सामूहिकता है सफलता का मंत्र
मैंने झारखंड के लोगों को बड़े शहरों में कड़ी मेहनत करते देखा है. वे लोग अपने घर पैसा भेजते हैं ताकि उनके बच्चे एक बेहतर जिंदगी का सपना देख सकें.
पिछले 18 फरवरी को मैंने झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ ली. लोगों की भावना का ख्याल रखते हुए, मैंने चार महीनों में झारखंड के सभी 24 जिलों का भ्रमण किया. झारखंड के चौबीस जिलों में यात्रा के दौरान समाज के सभी वर्ग के लोगों, विशेषकर बच्चों, महिलाओं, वृद्धों, युवाओं से संवाद के क्रम में उनका स्नेह तो मिला ही, मुझे यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विकास कार्यों के अवरोधक तत्वों का भी ज्ञान हुआ.
हमारी यात्रा के क्रम में, गांव में किशोर-किशोरियों ने रोजगार में सहायक अच्छे स्कूल-कॉलेज की मांग की. महिलाओं ने स्वास्थ्य सुविधाओं की कम उपलब्धता सहित पीने के पानी की समस्या का जिक्र किया, तो किसानों ने सिंचाई का मुद्दा उठाया. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिलने में होने वाली परेशानियों की भी शिकायत मिली. झारखंड में एक बड़ी आबादी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है.
जमीन को लेकर कब्जा, नकली कागजात और अपराधियों के डर से गांव और शहर में रह रहे लोग चाहते हैं कि जमीन के भू-अभिलेख डिजिटाइज्ड हों. आम लोगों ने जमीन माफिया के विरुद्ध कानूनी लड़ाई लड़ने में अपनी असमर्थता को देखते हुए एक फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाये जाने की प्रार्थना की है, जिससे जमीन संबंधित विवादों का समाधान जल्दी हो सके. आये दिन अपराधियों के कारनामों को देखते हुए सामान्य जन का चिंतित होना स्वाभाविक है. माफिया और हथियारबंद गिरोहों पर नकेल कसने के लिए तेज और ईमानदारी से जांच एक अनिवार्य शर्त है.
लोगों से संवाद के क्रम में मुझे महसूस होता रहा कि अधिकतर लोगों को सरकारी योजनाओं के प्रति जमीनी स्तर पर जागरूकता फैलाने और त्वरित गति से लाभ पहुंचाने की जरूरत है. झारखंड में वरिष्ठ अधिकारियों की समीक्षा बैठक में लगातार इस बात पर जोर दिया गया है कि हम सभी यहां आम जन के कल्याण के लिए लोक सेवक की भूमिका में हैं, जैसा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही उल्लेख किया है. ग्रामीणों के लिए, केंद्र सरकार की कुछ प्रमुख योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना,
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, हर घर नल योजना, अंत्योदय अन्न योजना, सार्वभौमिक पेंशन योजना और राज्य सरकार द्वारा चलायी गयी जननी सुरक्षा योजना, पशुधन योजना, फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान जैसी योजनाएं मौजूद हैं. ऐसे ही प्रदेश में एकलव्य विद्यालय, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, उत्कृष्ट विद्यालय जैसे संस्थान बालिकाओं-बालकों की शिक्षा के लिए मौजूद हैं.
लेकिन, आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की बेहतरी से संबंधित सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी दिखी. निश्चित रूप से कुछ सरकारी अधिकारियों और स्वयं सहायता समूहों के गरीबी से उबारने, जागरूकता फैलाने और लोगों के जीवन में खुशी लाने के प्रयासों की मैं सराहना करता हूं. इस तरह के अच्छे प्रयास और बड़े स्तर पर करने की जरूरत है.
मैं सरकारी और सामाजिक संस्थाओं और सभी लोगों का आह्वान करता हूं कि विकास कार्यों की गति को तेज किया जाए जिससे राज्य से बच्चों, महिलाओं और युवाओं का पलायन रोका जा सके. मैंने झारखंड के लोगों को बड़े शहरों में कड़ी मेहनत करते देखा है. वे लोग अपने घर पैसा भेजते हैं ताकि उनके बच्चे एक बेहतर जिंदगी का सपना देख सकें. अपने सपनों को पंख देने के लिए लड़कियां एवं लड़के पैदल, साइकिल एवं दूसरे साधनों से स्कूल एवं विश्वविद्यालय जा रहे हैं. स्कूल एवं उच्च शिक्षा के लिए बढ़ती मांग इन्हीं सपनों की एक झलक है.
