डेटा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध सरकार ने कुछ समय पहले भारतीय उपभोक्ताओं की सूचनाएं चुराने के संदेहों से घिरे 59 चीनी एप पर पाबंदी लगायी थी. इस कार्रवाई के अगले चरण में अब और 47 एप को बंद कर दिया गया है, जो पहले से प्रतिबंधित एप के छद्म रूप हैं. आगामी दिनों में रोक का दायरा बढ़ सकता है. रिपोर्टों के मुताबिक 250 से अधिक एप सरकार की निगरानी में हैं.
भारत में इन एप को करोड़ों लोग इस्तेमाल करते हैं और इन एप की आमदनी का बड़ा स्रोत हमारा देश है. ऐसे में पाबंदी से न केवल हमारी डिजिटल सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, बल्कि चीनी कंपनियों के व्यवसाय को भी बड़ा झटका लगेगा. यह सर्वविदित है कि चीनी सरकार से इन कंपनियों का गहरा संबंध है तथा इनके द्वारा हासिल डेटा आखिरकार वहां की सरकार के पास ही जाता है.
इस तरह से डेटा की चोरी को रोकना न केवल साइबर स्पेस की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, बल्कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला भी है. जैसे बहुत सारे सस्ते चीनी उत्पादों के आयात ने हमारे घरेलू उद्योग पर असर डाला है, वैसे ही इन डिजिटल एप्लीकेशन की भरमार ने भारत में एप के विकास की गति को बाधित कर दिया है. चीनी कंपनियों पर दूसरे देशों की कंपनियों और सॉफ्टवेयर अनुसंधान की अर्जित बौद्धिक संपदा में भी सेंधमारी करने का आरोप लगता रहा है. इसी कारण अनेक देशों में चीन की तकनीकी कंपनियों पर रोक लगायी जा रही है.
भारत ने भी ऐसे कदम उठाने के संकेत दिये हैं. कुछ दिन पहले केंद्रीय सूचना तकनीक मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जानकारी दी थी कि चीनी एप पर रोक के कुछ दिनों के भीतर ही भारत में 200 से अधिक देशी एप बाजार में उपलब्ध हो गये हैं. उल्लेखनीय है कि भारत उन देशों में शामिल है, जिसने सूचना क्रांति को सफल बनाने में अग्रणी भूमिका निभायी है.
अब एक बार फिर भारत के पास अपनी क्षमता व कौशल को दिखाने का मौका है. इसीलिए भारतीय कंपनियों और डिजिटल डेवलपर समुदाय ने सरकार के निर्णय की सराहना की है. हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल बाजारों में से एक है और इसका लगातार विस्तार हो रहा है.
हमारी कंपनियां इस बाजार के लिए उत्पाद बना सकती हैं और देश की अर्थव्यवस्था में अपने योगदान को बढ़ा सकती हैं. इससे आत्मनिर्भर बनने के हमारे राष्ट्रीय संकल्प को भी शक्ति मिलेगी. प्रस्तावित डिजिटल सुरक्षा कानून के लागू होने के बाद और भी अनुकूल माहौल बनने की उम्मीद है.
सरकार अगले साल मार्च तक लगभग 371 आयातित उत्पादों को गुणवत्ता के मानकों के दायरे में लाने की कोशिश में भी है, जिससे चीन के घटिया माल को भारत आने से रोका जा सकेगा. ये उपाय चीन को कड़ा संदेश हैं कि सामारिक और आर्थिक आक्रामकता दिखाकर वह भारतीय बाजार में अपनी मनमानी नहीं कर सकता है.