तनाव से बचें सुरक्षाकर्मी
यह बात सच में दुखद है कि सरकारी नौकरी का सपना पूरा होने के साथ युवाओं को देश की रक्षा का एक जिम्मेदारी भरा काम भी मिलता है, तो वह आत्महत्याएं क्यों कर लेते हैं. इसकी वजह केवल तनाव को बताया जाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों और अधिकारियों को फिटनेस पर ध्यान देने के साथ योग करने की सलाह दी है. उन्होंने दिल्ली में अर्धसैनिक बल, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और दिल्ली पुलिस में शामिल होने वाले 51,000 जवानों और कर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपते समय उन्हें मानसिक तनाव से बचने के लिए यह सुझाव दिया. प्रधानमंत्री ने यह बात यूं ही नहीं कही है. सुरक्षाकर्मियों के तनाव में रहने की समस्या एक गंभीर रूप लेती जा रही है.
गृह मंत्रालय ने इसी महीने संसद में जानकारी दी है कि वर्ष 2011 से लेकर अब तक 1,532 सुरक्षाकर्मियों ने आत्महत्या कर ली है. पिछले तीन साल में ही 436 सुरक्षाकर्मियों ने खुदकुशी कर ली है. पिछले एक दशक के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा सुरक्षाकर्मियों ने आत्महत्याएं की हैं. यह आंकड़े परेशान करनेवाले हैं. भारत में बेरोजगारी एक विकट समस्या है.
नौकरियां कम होती हैं और उम्मीदवार ज्यादा. सरकारी नौकरियों को लेकर अलग तरह का आकर्षण रहता है. केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में एक लंबी-चौड़ी चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद नौकरी मिलती है. अक्सर एक जवान की नौकरी पर उसका परिवार भी निर्भर रहता है. ऐसे में यह बात सच में दुखद है कि सरकारी नौकरी का सपना पूरा होने के साथ युवाओं को देश की रक्षा का एक जिम्मेदारी भरा काम भी मिलता है, तो वह आत्महत्याएं क्यों कर लेते हैं.
इसकी वजह केवल तनाव को बताया जाता है. युवा जिस उम्मीद के साथ इन नौकरियों में जाते हैं, जब वह पूरी नहीं होती दिखती तो उन्हें तनाव होने लगता है. देश और समाज की सुरक्षा से जुड़ी सेना, अर्धसैनिक बलों या पुलिस की नौकरियां दफ्तर की नौकरियों से अलग होती हैं. जवानों को मुश्किल हालात में काम करना पड़ता है. प्रधानमंत्री भी इसे समझते हैं. उन्होंने कहा कि वर्दीधारी जवानों का काम समय के बंधनों में बंधा नहीं होता और मौसम की हर मार झेलनी पड़ती है.
उन्होंने साथ ही कहा कि काम के दौरान अक्सर तनाव के पल आते हैं और इससे मुक्त रहने के लिए नियमित रूप से योग करना चाहिए. प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी बिल्कुल सही है कि कई बार जवानों का खड़ा रहना ही काफी हो जाता है. मुस्तैदी से खड़े एक जवान को देखकर ही लोग कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने से कतराते हैं. देश और समाज की सुरक्षा का भार उठाते जवानों को अपनी सेहत का भी गंभीरता से ध्यान रखना चाहिए.