दक्षिण में प्रसार पर भाजपा का जोर

विपक्ष के पूरी तरह कमजोर होने की मौजूदा स्थिति में भाजपा ने अगले 25 वर्षों के लिए योजना बनायी है. इसी दृष्टिकोण से हैदराबाद की बैठक को देखा जाना चाहिए.

By आर राजागोपालन | July 6, 2022 8:25 AM

भाजपा का नया नारा ‘दक्षिण की ओर देखो’, विशेषकर ‘तेलंगाना पहले, फिर तमिलनाडु’ है. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रखी. इस बैठक से पहले भाजपा के शीर्ष नेताओं ने राज्य के लगभग सभी जिलों का दौरा किया था. प्रधानमंत्री मोदी का दो दिवसीय प्रवास और उनके ओजस्वी भाषण सत्तारूढ़ क्षेत्रीय दल पर भारी पड़े.

मोदी संकट को अवसर में बदल देते हैं. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा उनका बहिष्कार लोगों को रास नहीं आया. मोदी ने इसे अपने पक्ष में भुना लिया. तीन श्रेणियों में हैदराबाद की इस बैठक का विश्लेषण हो सकता है- पार्टी का राजनीतिक लक्ष्य, सांगठनिक महत्व और लाभार्थियों को प्राथमिकता देना. उत्तर प्रदेश में भाजपा की लगातार दूसरी जीत, डबल इंजन के नारे और सपा व बसपा के खिलाफ योगी आदित्यनाथ के असरदार प्रचार ने भाजपा को एक नया तेवर दिया है. इस बैठक को समझने के लिए उत्तर प्रदेश के तरीके और तेलंगाना प्रयोग को मिला कर देखना होगा, जिसका अर्थ है- वंशवाद हो बर्बाद.

भाजपा दो मुख्य विरोधियों- केसीआर की टीआरएस और ओवैसी की मजलिस- को एक साथ मात देना चाहती है. उसकी योजना अगले 25 साल की है. अगर भाजपा की हैदराबाद घोषणा का निहितार्थ समझा जाए, तो उसमें ‘अमृत काल’ चमकता दिखेगा, जिसकी अवधारणा प्रधानमंत्री मोदी ने दी है. भाजपा का मुख्य जोर ‘घोर परिवारवाद’ से मुक्ति है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस से छुटकारा पाने के बाद अगले पांच साल में भाजपा का इरादा परिवारवाद वाले आठ बड़े राज्यों की राजनीति में अपनी ऊर्जा के निवेश का है.

इसीलिए केसीआर परिवार की ओर संकेत करते हुए ‘बाप, बेटा, बेटी की सरकार’ की संज्ञा दी गयी. साल 2013-14 में मोदी ने अपनी सभी 400 रैलियों में ‘मां, बेटा, बेटी’ कह कर गांधी परिवार के विरुद्ध माहौल बनाया था. हैदराबाद प्रस्ताव में आगामी 25 वर्षों के विकास के पहलुओं का संकेत है.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने मोदी सरकार की कल्याण योजनाओं की प्रशंसा की, जिन्होंने अभूतपूर्व कोविड महामारी में लोगों की मदद में बड़ी भूमिका निभायीं. प्रस्ताव में यह भी रेखांकित किया गया कि सरकार ने आर्थिक वृद्धि और गरीबों की सहायता पर बराबर ध्यान दिया है. इसमें महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था के समुचित प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा किये गये उपायों की भी चर्चा की गयी.

गोवा में 2013 में हुई बैठक और उसके बाद के सम्मेलनों में मोदी और शाह ने कांग्रेस के प्रति भाजपा के नरम रुख को त्याग दिया. मोदी ने अन्य पार्टियों के सहयोग से तथा कांग्रेस, टीआरएस आदि दलों से लोगों को लाकर भाजपा का विस्तार किया है. अब भाजपा बहुत गतिशील हो चुकी है और वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टियों में है. मोदी-शाह की जोड़ी ने भाजपा को ठोस हिंदुत्व की भावनाओं से जोड़ा, ताकि दक्षिणपंथ का भारी समर्थन मिले.

केवल पांच वर्षों में देश के पूर्वी हिस्से से अमित शाह ने वामपंथी ताकतों को खत्म कर दिया. भाजपा नेतृत्व ने सांगठनिक प्रस्तावों के बारे में मीडिया को बताने की जिम्मेदारी देकर वसुंधरा राजे सिंधिया को फिर आगे किया है. उन्हें बूथ स्तर के व्हाट्सएप ग्रुप का जिम्मा भी दिया गया है, जो भाजपा काडरों को एक मंच पर लाने का शानदार विचार है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कई भाषणों में बिना किसी भेदभाव के लोगों तक लाभ पहुंचाने की बात कही है. भाजपा के लिए लाभार्थी एक मतदाता श्रेणी बन गये हैं तथा पार्टी ने इसे राष्ट्रवाद व हिंदुत्व के मुख्य मुद्दों के साथ शामिल किया है. हर घर तिरंगा अभियान शुरू होना है तथा बैठक के निर्णय के अनुसार पार्टी के पदाधिकारी लाभार्थियों से संपर्क करेंगे. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रशंसा से आने वाली लापरवाही से आगाह करते हुए नेताओं को लगातार लोगों के बीच जाने को कहा.

विपक्ष के पूरी तरह कमजोर होने की मौजूदा स्थिति में भाजपा ने अगले 25 वर्षों के लिए योजना बनायी है. इसी दृष्टिकोण से हैदराबाद की बैठक को देखा जाना चाहिए. वर्ष 2014 में अमित शाह ने मुझे बताया था कि वे पूर्वोत्तर पर ध्यान केंद्रित करेंगे, फिर 2019 में उन्होंने कहा कि 18 राज्यों में भाजपा शिखर पर पहुंच चुकी है और अब दक्षिण की ओर रुख करने का सही समय आ गया है.

गरीबी उन्मूलन और विकास भाजपा, खासकर प्रधानमंत्री मोदी, की राजनीतिक सोच के केंद्र में हैं. भ्रष्टाचार और वोट बैंक राजनीति गरीबी मिटाने की राह की बड़ी बाधाएं हैं, जिन्हें आठ सालों में मोदी ने प्रभावी ढंग से संभाला है. उन्होंने हमेशा दावा किया है कि उन्होंने तीन करोड़ गरीब परिवारों को उबारा है और उन्हें विभिन्न कल्याण योजनाओं से लखपति बना दिया है. मोदी-शाह की जोड़ी ने ग्रामीण मतदाताओं में भाजपा की नीतियों को लोकप्रिय सिद्धांत बना दिया है.

अब अगले 25 सालों के लिए भाजपा का नेतृत्व अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, हेमंत बिस्वा सरमा जैसे अगली पीढ़ी के नेताओं के हाथ में सौंपा जा रहा है तथा उससे भी आगे पार्टी को ले जाने के लिए देवेंद्र फड़नवीस, अनुराग ठाकुर, तेजस्वी सूर्या, के अन्नामलाई, निशीथ प्रमाणिक जैसे कई नेता हैं. हैदराबाद की भाजपा बैठक भविष्य के नेताओं को आगे लाने के लिए याद की जायेगी. यह अमित शाह की टिप्पणी है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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