चीन की घुसपैठ

चौतरफा मुश्किलों से घिरी चीनी सरकार अपने नागरिकों को यह दिखाकर तुष्ट करना चाहती है कि उसने भारत पर दबाव बढ़ा दिया है तथा इस इलाके में उसका दबदबा कायम है.

By संपादकीय | May 26, 2020 5:05 AM

चौतरफा मुश्किलों से घिरी चीनी सरकार अपने नागरिकों को यह दिखाकर तुष्ट करना चाहती है कि उसने भारत पर दबाव बढ़ा दिया है तथा इस इलाके में उसका दबदबा कायम है.

लद्दाख में भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चार स्थानों पर पिछले कुछ दिनों से चीनी सैनिकों की घुसपैठ हो रही है. रिपोर्टों के अनुसार, विवादित क्षेत्र में चीन बंकर भी बना रहा है. तथा बड़ी संख्या में सैनिकों के अलावा भारी साजो-सामान भी लाया गया है. जाहिर है कि चीन का इरादा इलाके में तनाव बढ़ाने का है. यह घटनाक्रम इसलिए भी गंभीर है कि इस महीने के शुरू में सिक्किम के पास भी झड़प हो चुकी है. आम तौर पर विवादित क्षेत्रों में निगरानी के लिए घूमती टुकड़ियों के बीच तनातनी होती रहती है, लेकिन वर्तमान प्रकरण उनसे बिल्कुल अलग है. भारतीय सेना की ओर से भी इन जगहों पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गयी है तथा शुक्रवार को सेनाध्यक्ष एमएम नरवाणे ने लद्दाख का दौरा भी किया है.

यह भी उल्लेखनीय है कि एक ओर जहां कुछ जगहों पर तनातनी है, तो कई जगहों पर पूर्ववर्ती समझौते के मुताबिक दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियां नियमित रूप से मिल-जुल भी रही हैं. लेकिन पड़ोसी देशों के हालिया रवैये का संज्ञान लेते हुए चीन की इस कवायद को व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए. अभी चीन कोरोना वायरस के बारे में समय से जानकारी न देने के आरोपों तथा व्यापारिक अविश्वास की चुनौतियों का सामना कर रहा है. इसके बावजूद वह साउथ चाइना सी, ताइवान और हांगकांग को लेकर धौंस जमाने से बाज नहीं आ रहा है. हाल के दिनों में पाकिस्तान और नेपाल ने चीन की शह पर ही भारत के खिलाफ बेतुकी बयानबाजी का सिलसिला शुरू किया है. चीनी सरकार द्वारा नियंत्रित मीडिया में भारत को लद्दाख और सिक्किम में आक्रामक के रूप में दिखाने का रूख भी इसी कड़ी में है.

यहां यह सवाल नहीं है कि चीन के दावे क्या हैं और भारत को उनसे क्या असहमति है क्योंकि सीमा से जुड़े विवादों के समाधान के लिए उच्च स्तरीय व्यवस्था बनी हुई है तथा दोनों देशों के नेताओं और अधिकारियों की बैठकें भी होती रहती हैं. सवाल तो यह है कि इसके बावजूद चीन उकसावे की हरकतें करने पर क्यों आमादा है. एक वजह यह है कि चौतरफा मुश्किलों से घिरी चीनी सरकार अपने नागरिकों को यह दिखाकर तुष्ट करना चाहती है कि उसने भारत पर दबाव बढ़ा दिया है तथा इस इलाके में उसका दबदबा कायम है. लेकिन उसे यह भी समझना चाहिए कि भारत इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता है और यह उसने दोकलाम मसले में दिखा भी दिया है. चीन को यह भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि अमेरिका और आसियान समूह के बाद भारत उसका सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और यदि चीन को मौजूदा आर्थिक संकट से निकलना है, तो उसे भारत के सहयोग की भी जरूरत होगी. लद्दाख में चीनी शरारत के खिलाफ भारत को कूटनीतिक स्तर पर तुरंत सक्रिय होना चाहिए और चीन को ऐसी हरकतों से बाज आने की हिदायत देनी चाहिए.

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