साइबर सुरक्षा प्राथमिकता

साइबर सुरक्षा प्राथमिकता

By संपादकीय | December 21, 2020 9:08 AM
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अमेरिकी सरकार के विभागों और अनेक निजी संस्थानों पर बीते कुछ दिनों से जारी साइबर हमले ने फिर रेखांकित किया है कि वैश्विक स्तर पर इंटरनेट सुरक्षा के लिए ठोस प्रयासों की दरकार है. ताजा हमला अब तक के सबसे बड़े साइबर हमलों में एक है और इसका दायरा दुनियाभर में फैला हुआ है. इसकी गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि आठ दिसंबर को सामने आये प्रकरण का असर अब भी बरकरार है और इसकी व्यापकता का पूरा हिसाब नहीं लगाया जा सका है.

विशेषज्ञों का मानना है कि हमलावरों की क्षमता बहुत विकसित है और उनका मुख्य निशाना वे कंपनियां हैं, जो अमेरिकी सरकार और निजी संस्थाओं को सॉफ्टवेयर मुहैया कराती हैं. चिंताजनक तथ्य यह है कि हैकर इस साल के शुरू से ही सेंधमारी कर रहे थे और इसका पता तब ही चला, जब साइबर सुरक्षा की एक प्रमुख कंपनी ही उनके निशाने पर आ गयी.

अमेरिकी सरकार ने इन हमलों के लिए रूस और चीन को जिम्मेदार ठहराया है. कोरोना महामारी और अर्थव्यवस्था की मंदी से जूझती दुनिया के लिए यह साइबर हमला इस साल का बड़ा झटका है. वैसे तो साइबर हमले और हैकिंग का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है, लेकिन सॉफ्टवेयर और साइबर सुरक्षा को बड़े पैमाने पर बड़ी दक्षता से निशाना बनाना यह इंगित करता है कि हैकर अब अधिक संसाधनों और विशेषज्ञता से लैस हैं. इससे यह भी इंगित होता है कि इन हमलों के पीछे बड़ी साजिश तथा कुछ देश इसमें सीधे तौर पर शामिल हो सकते हैं.

देशों द्वारा एक-दूसरे की जासूसी करने और सूचनाएं हासिल करने की कवायद के साथ ऐसे हमले डिजिटल भरोसे को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. सॉफ्टवेयर व सुरक्षा देनेवाली कंपनियां सरकारों और उद्योगों के अलावा आम उपभोक्ताओं को सेवा देती हैं. डिजिटल प्रणाली के तेजी बढ़ते उपयोग व उपभोग के बावजूद राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर सुरक्षा के लिए प्रभावी उपायों, नियमन और निगरानी की समुचित व्यवस्था का बड़ा अभाव है. भारत भी इसका अपवाद नहीं है.

साल 2013 में पहली बार इस इससे से संबंधित नीति बनी थी, किंतु यह हैकरों पर लगाम लगाने में कामयाब नहीं रही है. सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच परस्पर समन्वय के अभाव के साथ जागरूकता की कमी की वजह से हैकरों का काम आसान ही रहा है. कोरोना महामारी के इस दौर में इंटरनेट और सॉफ्टवेयर का बहुत अधिक इस्तेमाल हो रहा है.

डिजिटल उपभोग का विस्तार बड़ी तेजी से हो रहा है. ऐसे में ऑनलाइन डेटा की सुरक्षा, फर्जीवाड़े व धोखाधड़ी को रोकना तथा सूचना तकनीक के तंत्र को विश्वसनीय बनाना बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने हैं. आगामी दिनों में सरकार एक समुचित नीति लागू करने के अलावा अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश में है. उम्मीद है कि साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सरकार व कंपनियां मिल-जुल कर ठोस पहलकदमी करेगी.

posted by : sameer oraon

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