24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जलवायु परिवर्तन एवं मलेरिया

विशेषज्ञों के अनुसार, अपेक्षाकृत अधिक गर्मी मच्छर के भीतर मलेरिया परजीवी के विकास तथा संचरण की संभावना को बढ़ा सकती है.

धरती के तापमान में बढ़ोतरी तथा जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक आपदाओं की त्वरा के साथ-साथ स्वास्थ्य से संबंधित जोखिम भी बढ़ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि मलेरिया की रोकथाम के लिए हो रहे प्रयासों के लिए जलवायु परिवर्तन एक खतरा बनता जा रहा है. भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों में मलेरिया एक बड़ी चुनौती है. वातावरण का तापमान और उमस बढ़ने तथा अनियमित बरसात या अतिवृष्टि आदि से मलेरिया का कारण बनने वाले मच्छरों के व्यवहार और वृद्धि पर असर पड़ रहा है.
विशेषज्ञों के अनुसार, अपेक्षाकृत अधिक गर्मी मच्छर के भीतर मलेरिया परजीवी के विकास तथा संचरण की संभावना को बढ़ा सकती है. अनियमित बारिश और नमी से मच्छरों को पैदा होने के अनुकूल वातावरण मिल सकते हैं तथा उन्हें प्रजनन के लिए जगह मिल सकती है. 
ऐसी स्थिति में मलेरिया के मामले बढ़ने की आशंका बढ़ जायेगी. एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि जलवायु परिवर्तन से जहां कई स्थानों पर मलेरिया के मामले बढ़ सकते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसी जगहों पर यह बीमारी वापस भी आ सकती है, जहां से इसका उन्मूलन हो चुका है.
इससे स्वास्थ्य सेवा पर बोझ बहुत बढ़ सकता है और मलेरिया की रोकथाम के लिए अब तक हुए प्रयास एवं उपलब्धियों का मतलब नहीं रह जायेगा. भारत के लिए यह बड़ी चुनौती है. देश की लगभग 95 प्रतिशत आबादी मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में वास करती है. 
हमारे यहां 80 प्रतिशत मामले उन जगहों से आते हैं, जहां जनसंख्या का 20 प्रतिशत हिस्सा रहता है. ये जगहें आदिवासी, पहाड़ी, दुर्गम और दूर-दराज के क्षेत्र हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में दुनिया के 96 प्रतिशत मलेरिया के मामले केवल 29 देशों में दर्ज किये गये थे. भारत में 1.7 प्रतिशत मामले थे और मौतों में 1.2 प्रतिशत का हिस्सा था. 
अगर दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र को देखें, अनुमानित मामलों में 83 प्रतिशत तथा मौतों में 82 प्रतिशत की हिस्सेदारी भारत की थी. दर्ज मामलों में इस क्षेत्र में भारत का हिस्सा 36.4 प्रतिशत था. अनुमानित और दर्ज मामलों के आंकड़ों में इस अंतर का कारण कोरोना महामारी से उत्पन्न स्थितियां हैं, फिर भी कोशिश की जानी चाहिए कि हर मामला दर्ज किया जाए. 
निश्चित रूप से दो दशक से मलेरिया की रोकथाम में उल्लेखनीय सफलता मिली है, फिर भी यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. जलवायु परिवर्तन इसे खतरनाक दिशा मुहैया करा सकता है. हमें इस पर भी ध्यान देना चाहिए कि मलेरिया की जांच और उपचार की सुविधाओं का विस्तार हो. बहुत सी मौतें समय पर जांच नहीं होने और उपचार न मिलने के कारण होती हैं. 

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें