बेहतर होते रिश्ते

नेपाल के प्रधानमंत्री की यात्रा से यह आशा की जा सकती है कि सीमा विवाद व्यापारिक और सांस्कृतिक सहकार की राह में अवरोध नहीं बनेंगे.

By संपादकीय | April 5, 2022 8:18 AM
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पिछले कुछ सालों में भारत और नेपाल के रिश्तों में आयी खटास अब अतीत की बात हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर हुई नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की तीन दिनों की यात्रा में परस्पर सहयोग और विश्वास बढ़ाने के लिए कई समझौते हुए हैं, जिनमें दोनों देशों के बीच यात्री रेलगाड़ियां चलाना, रुपे भुगतान प्रणाली को नेपाल में लागू करना तथा ऊर्जा सहकार को विस्तार देना प्रमुख हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने एक बिजली उपकेंद्र और वितरण लाइन का उद्घाटन भी किया, जो भारतीय ऋण से निर्मित हुआ है. इस दौरे में नेपाल अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का सदस्य भी बना. यह समूह भारत और फ्रांस ने संयुक्त रूप से बनाया था और अब इसमें सौ से अधिक देश शामिल हैं. भारत और नेपाल पड़ोसी देश होने तथा हिमालय पर्वत शृंखला से जुड़े होने के कारण एक समान जलवायु चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.

आपसी सहयोग के अन्य उपायों के साथ स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भागीदारी भविष्य के लिए शुभ संकेत है. रुपे भुगतान तंत्र से नेपाल के जुड़ने से वित्तीय क्षेत्र में जुड़ाव सघन होगा. भारत और नेपाल की मैत्री का आधार संस्कृति है, जो प्राचीन काल से ही दोनों देशों को एक सूत्र में बांधती है. दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस तथ्य को रेखांकित किया है.

व्यापार और आवागमन बढ़ाने पर जोर इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि बिम्स्टेक समूह के माध्यम से भी अरब की खाड़ी से जुड़े देशों के बीच यातायात बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास हो रहे हैं. भारत और नेपाल इस समूह के भी सदस्य हैं तथा दोनों देशों ने हाल में कोलंबो में आयोजित इसके पांचवे शिखर बैठक में हिस्सा भी लिया था. भारतीय कंपनियों द्वारा नेपाल में जल-विद्युत परियोजनाओं के विकास पर बनी सहमति भी अहम है क्योंकि नेपाल की समृद्धि के लिए ऊर्जा की दरकार है और इसके लिए उसके पास प्राकृतिक परिस्थितियां भी हैं.

कुछ समय पहले जब नेपाल के साथ भारत के संबंधों में कुछ तनाव उत्पन्न हो गया था, तब भी भारत ने सहयोग बढ़ाने के प्रयास किये थे और संवाद के माध्यम से सीमा विवादों को हल करने पर जोर दिया था. दोनों देश इस संबंध में आगे वार्ता जारी रखने पर सहमत हो गये हैं और यह आशा की जा सकती है कि सीमा विवाद व्यापारिक और सांस्कृतिक सहकार की राह में अवरोध नहीं बनेंगे.

हालांकि कोविड महामारी से भारत बहुत अधिक प्रभावित रहा, पर प्रधानमंत्री मोदी ने पड़ोसी देशों को हरसंभव मदद करने को प्राथमिकता दी थी. नेपाल को भी कोविड टीकों के साथ दवाओं और ऑक्सीजन की आपूर्ति की गयी थी. प्रधानमंत्री देउबा ने ऐसे संकट में नेपाल के साथ खड़ा होने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार जताया. इस दौरे से यह भी इंगित हुआ है कि नेपाल किसी अन्य पड़ोसी देश की तुलना में भारत को अधिक महत्व देता है और भारत भी नेपाल को अपने बेहद करीब रखता है.

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