प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि पिछले नौ सालों में स्वच्छ भारत अभियान एक बड़ा अभियान बना है जिसमें देश के हर वर्ग ने अपना योगदान दिया है. लेकिन उन्होंने कहा है कि भारत को स्वच्छ बनाने के प्रयास को तब तक जारी रखना है जब तक कि स्वच्छता भारत की पहचान न बन जाए. प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण है. भारत कितना स्वच्छ है इसका जवाब हम सब जानते हैं. देश की राजधानी दिल्ली से लेकर गांव-देहात तक, हर सड़क-गली-नुक्कड़ में स्वच्छता की कोशिशों को मुंह चिढ़ाते उदाहरण मिल जाते हैं. यह एक कटु सत्य है कि स्वच्छता अभी भी भारत की पहचान नहीं है. लेकिन, इस पहचान को बदलने की कोशिश हो रही है. स्वच्छ भारत इसी इरादे से शुरू किया गया एक अभियान है. प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के पहले ही वर्ष में गांधी जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ किया था. इसका लक्ष्य पांच साल के भीतर यानी दो अक्टूबर 2019 तक स्वच्छ भारत का लक्ष्य हासिल करना था, जो महात्मा गांधी की डेढ़ सौवीं जयंती का वर्ष था.
लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं हो सका है. जैसे, इस अभियान का एक लक्ष्य गांवों में हर घर में शौचालय की व्यवस्था करना था ताकि खुले में शौच को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके. जिस वर्ष अभियान लागू किया गया था उस वर्ष भारत में खुले में शौच करनेवाले लोगों की संख्या लगभग 45 करोड़ थी. हाल ही में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जानकारी दी है कि देश के 75 प्रतिशत अर्थात लगभग चार लाख 40 हजार गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं. स्पष्ट है कि अभी भी देश के एक-चौथाई गांवों में खुले में शौच की मजबूरी जारी है. ऐसे ही स्वच्छ भारत अभियान के दूसरे चरण में शहरों को स्वच्छ करने का संकल्प लिया गया था. इसके तहत कचरे के वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण जैसे लक्ष्य निर्धारित किये गए थे.
इस दिशा में प्रगति जरूर हुई है और जगह-जगह कूड़ेदान भी दिखते हैं, तथा मोहल्लों में कचरा उठानेवाली गाड़ियां आदि भी आया करती हैं. लेकिन अभी भी आस-पास निगाह दौड़ाने पर गंदगी दिखाई देती ही है. प्रधानमंत्री ने संभवतः इसी बात को महसूस कराने के उद्देश्य से एक अक्टूबर की सुबह 10 बजे देश के सभी नागरिकों से अपने आस-पड़ोस में सफाई के लिए एक घंटे के श्रमदान का आह्वान किया है. स्वच्छ भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए हर देशवासी को स्वच्छता को लेकर सजग रहना चाहिए.