बच्चों में रक्तचाप

लगभग 15 से 20 प्रतिशत बच्चों एवं किशोरों में सामान्य से अधिक रक्तचाप की समस्या है.

By संपादकीय | May 27, 2024 10:26 PM
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हमारे देश में बच्चों और किशोरों में उच्च रक्तचाप की बढ़ती समस्या बेहद चिंताजनक है. एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि 10 से 19 साल की आयु के लगभग 15 से 20 प्रतिशत बच्चों एवं किशोरों में सामान्य से अधिक रक्तचाप की समस्या है. इससे मस्तिष्क आघात, दिल का दौरा, किडनी की बीमारियां और आंखों को नुकसान होने जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं.

रक्तचाप की नियमित जांच और आवश्यक उपचार पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो गया है. उल्लेखनीय है कि वयस्कों में भी यह समस्या गंभीर होती जा रही है. मुश्किल यह है कि अपने ब्लड प्रेशर को लेकर लोग अनजान बने रहते हैं. जिन्हें अधिक रक्तचाप का पता चल जाता है, उनमें से भी बहुत लोग उपचार नहीं कराते. ऐसे में उसका असर गहरा होता जाता है. बच्चों और किशोरों के मामले में अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है. ध्यान रहे, उच्च रक्तचाप बीमारी नहीं है, वह अनेक बीमारियों का लक्षण है. बच्चे हों या बड़े, उच्च रक्तचाप होने के कारण समान हैं. एक तो यह अनुवांशिक हो सकता है.

बच्चों में मोटापा की समस्या भी बढ़ रही है. अधिक वजन से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. कम आयु में तंबाकू या अन्य तरह के नशे की लत भी एक वजह हो सकती है. पढ़ाई का दबाव लगातार बढ़ता गया है. साथ ही, कंप्यूटर और मोबाइल का इस्तेमाल भी खूब होने लगा है. खेल-कूद के समय भी बच्चे-किशोर पढ़ाई में लगे होते हैं या फिर कंप्यूटर या मोबाइल पर मनोरंजन कर रहे होते हैं. शहरों में खेल के मैदान घटते जा रहे हैं. आवासीय इलाकों में इस पर कम ही ध्यान दिया जा रहा है. स्कूलों की दशा भी बेहतर नहीं है. गलाकाट प्रतिस्पर्धा और मोबाइल की लत, ऑनलाइन गेम आदि से तनाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों और किशोरों में, बड़ों में भी, उच्च रक्तचाप का यह बड़ा कारण है.

अभिभावकों की अपनी व्यस्तता और जीवनशैली भी बच्चों और किशोरों को प्रभावित करती है. इस समस्या और स्वास्थ्य से जुड़े अन्य मामलों के समाधान के लिए अभिभावकों और शिक्षकों को अग्रणी भूमिका निभानी होगी. तनाव न हो या उसका सामना कैसे किया जाए, इस बारे में स्कूलों में सिखाया जाना चाहिए. माता-पिता को अपनी संतानों के साथ अधिक समय बिताना चाहिए तथा यह जानने-समझने का प्रयास करना चाहिए कि उनके जीवन में क्या चल रहा है.

चिकित्सकीय या मनोवैज्ञानिक परामर्श लेने में कोई हिचक या देरी समस्या को गंभीर बना सकती है. कुछ महानगरीय स्कूलों में बच्चों और अभिभावकों के साथ संवाद की समुचित व्यवस्था है. ऐसे इंतजाम सभी विद्यालयों में किये जाने चाहिए. यदि कम आयु में उच्च रक्तचाप के मसले को संभाल लिया जाए, तो आगे चलकर अनेक गंभीर और घातक स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है.

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