उद्यमों का विस्तार

ग्रामीण भारत में उद्यमों का विकास भी आवश्यक है, ताकि खेती पर निर्भर लोगों की संख्या को कम किया जा सके तथा लोगों को स्थानीय स्तर पर ही बेहतर रोजगार मुहैया हो सके.

By संपादकीय | February 8, 2021 10:14 AM
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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विस्तार के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है. वर्तमान में देश में ऐसे 6.5 करोड़ उद्यम हैं और सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में इनका योगदान 30 प्रतिशत है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य इस हिस्सेदारी को 40 प्रतिशत करना है, ताकि ग्रामीण भारत के गरीबों का लाभ हो सके. उन्होंने गांवों के लिए उपयुक्त नवोन्मेषी और अनुसंधान आधारित तकनीकी विस्तार के लिए नीतिगत पहल की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है.

गांवों में उद्यमिता का विस्तार किये बिना न तो बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हो सकता है और न ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास संभव है. हमारे देश में गांवों में बसनेवाली बड़ी आबादी खेती और उससे संबंधित व्यवसायों पर निर्भर है. अधिकतर किसानों के पास बहुत कम खेतिहर जमीन है. बीते कुछ दशकों से अनेक कारणों से ग्रामीण भारत अनेक संकटों से जूझ रहा है.

जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ और सूखे की बारंबारता बढ़ती जा रही है. पिछले कुछ सालों में खेती की पैदावार में बढ़ोतरी तथा उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित कर किसानों की आमदनी बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. आगामी वित्त वर्ष के बजट में गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर भी जोर दिया गया है. इस क्रम में उद्यमों का विकास भी आवश्यक है, ताकि खेती पर निर्भर लोगों की संख्या को कम किया जा सके तथा लोगों को स्थानीय स्तर पर ही बेहतर रोजगार मुहैया हो सके.

कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगे लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में शहरी कामगारों को अपने गांव लौटना पड़ा था. हालांकि आर्थिक गतिविधियों के फिर से शुरू होने के बाद फिर लोग शहरों का रुख करने लगे हैं, लेकिन भविष्य में ऐसी स्थिति न आए, इसके लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए दीर्घकालिक नीतियों पर विचार किया जाना चाहिए.

जैसा कि गडकरी ने बताया है, स्वतंत्रता के बाद से देश की आबादी का 30 प्रतिशत हिस्सा हमारे गांवों से शहरों की ओर पलायन कर चुका है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में समुचित प्रगति नहीं हुई है. इस पलायन ने शहरों पर भी दबाव बढ़ाया है और कामगारों का जीवन स्तर वहां भी चिंताजनक है. यदि गांवों में ही उद्यमों का विस्तार हो, तो देश की अर्थव्यवस्था भी तेज गति से बढ़ेगी. हमारे देश के निर्यात में लघु व मध्यम उद्यमों का हिस्सा 40 प्रतिशत है तथा इस क्षेत्र में 11 करोड़ लोग कार्यरत हैं.

कोरोना संकट से उबरने के क्रम में घोषित राहत पैकेज में इस क्षेत्र से जुड़े अनेक नियमों में बदलाव किया गया था तथा पूंजी भी उपलब्ध करायी गयी थी. बजट प्रस्ताव में भी इस संबंध में प्रावधान किये गये हैं. ग्रामीण आर्थिकी को बढ़ाने के लिए सरकार को गंभीरता से काम करना चाहिए और लोगों को भी योजनाओं का लाभ उठाते हुए उद्यमिता की ओर अग्रसर होना चाहिए.

Posted By : Sameer Oraon

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