टुंडी में गुरुजी को आत्मसमर्पण कराने में बर्नाड की थी भूमिका

बर्नाड किचिंगिया नहीं रहे. अधिकांश लाेग नहीं जानते हाेंगे कि बर्नाड की झारखंड आंदाेलन में या शिबू साेरेन (गुरुजी) का जीवन बदलने में क्या भूमिका थी? लाेग उन्हें एक पुलिस अधिकारी के ताैर पर ही मानते थे.

By अनुज कुमार | March 27, 2022 7:52 AM
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बर्नाड किचिंगिया नहीं रहे. अधिकांश लाेग नहीं जानते हाेंगे कि बर्नाड की झारखंड आंदाेलन में या शिबू साेरेन (गुरुजी) का जीवन बदलने में क्या भूमिका थी? लाेग उन्हें एक पुलिस अधिकारी के ताैर पर ही मानते थे. आज खुद मुख्यमंत्री हेमंत साेरेन उनके शव पर माल्यार्पण करने गये, तब नयी पीढ़ी काे बर्नाड के झारखंड आंदाेलन के याेगदान के बारे में कुछ जानकारी मिली.

बर्नाड झारखंड आंदाेलनकारियाें के लिए सबसे लाेकप्रिय पुलिस अधिकारी हाेते थे. शिबू साेरेन के काफी करीबी-विश्वासपात्र लेकिन कभी काेई लाभ नहीं लिया.

सच यह है कि अगर बर्नाड किजिंग्या नहीं हाेते ताे पारसनाथ आैर टुंडी के जंगलाें में समानांतर सरकार चलानेवाले शिबू साेरेन काे तत्कालीन बिहार सरकार शायद 1975 समर्पण नहीं करा पाती. पूरा काम किया था बर्नाड ने. उनके इस प्रयास ने झारखंड आंदाेलन की दिशा बदल दी थी. जाे शिबू साेरेन जंगलाें आैर पहाड़ाें के बीच रह कर आंदाेलन करते थे, समर्पण के बाद खुल कर आंदाेलन करने लगे. फिर संगठन काे मजबूत किया.

दरअसल, 1972 के आसपास शिबू साेरेन ने पारसनाथ-टुंडी के जंगलाें में अपना ठिकाना बना लिया था. वहीं से वे महाजनाें के खिलाफ संघर्ष करते थे आैर आदिवासियाें काे उनकी जमीन पर कब्जा दिलाते थे. वहां उनकी तूती बाेलती थी. हिंसा की अनेक घटनाएं हुई थीं. ताेपचांची में एक दाराेगा की आंदाेलनकारियाें ने हत्या कर दी थी.

उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने बिहार के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र काे आदेश दिया था कि वे शिबू साेरेन काे हर हाल में पकड़ें. यह काम आसान नहीं था. इसी काम के लिए केबी सक्सेना काे धनबाद का उपायुक्त बना कर भेजा गया था. उन दिनाें शिबू साेरेन से किसी का मिलना असंभव काम था.

एक दाराेगा की हत्या के बाद किसी पुलिस अधिकारी की हिम्मत नहीं हाेती कि वह जंगलाें में गुरुजी से मिलने जाये. तब बर्नाड किंजिग्या काे टुंडी का थाना प्रभारी बना कर शिबू साेरेन काे समझा कर आत्मसमर्पण करने कराने की जिम्मेवारी साैंपी गयी थी. काफी मेहनत के बाद बर्नाड की गुरुजी से मुलाकात हुई. धीरे-धीरे गुरुजी का बर्नाड पर विश्वास बढ़ता गया.

इधर बर्नाड झारखंड आंदाेलनकारियाें के खिलाफ नरमी बरतने लगे. जिनके खिलाफ मामले थे, उन्हें गुरुजी से बात कर जमानत देने लगे. सरकार आैर जिला प्रशासन ने बर्नाड काे यह अधिकार दिया था कि जैसे भी हाे, गुरुजी काे मुख्य धारा में लाआे. बर्नाड ने ही तत्कालीन उपायुक्त केबी सक्सेना काे टुंडी के जंगल में गुरुजी से मिलाया था.

जाे सक्सेना गुरुजी काे काबू में लाने के लिए धनबाद आये थे, वे खुद गुरुजी का काम देख कर और सच्चाई जान कर उनकी प्रशंसा करने लगे. बर्नाड आैर गुरुजी लगभग राेज मिलते थे. यह भराेसा इतना बढ़ गया कि अंतत: गुरुजी ने कुछ माह बाद (तब सक्सेना की जगह शुक्ला उपायुक्त बन कर आ गये थे) समर्पण कर दिया.कुछ माह जेल में रखने के बाद सरकार ने सारे मामले उठा लिये. वे रिहा हाे गये. बाद में गुरुजी की मुलाकात इंदिरा गांधी से दिल्ली में करायी गयी थी.

बर्नाड बाद में डीएसपी बन गये. झारखंड आंदाेलन के दाैरान कई ऐसे माैके आये, जब बड़े पैमाने पर हिंसा हाे सकती थी, पुलिस फायरिंग हाे सकती थी, लाेगाें की जान जा सकती थी, लेकिन बर्नाड ने हर माैके पर संकट काे टाला. उनके परिवार के कई लाेग आंदाेलन में थे.

उनकी बहन मालती किजिंग्या आल झारखंड स्टुडेंट यूनियन की ताकतवर नेता थी. झारखंड आंदाेलनकारियाें का एक बड़ा तबका बर्नाड की बहुत इज्जत करता था. खुद बर्नाड आंदाेलनकारियाें के प्रति सहानुभूति रखते थे. बर्नाड के निधन से झारखंड आंदाेलनकारिय ने अपना एक शुभचिंतक खाे दिया. विनम्र श्रद्धांजलि.

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