बोधि वृक्ष: प्रेम व करुणा की शक्ति

हम इस धरती से प्रेम व करुणा लुप्तप्राय होने नहीं दे सकते. यदि ऐसा हुआ तो मनुष्य के रूप में पशु रह जायेगा. वर्तमान स्थिति में संदेह होता है कि कदाचित शांति तथा एकता चाहने वाले लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 3, 2022 10:15 AM

हम इस धरती से प्रेम व करुणा लुप्तप्राय होने नहीं दे सकते. यदि ऐसा हुआ तो मनुष्य के रूप में पशु रह जायेगा. वर्तमान स्थिति में संदेह होता है कि कदाचित शांति तथा एकता चाहने वाले लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है. क्या जान-बूझकर मनुष्य अपने भीतर पाशविक वृत्तियों को बढ़ावा दे रहा है? अथवा वो मौजूदा परिस्थितियों का शिकार हो गया है? कारण जो भी हो, केवल मनुष्य के सामर्थ्य में विश्वास रखना गलत होगा.

हमें परमात्मा के सामर्थ्य की आवश्यकता होगी. परमात्मा की शक्ति कहीं बाहर नहीं, हमारे भीतर है. हमें केवल इसे जागृत करना है. जिस शांति की हम जिज्ञासा करते हैं, वह कोई अध्यारोपित शांति नहीं, न ही मृत्योपरांत प्राप्त होने वाली कोई वस्तु है. यह वो शांति है जिसका समाज में तब प्राकट्य होता है जब सब अपने-अपने धर्म पर अटल रहते हों. प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे में अपनी आत्मा का ही दर्शन करते हुए उसका सम्मान करना चाहिए. आज, प्रार्थना एवं साधना की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है.

लोग सोचते हैं कि केवल मेरे प्रार्थना करने से क्या हो सकता है? ऐसी सोच गलत है. प्रार्थना से हम प्रेम के बीज बो रहे हैं. पूरे रेगिस्तान में एक भी फूल खिले, तो कुछ तो होगा. वहां एक भी वृक्ष उगाया जाए, तो क्या थोड़ी सी छाया नहीं देगा? प्रार्थना प्रेम है और प्रेम के माध्यम से विश्वभर में शुद्ध प्रेम की तरंगें हिलोरें लेने लगती हैं. आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों के हृदय प्रेम व करुणा से रिक्त हो गये हैं.

ईश्वर करे करोड़ों लोगों की प्रार्थनाओं के फलस्वरूप वातावरण प्रेम तथा करुणा से सिक्त हो उठे, ताकि उनके दृष्टिकोण में थोड़ा परिवर्तन आये. आज विश्व को स्वार्थी लोगों की आवश्यकता नहीं है. आज हमें आवश्यकता है प्रेम व करुणा से लबालब भरे हृदयों की, जो समाज की असली ताकत हैं. उन्हीं के हाथों समाज का उत्थान संभव है.

कम से कम एक रात के लिए ही सही, विश्व का प्रत्येक व्यक्ति भयमुक्त हो कर सो सके. प्रत्येक व्यक्ति को एक दिन भरपेट भोजन प्राप्त हो. एक भी व्यक्ति हिंसा के कारण अस्पताल का मुंह न देखे. एक दिन निस्वार्थ सेवा द्वारा प्रत्येक व्यक्ति गरीबों, जरूरतमंदों की सहायता करे. – श्री माता अमृतानंदमयी देवी

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