भारतीय शटलर्स ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को ढेरों सफलताएं दिलायी हैं, पर ओलिंपिक में पदक के नाम पर हमारे पास सिर्फ एक रजत और दो कांस्य पदक हैं. ये पदक पीवी सिंधु और सायना नेहवाल ने दिलाये हैं. पिछले कुछ समय में भारतीय डबल्स जोड़ी सात्विक साईराज रैंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने जिस तरह का धमाल मचाया हुआ है, उससे लगता है कि इस बार सोने का तमगा भी आ जायेगा. यह जोड़ी आजकल विश्व की नंबर एक जोड़ी है और इसने पिछले दिनों फ्रेंच ओपन के रूप में सुपर 750 खिताब जीतकर यह उम्मीद बनायी है. सात्विक-चिराग के साथ-साथ दो ओलिंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु और लक्ष्य सेन के रंगत में लौटने से भारतीय बैडमिंटन फिर से ट्रैक पर नजर आने लगा है. सात्विक और चिराग के लिए यह खिताब मनोबल बढ़ाने वाला है, क्योंकि इससे पहले वे लगातार तीन फाइनलों में हार गये थे. उन्हें पिछले साल नवंबर में चाइना मास्टर्स, इस साल मलेशिया ओपन और इंडियन ओपन के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था. अब ऑल इंग्लैंड सुपर 1000 टूर्नामेंट शुरू हो चुका है और ओलिंपिक में पदक की दावेदारी की सही तस्वीर इसमें प्रदर्शन से काफी हद तक पता चल जायेगी. इस टूर्नामेंट में आखिरी बार 2001 में पुलेला गोपीचंद ने सिंगल्स खिताब जीता था और इससे पहले 1980 में प्रकाश पादुकोण चैंपियन बने थे.
भारतीय जोड़ी के लिए फ्रेंच ओपन टूर्नामेंट पसंदीदा है क्योंकि इससे पहले भी वे इसे 2021 में जीत चुके हैं और 2019 में फाइनल तक चुनौती पेश कर चुके हैं. इस जोड़ी ने पिछले साल जुलाई में कोरियन ओपन में खिताब जीता था. पर दोनों खिताबों को जीतने के दौरान चिराग और सात्विक ने बिलकुल भिन्न खेल का प्रदर्शन किया. कोरिया में कोर्ट तेज था, तो उन्होंने आक्रामक खेल खेला था, पर फ्रेंच ओपन में भारतीय जोड़ी ने जरूरी होने पर ही स्मैश लगाये और शानदार डिफेंस का प्रदर्शन किया. इससे इनके खेल की गहराई का पता चलता है. सात्विक और चिराग दोनों करीब दर्जनभर तरीके से सर्विस करते हैं. पीवी सिंधु ओलिंपिक की सबसे सफल भारतीय शटलर हैं. वे रजत और कांस्य पदक जीत चुकी हैं और पेरिस में पदक का रंग बदलकर पीला करने की चाहत रखती हैं. सिंधु करीब तीन माह बाद इस साल फरवरी में एशियाई टीम चैंपियनशिप से लौटी थीं. इससे पहले भी काफी समय तक वे शुरुआती दौर में हारती रही थीं. इस कारण उन्होंने अपने खेल को पटरी पर लाने के लिए अपने कोच, फिजियो और मेंटर सभी को बदल दिया है. वे आजकल बेंगलुरु में प्रकाश पादुकोण अकादमी में इंडोनेशियाई कोच अगुस सांतोसो की देखरेख में तैयारी कर रही हैं. फ्रेंच ओपन में क्वार्टर फाइनल तक चुनौती पेश करने से वे काफी संतुष्ट नजर आयीं. अब ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन में प्रदर्शन से उनकी तैयारियों का सही जायजा मिलेगा. फिलहाल सिंधु के लिए अप्रैल आखिरी तक टॉप 16 रैंकिंग में बने रहना प्रमुख चुनौती होगी, पर वे जैसा खेल रहीं हैं, उससे उन्हें जल्द ही टॉप दस में देखा जा सकता है.
सिंधु को हम हमेशा शानदार प्रदर्शन करते देखना चाहते हैं और उन्होंने कम ही निराश भी किया है. पर पिछले साल की शुरुआत में एक के बाद एक टूर्नामेंटों में पहले राउंड में हारने से उन्होंने कोरियाई कोच पार्क तेई सुंग से नाता तोड़ लिया था. शुरुआत में वे हाफिज हाशिम से ट्रेनिंग लेने लगीं, पर बाद में प्रकाश पादुकोण अकादमी में आने के बाद वह इंडोनेशियाई कोच अगुस सांतोसो से बारीकियां सीख रहीं हैं. अब फिर से उनके खेल में पुरानी रंगत दिखने लगी है. वैसे भी वे बड़े टूर्नामेंटों वाली खिलाड़ी हैं, इसलिए पेरिस में कुछ ना कुछ खास करेंगी जरूर. लक्ष्य सेन की जहां तक बात है, तो उन्होंने फ्रेंच ओपन के सेमीफाइनल तक चुनौती पेश कर किसी हद तक पेरिस ओलिंपिक में खेलना पक्का कर लिया है. वे इस टूर्नामेंट में लंबे समय बाद रंगत में खेलते दिखे. आम तौर पर वे तेज गति से खेलना पसंद करते हैं और उनका डिफेंस भी अच्छा है. पर वे सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन कुनलावुत के खिलाफ जिस तरह हारे, उससे खुश नहीं होंगे. उन्होंने जबरदस्त मेहनत करके पहला गेम जीता, परंतु अगले दो गेमों में गलतियां करने और कुनलावुत के खेल को ऊंचाइयां देने की वजह से लक्ष्य मुकाबला नहीं जीत सके. लक्ष्य की तरह किदांबी श्रीकांत भी पेरिस ओलिंपिक में भाग लेने के दावेदार हैं, पर उन्हें भी अगले दो-तीन टूर्नामेंटों में शानदार प्रदर्शन करना होगा, तब भाग लेने की संभावना बन सकेगी.
भारतीय बैडमिंटन की एक अच्छी बात यह है कि युवा पीढ़ी भी जिम्मेदारी संभालने को तैयार है. इसमें पहला नाम गायत्री गोपीचंद और त्रिशा जौली की जोड़ी का आता है. इस जोड़ी ने बीते कुछ समय में अपने शानदार प्रदर्शन से छाप छोड़ी है. यह युवा जोड़ी पिछली बार ऑल इंग्लैंड टूर्नामेंट के सेमीफाइनल तक चुनौती पेश कर चुकी है. यह जोड़ी कई नामी जोड़ियों की चुनौती को ध्वस्त कर चुकी है. यह जोड़ी यदि पेरिस के लिए क्वालिफाई कर सकी, तो इसे भी पोडियम पर चढ़ते देखा जा सकता है. प्रियांश राजावत और किरण जॉर्ज भी भविष्य की उम्मीदें हैं.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)