्र

Artifical Intelligence : एआइ से लैस मशीन मानवों की तरह सबसे पहले किसी समस्या को समझते है, फिर निर्णय लेते हैं कि क्या करना उचित होगा और अंत में समस्या का समाधान करते हैं. बैंकों की योजना है कि एआइ आधारित चैटबोट का इस्तेमाल किया जाए, ताकि ग्राहकों को उनकी जरूरतों के अनुकूल ज्यादा असरदार और प्रभावी तरीके से सेवाएं मुहैया करायी जा सकें.

By सतीश सिंह | January 9, 2025 7:05 AM

Artifical Intelligence : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का चलन बैंकिंग समेत दुनिया के सभी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है. इसकी मदद से महत्वपूर्ण कारोबारी निर्णय लेने में बैंक दूसरे बहुत से क्षेत्रों से आगे हैं. बैंकों में आज अधिकांश वित्तीय और गैर-वित्तीय सेवाओं को एआइ की मदद से मूर्त रूप दिया जा रहा है, जिनमें खाते के लेनदेन के बारे में पूछताछ, खाते का स्टेटमेंट, पासबुक प्रिंटिंग, खाते खोलना, जमा और निकासी, ऋण पात्रता, बैलेंस शीट व गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) खातों का विश्लेषण आदि शामिल है.


एआइ से लैस मशीन मानवों की तरह सबसे पहले किसी समस्या को समझते है, फिर निर्णय लेते हैं कि क्या करना उचित होगा और अंत में समस्या का समाधान करते हैं. बैंकों की योजना है कि एआइ आधारित चैटबोट का इस्तेमाल किया जाए, ताकि ग्राहकों को उनकी जरूरतों के अनुकूल ज्यादा असरदार और प्रभावी तरीके से सेवाएं मुहैया करायी जा सकें. इन चैटबोट के जरिये बैंक अपने ग्राहकों की समस्याओं और शिकायतों को ज्यादा तेजी से निबटाने में सक्षम हो सकते हैं.

वेल्थ मैनेजमेंट सर्विस, ऋण अंडरराइटिंग, कस्टमर एनालिटिक्स, फ्रॉड की पहचान और बैंकिंग सेवाओं से संबंधित अन्य मसलों को सुलझाने में चैटबोट की अहम भूमिका होती है. बैंकिंग प्रणाली के दायरे में जब किसी तरह की धोखाधड़ी होती है तो उसका पता लगाना आसान नहीं होता है, पर एआइ से लैस मशीन फर्जीवाड़े को आसानी से पकड़ सकता है. उसकी मदद से यह भी जाना जा सकता है कि धोखाधड़ी की गतिविधियों को अंजाम देने की प्रक्रिया कहां से और कैसे शुरू हुई थी. इसके अतिरिक्त, लेनदेन संबंधी सुरक्षा भी एआइ के जरिये की जा सकती है. इसके जरिये व्यापक स्तर पर आंकड़ों का विश्लेषण किया जा सकता है.


वर्तमान में हमारे देश में लगभग 114 करोड़ से अधिक लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. स्मार्टफोन की संख्या बढ़ने से बैंकिंग क्षेत्र में एआइ के इस्तेमाल में भी बढ़ोतरी हो रही है, क्योंकि मौजूदा स्मार्टफोन एआइ फीचर से लैस होते हैं. आज लगभग सभी भारतीय स्टेट बैंक के ग्राहकों के स्मार्टफोन में योनो इंस्टाल है, जिसमें निकासी, निवेश, पैसों के अंतरण, बिल भुगतान आदि की सुविधाएं उपलब्ध हैं. भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए एआइ-पावर चैट सहायक शुरू किया था, जिसे ‘एसबीआइ इंटेलिजेंस असिस्टेंट या एसआइए’ भी कहा जाता है. यह ग्राहकों को मदद मुहैया कराने, धोखाधड़ी को रोकने व पता लगाने, आंकड़ों का विश्लेषण करने, ऋण प्रबंधन, वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने आदि में मदद करता है.

एसआइए से ग्राहक सेवा में बेहतरी, बैंकों के परिचालन व्यय में कमी आ रही है और बैंकों के उत्पादों और सेवाओं से जुड़ी समस्याओं का निवारण भी हो रहा है. बैंकों में कई कार्यों के निष्पादन हेतु रोबोट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जो बैंक में आये ग्राहकों का स्वागत करने, उन्हें सही काउंटर तक पहुंचाने, ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड व होम लोन जैसी जानकारियां देने जैसे काम कर सकता है. एआइ युक्त मशीनें वित्तीय दुनिया में तेजी से अपना पैर पसार रही हैं. पारंपरिक रूप से वित्तीय दुनिया में विशेषज्ञों की खास जगह रही है. ये कर्ज, निवेश, बचत आदि के बारे में अपनी सलाह देते हैं, पर अब इन क्षेत्रों में स्टार्ट-अप और बड़ी-बड़ी कंपनियों के आने से एआइ से लैस मशीनों का इस्तेमाल बढ़ गया है.

पहले कर्ज देने का काम बैंक अधिकारी और अंडरराइटर्स की मदद से किया जाता था, अब इसकी जगह आंकड़ों पर आधारित मॉडल्स ने ले लिया है. इसके लिए एल्गोरिदम विकसित किये जा रहे हैं, जो समय और प्रासंगिकता के आधार पर कर्ज देने के फैसले ले सकेंगे. इसमें मानवीय भावनाओं की जगह नहीं होती है, जिससे भ्रष्टाचार और पक्षपात की संभावना खत्म हो जाती है. साथ ही साथ ऋण प्रस्ताव का सही-सही विश्लेषण किया जाता है. इस तरह के एल्गोरिदम का इस्तेमाल बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थानों और फिनटेक स्टार्ट-अप में किया जा रहा है.


एआइ से युक्त मशीनें वित्तीय संस्थानों को कई तरह से मदद करेंगी. मसलन, यह धोखाधड़ी की संभावना को कम करेंगी और निवेश या कर्ज में वापसी या बेहतर प्रतिफल की संभावना को बढ़ा देंगी. एआइ युक्त मशीनें कार्यों के निष्पादन की गति में भी इजाफा कर रही हैं. ग्राहक सेवा बेहतर हो रही है. आंकड़ों का विश्लेषण आसान हो गया है, जिससे समय पर ग्राहकों को सेवा देना मुमकिन हुआ है. नकली मुद्रा की पहचान में भी आसानी हो रही है. फिलवक्त, कई एआइ आधारित फंड और स्मार्ट बीटा फंड बाजार में हैं, जो निवेश में मनुष्य की भूमिका खत्म कर रहे हैं. चूंकि पब्लिक फंड संवेदनशील मसला है, इसलिए इसमें एआइ की हिस्सेदारी ज्यादा नहीं है. मशीन आधारित कारोबार का लक्ष्य नियमित रूप से बेहतर रिटर्न देना है. वित्तीय क्षेत्र में बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थान, स्टार्ट-अप आदि इसमें रुचि ले रहे हैं. कहा जा सकता है कि बैंकिंग क्षेत्र में एआइ के इस्तेमाल में आने वाले दिनों में और बढ़ोतरी होगी. 
 (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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