चीनी सेना की हरकतें
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाड़े के मौसम के हिसाब से भारतीय सैन्य टुकड़ियों की तैनाती का काम जारी है. लगभग 35 सौ किलोमीटर लंबी इस अस्थायी सीमा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की हरकतों पर भी नजर रखी जा रही है.
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाड़े के मौसम के हिसाब से भारतीय सैन्य टुकड़ियों की तैनाती का काम जारी है. लगभग 35 सौ किलोमीटर लंबी इस अस्थायी सीमा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की हरकतों पर भी नजर रखी जा रही है. उल्लेखनीय है कि ढाई साल से अधिक समय जारी तनातनी में कमी तो आयी है, परंतु चीनी सेना की गतिविधियां अभी भी आपत्तिजनक हैं. कुछ दिन पहले थल सेनाध्यक्ष जेनरल मनोज पांडे ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि पूरे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण का काम लगातार चल रहा है
तथा लद्दाख में अक्साई चिन के अवैध कब्जे वाले इलाके में चीनी टुकड़ियों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आयी है. हाल में आयोजित हुए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक से एक माह पहले चीन ने पूर्वी क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ायी थी. इन गतिविधियों से स्पष्ट है कि चीन भले ही बातचीत से सीमा विवाद को सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने की बात करता हो, लेकिन उसकी असल मंशा तनाव को बढ़ाना तथा इस क्षेत्र में अपनी ताकत की धौंस जमाना है.
बरसों से दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में भी चीन का यही रवैया रहा है. भारत की ओर से लगातार कहा गया है कि सीमा पर जारी तनाव को स्थापित प्रक्रियाओं के तहत सुलझाया जाना चाहिए तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों की संख्या में कमी की जानी चाहिए. भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह का प्रभावी निर्णय तभी हो सकेगा, जब लद्दाख क्षेत्र की अस्थायी सीमा पर अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल किया जायेगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर कहते रहे हैं कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध तभी सामान्य हो सकेंगे, जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति एवं स्थिरता रहेगी.
दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच 17वें चरण की बैठक का समय अभी निर्धारित नहीं हुआ है. सामान्य दिनों में जाड़े के मौसम में अक्सर सैन्य टुकड़ियां पीछे आ जाती हैं क्योंकि अग्रिम चौकियों पर स्थिति बहुत कठिन हो जाती है. लेकिन अब जब चीन ने बड़ी संख्या में सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास जमा किया है, तो भारतीय सेना को भी अपनी कमान पर डटे रहना पड़ सकता है. पहले भी भारत के भरोसे का अनुचित लाभ उठाकर चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करते रहे हैं.
आगामी कुछ दिनों में चीन के रवैये के बारे में कुछ ठोस संकेत मिलने की संभावना है, लेकिन हमारी सेना किसी भी संभावित परिस्थिति के लिए मुस्तैद है. यदि चीन कोई बेजा हरकत करता है, तो वह अपनी गिरती हुई साख में ही बट्टा लगायेगा.