23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कनाडा के रवैये से भारत के साथ बिगड़ेंगे संबंध

हरदीप सिंह निज्जर की मौत आपसी गैंगवार में हुई, लेकिन कनाडा ने उसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया है, और हमारे राजनयिकों को निशाना बनाया है.

कनाडा पिछले चार दशकों से ज्यादा समय से आतंकवादी और अलगाववादी समूहों को पनाह दे रहा है. इस वजह से आज वे बहुत ताकतवर हो गये हैं और अब राजनीति में भी उनका दबदबा होता जा रहा है. कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में ऐसे समूहों का पूरा कब्जा हो चुका है. वहां अब ऐसे लोग मंत्री भी बन रहे हैं और गुरुद्वारों में भी उनका आधिपत्य हो गया है. ऐसे तत्व अब वहां से खालिस्तान के पृथकतावादी आंदोलन, या किसान आंदोलन जैसे मुद्दों से भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो भी ऐसे तत्वों को समर्थन दे रहे हैं क्योंकि उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य कमजोर नजर आ रहा है.

कनाडा में एसएफजे नाम के एक अलगाववादी संगठन ने पिछले दिनों ब्रिटिश कोलंबिया के एक गुरुद्वारे में खालिस्तान के नाम पर जनमत संग्रह भी आयोजित करवा दिया. यह घटना ऐसे दिन हुई जब कनाडा के प्रधानमंत्री भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे थे, और जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने कनाडा के प्रधानमंत्री से वहां जारी भारत-विरोधी घटनाओं के जारी रहने पर गहरी चिंता जतायी थी. ऐसी घटनाओं से भारत के सामने काफी परेशानी खड़ी हो जाती है क्योंकि सारी दुनिया में भारत ने आतंकवाद से सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है.

भारत कनाडा को लगातार ऐसे गुटों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कह रहा है, मगर वे हमारी जायज चिंताओं पर ध्यान नहीं दे रहे. ट्रुडो का पारिवारिक अतीत भी ऐसा ही रहा है. वर्ष 1982 में भारत ने कनाडा से बलविंदर परमार नाम के एक अलगाववादी को सौंपने की मांग की थी, लेकिन तब ट्रुडो के पिता और कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियर ट्रुडो ने यह कहते हुए सहयोग नहीं किया कि भारत चूंकि राष्ट्रमंडल का हिस्सा है इसलिए यह संभव नहीं है. इसके बाद 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क विमान में बम धमाका हुआ और भारत उसके बारे में भी कनाडा से लगातार आवाज उठाता रहा. फिर, वहां से एक पत्रिका प्रकाशित हुई, जिसमें 1984 में इंदिरा गांंधी की हत्या का महिमामंडन किया गया. अब इसके बाद हरदीप सिंह निज्जर की मौत आपसी गैंगवॉर में हुई, लेकिन कनाडा ने उसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया है, और हमारे राजनयिकों को निशाना बनाया है.

इससे एक बार फिर ये स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे भारत विरोधी तत्व कनाडा में काफी प्रभावशाली हो चुके हैं. कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियां बीच में थोड़ी कम हो गयी थीं. भारत में भी, और कनाडा में भी खालिस्तान समर्थक गुटों की संख्या बड़ी नहीं है. बब्बर खालसा, सिख फॉर जस्टिस या टाइगर फ्रंट जैसे गुटों को छोड़ दिया जाए, या गुरुद्वारों पर आधिपत्य जमाये लोगों को छोड़ दिया जाए, तो कनाडा में बसे भारतीय मूल के लोग पूरी तरह से भारत के साथ हैं. लेकिन, खालिस्तान समर्थकों ने एक राजनीतिक प्रभाव कायम कर लिया है, जिसका वे लाभ उठाते हैं, और वहां की सरकार भी इन गुटों के साथ हो गयी है. वहां ऐसे ही लोग मंत्री भी बन रहे हैं. ऐसे लोग जानकर ऐसा प्रचार करने की कोशिश करते हैं जैसे कनाडा के सारे भारतीय समुदाय का समर्थन उनके पास है.

जस्टिन ट्रुडो वर्ष 2018 में जब बतौर प्रधानमंत्री अपनी पहली भारत यात्रा पर आये थे तो उस दौरान भी उनके प्रतिनिधिमंडल में एक खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल शामिल था. इससे भी अंदाजा मिलता है कि वह कैसे अपने मेजबान भारत का अपमान कर रहे थे. इसी प्रकार पिछले दिनों जी-20 सम्मेलन के दौरान जब भारतीय प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात हुई, तब भी उनसे कहा गया कि वह भारत विरोधी तत्वों को काबू में करें और राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. अब कनाडा के प्रधानमंत्री ने उन मुद्दों पर तो कुछ नहीं किया लेकिन जाकर संसद के निचले सदन में एलान कर दिया कि उनकी खुफिया एजेंसियां खालिस्तानी टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने की संभावना की जांच कर रहे हैं. कनाडा के नागरिक निज्जर की 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में एक गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. लेकिन, ट्रुडो ने यह बयान देते हुए कोई सबूत नहीं दिये, जबकि भारत ने हर बार सबूतों के साथ बात की है. उन्होंने एक कहानी बनायी और स्थानीय लोगों का वोट बटोरने के उद्देश्य से यह कदम उठा डाला.

कनाडा ने भारत के एक राजनयिक को निष्कासित कर दिया है और जवाब कार्रवाई करते हुए भारत ने भी उनके एक राजनयिक को देश छोड़ने के लिए कह दिया है. भारत ने कनाडा के प्रधानमंत्री के बयानों को पूरी तरह खारिज भी कर दिया है. कनाडा ने इस घटना को लेकर निहायती अपरिपक्व रवैया दिखाया है. यदि उनके पास कोई सबूत है भी, तो वे इसे द्विपक्षीय स्तर पर भारत के समक्ष उठा सकते थे. मुझे लगता है कि इन घटनाओं से कनाडा के साथ भारत के कूटनीतिक संबंध बिगड़ रहे हैं. कनाडा के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौते के लिए चर्चा रुक ही चुकी है. भारत आज कनाडा से पांच गुना बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. ऐसे में कनाडा को भारत के साथ आर्थिक संबंध बनाए रखने की ज्यादा जरूरत है.

(बातचीत पर आधारित) (ये लेखक के निजी विचार हैं)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें