संवेदनशील व गोपनीय जानकारियों, व्यावसायिक आंकड़ों और सूचना अवसंरचना पर साइबर हमले तथा सेंधमारी के खतरे लगातार बढ़ रहे हैं. इसका असर राष्ट्रीय आर्थिकी और सुरक्षा पर भी पड़ रहा है. क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, आइओटी, 5जी आदि तकनीकों के विकास के साथ-साथ हमें साइबर स्पेस में सुरक्षा चिंताओं पर भी गौर करने की आवश्यकता है. आज डेटा सुरक्षा/ निजता, साइबर स्पेस में कानून प्रवर्तन, देश की सीमाओं से बाहर संग्रहीत डेटा तक पहुंच, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के गलत इस्तेमाल और साइबर अपराधों तथा साइबर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक साझेदारी जैसे सवालों पर अधिक गंभीरतापूर्ण विचार हो रहे हैं.
कोविड-19 के बाद भारत में डिजिटलीकरण अनिवार्य मांग का हिस्सा बन रहा है. ऐसे में साइबर सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं पर विचार करने के साथ कार्यक्रम बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है. राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने एक अहम फैसला लिया है. अब भारत में फोन कंपनियां केवल उन कंपनियों का ही टेलीकॉम उपकरण इस्तेमाल कर सकेंगी, जिन्हें शीर्ष सुरक्षा पैनल द्वारा ‘विश्वसनीय स्रोत’ का दर्जा मिला होगा.
इस पैनल के प्रमुख उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजेंदर खन्ना होंगे, जो एनएसए को रिपोर्ट करेंगे. साथ ही टेलीकम्युनिकेशन पर राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देशों को भी कैबिनेट द्वारा मंजूरी प्रदान की गयी है. हालांकि, फोन कंपनियों को मौजूदा उपकरणों को हटाने की अनिवार्यता नहीं है. कई मोबाइल कंपनियां चीन स्थित हुवै द्वारा निर्मित उपकरणों का इस्तेमाल करती हैं, जिस पर अमेरिका द्वारा बीजिंग के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है.
चीनी कंपनियों के उपकरणों से जुड़ी चिंताओं का समाधान करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है, साथ ही इससे भारतीय टेलीकॉम अवसंरचना को अन्य खतरों से भी सुरक्षित किया जा सकेगा. बीते दिनों खुफिया विभाग द्वारा आगाह किया गया था कि चीनी कंपनियों से कई सेक्टरों में खतरे की आशंका है. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक द्वारा नये सुरक्षा-निर्देशों के तहत कवर किये गये दूरसंचार उपकरणों की एक सूची जारी की जायेगी.
भारत ने साइबर सुरक्षा नीति के तहत हाल के दिनों में कई अहम फैसले भी लिये हैं. इससे पहले भारतीय यूजर्स के निजी डेटा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कई चीनी एप को प्रतिबंधित कर दिया था. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन के विस्तार से साथ साइबर सुरक्षा के विस्तार और उसमें निवेश की भी जरूरत है.
क्योंकि, इन सेवाओं की सुलभता और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए साइबर स्पेस की सुरक्षा तथा निगरानी को पुख्ता करने की आवश्यकता होगी. भारत उन शीर्ष तीन देशों में शामिल है, जहां सर्वाधिक साइबर हमले होते हैं. ऐसे में हमें भौगोलिक सीमाओं से परे इस सबसे चुनौतीपूर्ण मोर्चे पर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.
posted by : sameer oraon