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सीमा सुरक्षा की परियोजनाएं

पूर्वी लद्दाख के न्योमा स्थित हवाई क्षेत्र का विकास कर वहां एक हवाई अड्डा बनाने की परियोजना को काफी अहम बताया जा रहा है. यह जगह एलएसी से मुश्किल से 50 किलोमीटर दूर है.

किसी भी देश के लिए सीमा की सुरक्षा करना बड़ी जिम्मेदारी होती है. सीमा अगर ऐसे देश के साथ लगती हो जिससे दुश्मनी हो तो यह और जरूरी हो जाता है. चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की पुरानी दुश्मनी रही है, और भरोसा इतनी बार टूटा है कि सुरक्षा के साथ किसी तरह की कोताही हो ही नहीं सकती. पिछले कुछ सालों से चीन के साथ भारत के संबंधों में बहुत कड़वाहट आयी है. पूर्वी लद्दाख में चार साल पहले झड़प के बाद से ही 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी पर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है.

चीन आर्थिक और सैन्य तौर पर भारत पर भारी पड़ता है. ऐसे में चीन के साथ लगी सीमा की रखवाली करना बेहद अहम हो जाता है. मगर, इसके लिए सीमा पर बसे इलाकों में आधारभूत ढांचे का विकास बहुत जरूरी है. इसी उद्देश्य से इस सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन या बीआरओ की 90 परियोजनाओं का उद्घाटन किया. यह परियोजनाएं 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हैं. सबसे ज्यादा 36 परियोजनाएं अरुणाचल प्रदेश में हैं, जिसे पिछले महीने चीन ने अपने नक्शे में दिखाया था और जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जतायी थी.

कुल 29 अरब 41 करोड़ रुपये की लागत वाली इन परियोजनाओं के तहत 11 नये सड़क मार्ग, 64 पुल, एक सुरंग, दो हवाई पट्टी और दो हेलीपैड बनाये गये हैं. इनमें पूर्वी लद्दाख के न्योमा स्थित हवाई क्षेत्र का विकास कर वहां एक हवाई अड्डा बनाने की परियोजना को काफी अहम बताया जा रहा है. यह जगह एलएसी से मुश्किल से 50 किलोमीटर दूर है. हवाई अड्डा बनने पर सैनिक यहां विमानों से पहुंच सकेंगे, और आगे मोर्चे पर जा सकेंगे. साथ ही यहां से लड़ाकू विमानों का भी संचालन हो सकेगा.

रक्षा मंत्री ने कहा कि 13,400 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह हवाई अड्डा दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्रों में शुमार होगा और यह सेना के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा. रक्षा मंत्री ने साथ ही कहा कि बुनियादी ढांचे की ऐसी परियोजनाओं से ना केवल सीमाएं सुरक्षित होती हैं, बल्कि दूरदराज के इलाकों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी मदद मिलती है. सीमा सुरक्षा के लिए इन परियोजनाओं की असल वजह चीन की हरकतों का जवाब देना है, जो खुद भी अपनी सीमा में बड़े पैमाने पर सड़क, पुल बनाने से लेकर गांव तक बसा रहा है. सीमा की सुरक्षा के साथ इन दूरस्थ और दुर्गम इलाकों के विकास में सीमा सड़क संगठन की यह परियोजनाएं जरूरी और सराहनीय हैं.

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