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जैव ईंधन गठबंधन

बाढ़, सूखा, बेमौसम बरसात, अत्यधिक गर्मी आदि का असर सामूहिक रूप से पड़ता है. जो संसाधन इनसे जूझने में लगाने पड़ते हैं, वे विकास के कार्यों में लगाये जा सकते थे, यानी विकास से समझौता करना पड़ता है.

दिल्ली में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन का सामना करने और पर्यावरण की रक्षा करने से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई. सम्मेलन में जैव ईंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. भारत की पहल पर नौ देशों ने मिल कर ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस या वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन बनाया है. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की रक्षा जैसे विषयों पर लंबे समय से चर्चा होती रही है. हाल के समय में भारत समेत दुनिया के तमाम हिस्सों में मौसम में अचानक आ रहे बदलावों ने लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है.

बाढ़, सूखा, बेमौसम बरसात, अत्यधिक गर्मी आदि का असर सामूहिक रूप से पड़ता है. जो संसाधन इनसे जूझने में लगाने पड़ते हैं, वे विकास के कार्यों में लगाये जा सकते थे यानी विकास से समझौता करना पड़ता है. ऐसे में पर्यावरण की रक्षा का मुद्दा हर इंसान की जिंदगी से जुड़ जाता है. इसी को ध्यान में रख स्वच्छ ऊर्जा या ग्रीन एनर्जी की बात होती है. ये ऊर्जा के ऐसे स्रोत हैं, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करनेवाले, कोयला, तेल जैसे पारंपरिक और जीवाश्म ईंधनों के विकल्प हैं.

जैव ईंधन ऐसा ही एक स्रोत है जो पेड़-पौधों के कचरे से लेकर पशु या मानवजनित कचरे से तैयार किया जा सकता है. इसके कई लाभ हैं. एक तो कचरा खत्म हो जाता है और जिस इलाके में कचरा है, वहीं ऊर्जा बना कर वहीं की जरूरत पूरी हो सकती है. ऐसे में ऊर्जा क्षेत्र में वास्तविक अर्थ में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है. भारत जैसे देश के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि भारत को अपनी जरूरत का 86 फीसदी तेल, 56 फीसदी गैस और एलपीजी और 10-20 फीसदी कोयला विदेशों से आयात करना पड़ता है.

जीवाश्म ईंधन के सीमित होने और पर्यावरण के लिए नुकसानदेह होने के कारण जैव ईंधन को सारी दुनिया में अपनाया जा रहा है. अंतरसरकारी संगठन अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार वर्ष 2022 में सारी दुनिया में परिवहन क्षेत्र में बायोफ्यूल की हिस्सेदारी चार प्रतिशत से ज्यादा थी, लेकिन एजेंसी का कहना था कि कार्बन उत्सर्जन को वर्ष 2050 तक शून्य करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बायोफ्यूल के उत्पादन को वर्ष 2030 तक तीन गुना करना जरूरी होगा. बायोफ्यूल बाजार में अमेरिका और ब्राजील की हिस्सेदारी 80 फीसदी से भी ज्यादा है. यूरोपीय संघ उसके बाद आता है. ऐसे में जी-20 की बैठक में वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन बनाना भारत समेत समस्त विश्व के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है.

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