बच्चे के लिए अमृत है मां का दूध
Breastfeeding week 2024 इस वर्ष के स्तनपान सप्ताह की थीम है, ‘क्लोजिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल.’ यह स्तनपान को लेकर एक समावेशी सहायता प्रणाली प्रदान करने के महत्व को रेखांकित करता है, ताकि सभी मां और बच्चे को स्तनपान का लाभ मिल सके.
-आस्था अलंग-
प्रत्येक वर्ष, अगस्त के पहले सप्ताह के दौरान विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है. इसका उद्देश्य शिशुओं के स्वास्थ्य और विकास में स्तनपान की भूमिका को उजागर करना है. यह वैश्विक कार्यक्रम स्तनपान के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने और इसे लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर कर दुनियाभर में शिशुओं के लिए स्तनपान को बढ़ावा देता है.
इस वर्ष के स्तनपान सप्ताह की थीम है, ‘क्लोजिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल.’ यह स्तनपान को लेकर एक समावेशी सहायता प्रणाली प्रदान करने के महत्व को रेखांकित करता है, ताकि सभी मां और बच्चे को स्तनपान का लाभ मिल सके. स्तनपान बच्चे के लिए कुदरत का एक अनमोल उपहार है, जो मां और बच्चे दोनों को पोषण व भावनात्मक लगाव प्रदान करता है.
स्तनपान को लेकर उचित जानकारी, सहायता की कमी तथा भिन्न-भिन्न प्रकार की भ्रांतियों के कारण मांओं के लिए बच्चे को स्तनपान कराना आसान नहीं होता. ये कारण उन्हें बच्चों को स्तनपान कराने के लिए हतोत्साहित करते हैं, जिसके चलते बच्चे आवश्यक पोषण से वंचित रह जाते हैं. एक प्रचलित भ्रांति है कि बच्चों को स्तनपान कराना हर मां के लिए आसान और स्वाभाविक है, जो सही नहीं है. बच्चे को स्तनपान कराने के लिए मां और बच्चे दोनों को अभ्यास और सहायता की आवश्यकता होती है.
फॉर्मूला फीडिंग या बोतलबंद दूध को लेकर भी मान्यता है कि यह बच्चों के लिए मां के दूध के समान ही लाभकारी है, जो बिल्कुल गलत है. मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोपरि है. इससे न केवल बच्चों में रोग प्रतिरोधक और मानसिक क्षमता का विकास होता है, बल्कि उन्हें भरपूर पोषण भी मिलता है. मां का दूध शिशुओं को रोगों से बचाने के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है. एक धारणा यह भी है कि जन्म के तुरंत बाद नवजात को मां से अलग कर देना चाहिए, ताकि मां को आराम मिल सके. वास्तविकता यह है कि जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का स्पर्श और स्नेह नवजात के शरीर को गर्म रखने एवं मां के साथ भावनात्मक लगाव उत्पन्न करने के लिए जरूरी है.
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि गर्मी में शिशु को स्तनपान के साथ पानी या अन्य तरल पदार्थ देना चाहिए, ताकि उनकी पानी की जरूरतें पूरी हो सकें, परंतु बच्चे को मां के दूध के अतिरिक्त और किसी चीज की आवश्यकता नहीं होती. एक मान्यता यह भी है कि कामकाजी माताएं व्यस्तता के चलते बच्चों को दूध नहीं पिला सकतीं, जबकि यदि परिवार के सदस्यों या स्वास्थ्यकर्मियों का सहयोग मिले तो मां का दूध निकाल, उसे अच्छी तरह संग्रहित करके रखा जा सकता है तथा मां की अनुपस्थिति में बच्चे को पिलाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त, और भी बहुत सारे भ्रम और धारणाएं स्तनपान को लेकर हैं, जिन्हें समय रहते दूर करने की आवश्कता है.
बच्चे के जन्म के पहले एक घंटे को ‘गोल्डन ऑवर’ कहा गया है, क्योंकि इस एक घंटे के अंदर बच्चे को स्तनपान कराना काफी महत्वपूर्ण है. यूनिसेफ तथा डब्ल्यूएचओ, माताओं को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि जन्म के पहले एक घंटे के दौरान बच्चे को जरूर स्तनपान कराना चाहिए तथा अगले छह माह तक बच्चे को स्तनपान के अतिरिक्त कुछ नहीं देना चाहिए. छह माह के बाद मां के दूध के साथ बच्चे को ऊपरी आहार देना शुरू करना चाहिए और दो वर्ष तक बच्चे को स्तनपान जारी रखना चाहिए.
ऐसा करने से बच्चे को न केवल भरपूर पोषण, बल्कि उसे कई बीमारियों से सुरक्षा भी मिलेगी. स्तनपान कराने से मां के अंदर ऑक्सिटोसिन हार्मोन का स्राव होता है, जो मां और बच्चे के बीच बॉन्डिंग बढ़ाने का काम करता है. इससे माताओं में कुछ खास किस्म के कैंसर और डायबिटिज जैसी बीमारियों के विकसित होने की संभावना भी कम हो जाती है. इतना ही नहीं, यह फॉर्मूला फीडिंग की तुलना में समय और पैसे की भी बचत करता है तथा बच्चे के लिए एक सुविधाजनक तथा हमेशा उपलब्ध रहने वाला भोजन का स्रोत मुहैया कराता है. परंतु दुर्भाग्यवश, स्तनपान के इतने सारे प्रमाणित लाभों के बावजूद, दुनियाभर में लाखों बच्चों को जन्म के पहले छह महीने के दौरान विशेष रूप से स्तनपान नहीं कराया जाता है, जो उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है.
माताओं को अपने नवजात शिशु के पालन-पोषण की यात्रा में अपने परिवार के साथ-साथ कार्यस्थलों और समाज के सहयोग व समर्थन की भी आवश्यकता है. कामकाजी माताओं के लिए स्तनपान हेतु अनुकूल कार्यस्थल बनाना भी महत्वपूर्ण है. बच्चे को स्तनपान कराने में सहयोग करने में समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. स्वयंसेवी संगठन तथा स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता भी स्तनपान के महत्व एवं आवश्यकता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं.
विश्व स्तनपान सप्ताह दुनियाभर में बच्चों एवं माताओं के हित में स्तनपान का समर्थन करने की हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने का एक अवसर है. हम स्तनपान को लेकर सटीक जानकारी और व्यापक समर्थन प्रदान करके यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रत्येक बच्चे को जीवन में अच्छी शुरुआत मिले. निश्चित रूप से हमारा यह सामूहिक प्रयास सभी बच्चों के लिए अधिक स्वस्थ एवं समतापूर्ण भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा.
(ये लेखिकाद्वय के निजी विचार हैं.)