मैं इस बात के लिए समर्पित हूं और उम्मीद करता हूं कि झारखंड के युवा राज्य के भीतर और दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरों में गौरव और स्वाभिमान के साथ काम करेंगे. झारखंड में आर्थिक रूप से समृद्ध राज्य बनने और भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने की प्रबल संभावनाएं मौजूद हैं. राज्य में पिछले दो दशकों में सड़क, बिजली आदि का विस्तार हुआ है. यहां प्रकृति ने भरपूर संसाधन दिया है.
यहां के जंगल और जंगली जानवर, जैविक विविधता, जलप्रपात व सुनहरा मौसम तथा सामुदायिक कला, नृत्य और विविधता झारखंड को पर्यटन की दृष्टि से विशेष बनाती है. यहां पर्यटन विकास के लिए सघन प्रयास की जरूरत है. झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों का रणनीतिक नियोजन और दोहन, लोगों की समृद्धि के लिए आवश्यक है. वह भी ऐसे समय में जब राज्य अपनी 25वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अग्रसर है.
झारखंड के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने हॉकी, फुटबॉल, तीरंदाजी, एथलेटिक्स जैसे खेलों में राज्य का नाम रोशन किया है. यदि व्यवस्थित रूप से मौका दिया जाए, तो वे खेल, एकेडमिक, मेडिसिन, रोबोटिक्स, सिनेमा के साथ ही ज्ञान एवं रचनात्मकता के दूसरे क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम कर सकते हैं. राज्य के कुछ कुलपतियों के साथ मेरा संवाद हुआ और मुझे लगा कि उच्च शिक्षा के लिए 10-15 सालों के लिए रणनीति होनी चाहिए. विश्वविद्यालय और स्कूली शिक्षा के बीच घनिष्ठ संबंध होना चाहिए और छात्रों को एक वैश्विक परिदृश्य मिलना चाहिए, जैसा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कहा गया है.
मुझे ज्ञात है कि राज्य के विश्वविद्यालयों में अध्यापकों और कर्मचारियों की कमी है, पदोन्नति नहीं हुई है. मैं उम्मीद करता हूं कि झारखंड विश्वविद्यालय चयन आयोग जल्द मूर्त रूप लेगा. यह प्रस्तावित आयोग विश्वविद्यालय में गुणवत्ता एवं पारदर्शिता के साथ चयन कर सकेगा क्योंकि हमारा संकल्प है कि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार न हो. शिक्षकों को यह याद रखना चाहिए कि हम 21वीं शताब्दी के लिए छात्रों को तैयार कर रहें हैं और हम तकनीक को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.
एक अच्छा शिक्षण संस्थान ही भविष्य का नेता तैयार कर सकता है. विश्वविद्यालयों की यह जिम्मेदारी है कि वे छात्रों के सपनों को सच करने का साहस और कौशल दें. झारखंड के लोग कड़ी मेहनत और आत्मनिर्भरता में विश्वास करते हैं. मैंने रांची, खूंटी, पलामू, लोहरदग्गा और दूसरी जगहों पर महिलाओं को चाय की दुकान, ढाबा, रेस्तरां, व्यापार का प्रबंध करने के अलावा खेतों,अस्पतालोंें, आंगनबाड़ी एवं स्कूल में काम करते देखा है.
जब मैंने महिलाओं के एक समूह से उनकी सफलता का राज पूछा, तो उन्होंने कहा कि ‘सामूहिकता से हमने सफलता हासिल की है. मिलकर कार्य करना हमारी ताकत है.’ बहुत ही सुंदर ढंग से व्यक्त यह संदेश हम सभी के लिए एक मंत्र है. यदि हम इसी ढंग से आगे बढ़ें, तो आने वाला कल, आज से बेहतर होगा.
(लेखक झारखंड के राज्यपाल हैं)