चीन की आक्रामकता को कुंद करने के प्रयास के क्रम में भारत सरकार ने कई ऐसे मोबाइल एप को प्रतिबंधित किया है, जो हमारी सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा बन गये. चीनी कंपनियों के स्वामित्व या सहयोग से संचालित ये एप भारतीय उपयोगकर्ताओं के डेटा चुराने और उन्हें अवैध रूप से संग्रहित कर रहे थे. इन्हीं में एक कुख्यात मोबाइल गेम पबजी का एप भी शामिल है, जिसमें एक चीनी कंपनी का निवेश है. पिछले साल इस खेल की लत के शिकार बच्चों में हिंसक और आत्मघाती होने के लक्षणों के सामने आने के बाद कई मनोवैज्ञानिकों और शिक्षकों ने इस पर रोक लगाने की मांग की थी.
देश में अनेक जगहों पर कुछ समय के लिए पाबंदी भी लगायी गयी थी. इस साल जनवरी में पंजाब में दायर याचिका में इस डिजिटल गेम की तुलना नशीले पदार्थों के साथ करते हुए बताया गया था कि बच्चों में इसकी लत लग जाती है. अनेक मामलों में यह भी देखा गया है कि यदि अभिभावक बच्चों को इसे खेलने से रोकते हैं, तो बच्चों का व्यवहार आक्रामक हो जाता है. दुनियाभर में मनोचिकित्सक लंबे समय से चेतावनी देते रहे हैं कि डिजिटल खेलों को इस तरह तैयार किया जाता है कि बच्चे व किशोर उसके आदी हो जाएं. यह सही है कि आखिरकार माता-पिता और शिक्षक ही ऐसे खेलों से बच्चों को दूर रख सकते हैं, लेकिन शिक्षा व मनोरंजन में डिजिटल तकनीक बड़ी जरूरत भी बन गयी है.
कोरोना महामारी ने इस जरूरत को बहुत ज्यादा बढ़ा भी दिया है. ऐसे में बच्चों व किशोरों पर हमेशा निगरानी रख पाना संभव नहीं है. इसमें अभिभावकों व शिक्षकों की व्यस्तता भी बाधा बनती है. एक समस्या यह भी है कि पाबंदी के लिए समुचित कानूनी प्रावधानों का अभाव है. डिजिटल गेम की गुणवत्ता जांचने की प्रणाली भी नहीं है. जब समस्या गंभीर हो जाती है, तब ही किसी तरह रोक लगायी जाती है, जैसा कि ब्लू व्हेल के मामले में हुआ था. उस गेम में कुछ अनाम-अज्ञात नियंत्रक खेलनेवाले बच्चों को अपने को चोटिल करने, यहां तक कि आत्महत्या करने, के लिए भी उकसाते थे.
उस पर भी रोक तब लगी, जब अनेक देशों में हंगामा होने लगा तथा इसके नियंत्रकों को पकड़ा गया. बड़ा बाजार होने से हमारा देश अन्य तकनीकों के साथ डिजिटल गेम कंपनियों के लिए भारी मुनाफा कमाने का जरिया है. आकलनों के अनुसार, डिजिटल गेम कारोबार एक अरब डॉलर से अधिक हो चुका है. नियमन की कमी से सरकार को भी इनसे अधिक राजस्व नहीं मिलता है. दिलचस्प है कि पबजी चीन में प्रतिबंधित है, लेकिन ऐसे खेलों व एप को भारत में नशा बनाकर बेचने से चीनी सरकार और कंपनियों को कोई परहेज नहीं है. यह पाबंदी स्वागतयोग्य है, लेकिन ऐसे खेलों पर नजर रखना भी जरूरी है और लोगों को इनके नुकसान के बारे में भी सचेत रहना चाहिए.