profilePicture

सोशल मीडिया के उपयोग में सावधानी की दरकार

social media : टेलीग्राम मैसेजिंग एप पर सक्रिय चैनलों और समूहों के माध्यम से कई तरह के गैरकानूनी कार्यों को मूर्त रूप दिया जा रहा है. इसमें सिनेमा, वेब सीरीज, इ-बुक, सॉफ्टवेयर, हैकिंग सॉफ्टवेयर आदि को बिना अनुमति साझा करना सबसे सामान्य है.

By सतीश सिंह | March 12, 2025 7:30 AM
an image

नकारात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए टेलीग्राम पर वैश्विक स्तर पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. ऑस्ट्रेलिया की इ-सेफ्टी कमीशन ने मार्च 2024 में यूट्यूब, एक्स, फेसबुक, टेलीग्राम को लाइव स्ट्रीमिंग फीचर्स, एल्गोरिदम और रिकमेंडेशन सिस्टम के जरिये चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नोटिस दिया था. कमीशन ने टेलीग्राम से विशेष रूप से पूछा था कि वह बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री को रोकने के लिए क्या कदम उठा रहा है? पुनश्च, अगस्त 2024 में टेलीग्राम के संस्थापक श्री पावेल ड्यूरोव को अवैध गतिविधियों में एप के इस्तेमाल के आरोप में फ्रांस में गिरफ्तार कर लिया गया था. इस वर्ष भी मध्य प्रदेश बोर्ड की 10वीं व 12वीं परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों को टेलीग्राम पर खरीदा और बेचा जा रहा था. ये उदाहरण महज बानगी भर हैं, इन प्लेटफॉर्म पर किये जा रहे काले कारनामों की लंबी फेहरिस्त है.


टेलीग्राम मैसेजिंग एप पर सक्रिय चैनलों और समूहों के माध्यम से कई तरह के गैरकानूनी कार्यों को मूर्त रूप दिया जा रहा है. इसमें सिनेमा, वेब सीरीज, इ-बुक, सॉफ्टवेयर, हैकिंग सॉफ्टवेयर आदि को बिना अनुमति साझा करना सबसे सामान्य है. यहां निवेश, लॉटरी या अन्य फर्जी आकर्षक योजनाओं की आड़ में ठगी को अंजाम दिया जाता है. डार्क वेब के जरिये ड्रग्स, अश्लील फोटो व वीडियो, क्रेडिट कार्ड के विवरण आदि की खरीद-फरोख्त की जाती है. यहां फर्जी खबरों, सूचनाओं और अफवाहों का भी प्रचार-प्रसार किया जाता है, जिससे सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक अस्थिरता फैलने की आशंका रहती है. राजनीतिक दल, व्यक्ति विशेष और कारोबारी इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अपने एजेंडे और विविध उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए करते हैं. चरमपंथी संगठन भी इसके माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार करते हैं. चूंकि टेलीग्राम स्वतंत्र स्रोत और निजी मैसेजिंग को बढ़ावा देता है, इसलिए, इस पर लगाम लगाना मुश्किल है.

व्हाट्सएप दुनिया का सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग एप है. इसका इस्तेमाल भी अवैध और अनैतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है. व्हाट्सएप और टेलीग्राम दोनों में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की सुविधा होने के कारण गैर-कानूनी कार्यों को अंजाम देना आसान होता है. व्हाट्सएप फॉरवर्ड के जरिये अफवाहें और झूठी खबरें तेजी से फैलती हैं. कोरोना महामारी के दौरान भी वैक्सीन, स्वास्थ्य, सरकारी योजनाओं से जुड़ी भ्रामक जानकारी फैला कर लोगों को भ्रमित किया गया था. फर्जी लॉटरी और नौकरी का झांसा, बैंकिंग और ओटीपी धोखाधड़ी, क्रिप्टो में निवेश, झूठी निवेश योजनाओं, केवाइसी अपडेट धोखाधड़ी, सिम ब्लॉक होने आदि मैसेज भेजकर भी धोखाधड़ी की जा रही है. डीपफेक और मॉर्फ्ड फोटो के जरिये भी ठगी हो रही है. डेटिंग स्कैम के तहत लड़कियों के नाम से नकली प्रोफाइल बनाकर लोगों को ठगा जा रहा है. फर्जी व्हाट्सएप बिजनेस अकाउंट बना नकली सामानों को बेचा जा रहा है.


स्नैपचैट के डिसअपीयरिंग मैसेज फीचर का लाभ उठाकर ड्रग, हथियार, और नकली दस्तावेजों की खरीद-फरोख्त की जा रही है. यहां फर्जी प्रोफाइल बनाकर लोगों से दोस्ती करना और फिर उनकी निजी तस्वीरें व वीडियो लीक करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करना आम हो गया है. अश्लील कंटेंट का स्नैपचैट एक बड़ा अड्डा बन चुका है. यहां पेड सब्सक्रिप्शन मॉडल सक्रिय है. निजी स्नैप या प्रीमियम स्नैप जैसे कोड वर्ड के जरिये गैरकानूनी तरीके से एडल्ट कंटेंट को यहां खरीदा व बेचा जाता है. वहीं फेसबुक और इंस्टाग्राम पर धोखाधड़ी एवं ठगी के लिए पैसे देकर फॉलोअर, लाइक, कमेंट व व्यूज खरीदे व बेचे जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर फर्जी नौकरी के ऑफर, फर्जी लिंक भेजकर लोगों की निजी जानकारी व बैंक विवरण चुराये जा रहे हैं. आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे नकली पहचान पत्र बेचे जा रहे हैं. ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी की जा रही है. इन प्लेटफॉर्मों पर फर्जी ब्रांड और ऑनलाइन स्टोर भी सक्रिय हैं, जो सस्ती दर पर उत्पाद बेचने का लालच देकर ठगी को अंजाम देते हैं.

यूट्यूब भी ठगी का बड़ा माध्यम है. यहां भी गैर-कानूनी कंटेंट और अश्लील रील दिखाये जा रहे हैं. साथ ही, सब्सक्राइबर, व्यूज और लाइक खरीदे व बेचे जा रहे हैं. पायरेसी और कॉपीराइट उल्लंघन, फर्जी गुरु, फर्जी मोटिवेशनल स्पीकर सभी इस चैनल पर ठगी की दुकान चला रहे हैं. कई यूट्यूब चैनल भ्रामक खबरें, अफवाह और झूठे दावे फैलाकर करोड़ों व्यूज एवं पैसे कमाते हैं. धर्म, राजनीति और समाज से जुड़े विवादास्पद कंटेंट बनाकर भी पैसे कमाये जा रहे हैं. कई तरह के झूठे दावे किये जाते हैं, जिसमें स्वास्थ्य सबसे प्रमुख है.


सरकार मैसेजिंग एप और सोशल मीडिया के जरिये हो रहे काले कारनामों से वाकिफ है, पर अभी तक कोई ऐसा कानून या उपाय लेकर हमारे समक्ष नहीं आ पायी है, जिससे आमजन को इन परेशानियों से मुक्त कराया जा सके. ऐसे में यूजर्स को ही सावधान रहने की जरूरत है. नाबालिगों के संदर्भ में माता-पिता की जिम्मेदारी बदले परिवेश में बढ़ गयी है. उन्हें हर समय सतर्क रहने, बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखने और उनके कार्य-कलापों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Next Article

Exit mobile version