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अब कृषि क्षेत्र के लिए भी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया जायेगा. हालांकि हम खाद्यान्न के मामले में बहुत पहले आत्मनिर्भर हो चुके हैं, पर सभी भारतवासियों के लिए खाद्य सुरक्षा और पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करने की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है.

Agriculture sector and food security : केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र और खाद्य सुरक्षा को मजबूती देने के लिए सात बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट के निर्णयों का उद्देश्य खेती से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देना तथा किसानों के जीवन को बेहतर करना है. इन परियोजनाओं के लिए 13,966 करोड़ रुपये के आवंटन को हरी झंडी दिखायी गयी है. इस आवंटन में से 2,817 करोड़ रुपये डिजिटल कृषि मिशन तथा 2,291 करोड़ रुपये कृषि शिक्षा एवं प्रबंधन के लिए निर्धारित किये गये हैं. डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से कई क्षेत्रों में विकास की नयी इबारत लिखी जा रही है.

अब कृषि क्षेत्र के लिए भी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया जायेगा. हालांकि हम खाद्यान्न के मामले में बहुत पहले आत्मनिर्भर हो चुके हैं, पर सभी भारतवासियों के लिए खाद्य सुरक्षा और पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करने की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है. इस संबंध में एक विशेष योजना बनायी जा रही है, जिस पर 3,979 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इस योजना के तहत देशभर में पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि भूख और कुपोषण जैसी महती चुनौतियों का ठोस समाधान हो सके.

कोरोना काल से ही मुफ्त राशन योजना चलायी जा रही है. इस योजना के तहत गरीब एवं वंचित परिवारों को प्रति व्यक्ति के हिसाब से पांच किलो राशन हर महीने दिया जाता है. इसके लाभार्थियों की संख्या 80 करोड़ से अधिक है. इसी तरह, पोषण मिशन के अंतर्गत अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. पशुपालन और बागवानी खेती के अहम हिस्से हैं. फलों, सब्जियों, दुग्ध उत्पाद, मांस आदि के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और उपलब्धता के लक्ष्यों के साथ योजनाओं को तैयार किया गया है. कृषि विज्ञान केंद्रों को मजबूत करने तथा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए भी कैबिनेट ने आवंटन को मंजूरी दी है.

कृषि से संबंधित कुछ अहम चुनौतियां हमारे सामने हैं, जिनमें किसानों की आमदनी बढ़ाना सबसे प्रमुख है. कृषि आय बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा आधार मिलेगा तथा राष्ट्रीय विकास की गति भी बढ़ेगी. जलवायु परिवर्तन से पैदा हो रहीं समस्याएं, जैसे बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि, तापमान में वृद्धि आदि, खेती के सामने नयी मुश्किलें लेकर आयी हैं. पानी, मिट्टी और उपज का संरक्षण भी आवश्यक है. इन परेशानियों के हल के लिए खेती में विविधता लाना, पानी और रसायनों की खपत कम करने के लिए उन्नत बीज इस्तेमाल करना, तकनीक का उपयोग बढ़ाना, नयी फसलों को अपनाना आदि जैसे उपाय आवश्यक होते जा रहे हैं. सरकार की सात नयी योजनाओं के केंद्र में इन उपायों को बढ़ावा देने तथा किसानों को उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित करने का उद्देश्य है.

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