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Budget 2024 : इंटर्नशिप की सराहनीय पहल

एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप की सुविधा उपलब्ध करवाना एक क्रांतिकारी सोच को इंगित करता है और इस हेतु उन्हें मासिक तौर पर पांच हजार रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान भी बेहद सराहनीय है.

Budget 2024 : मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्णकालिक बजट में पिछले दो कार्यकालों की तरह आर्थिक नीतियों में नयेपन और जोश की कमी नजर आयी. इस बजट के माध्यम से सरकार ने मुख्य तौर पर वर्तमान आर्थिक परिप्रेक्ष्य को समझने की कोशिश अधिक की है और भविष्य के प्रति सोच-विचार से चलने का प्रयास किया है.

मसलन, रोजगार वृद्धि को एक मुख्य उद्देश्य के रूप में लेकर चला गया है. महंगाई दर को चार प्रतिशत से नीचे रखने का लक्ष्य भी आर्थिक नीतियों में मुख्य प्राथमिकता के रूप में है. देश की 500 बड़ी कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप की सुविधा उपलब्ध करवाना एक क्रांतिकारी सोच को इंगित करता है और इस हेतु उन्हें मासिक तौर पर पांच हजार रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान भी बेहद सराहनीय है.

लेकिन इंटर्नशिप के बाद स्थाई रोजगार की उपलब्धता पर अभी नीतियों में सरकार ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है. इसलिए इस प्रशिक्षण की सुविधा का विकल्प भविष्य में किस तरह से बेरोजगारी का निवारण कर पायेगा, उस पर वर्तमान बजट में कुछ स्पष्ट नहीं है. इसके अलावा, ग्रामीण व छोटे शहरों का युवा बड़े शहरों की इन कंपनियों में इंटर्नशिप के लिए अपनी जगह आसानी से बना पायेगा, यह भी विचार करने का एक मुद्दा है.

इस बजट का मुख्य सकारात्मक पक्ष यह रहा कि मोदी सरकार अपने पूर्व दो कार्यकालों की भांति पूंजीगत खर्चों के लिए अपने दृढ़ निश्चय पर कायम है. बजट में 11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान इस हेतु किया गया जो जीडीपी का 3.4 प्रतिशत है. वैश्विक स्तर पर पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद आधारभूत सुविधाओं के विकास में तेजी, तकनीक के विस्तार में नवीनता के लिए सरकार को अपनी तरफ से वित्तीय निवेश के लिए हर हालत में पहल करनी ही होगी, तभी निजी क्षेत्र भी वित्तीय निवेश के लिए प्रोत्साहित होगा और अंततः प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी होगी तथा भारत एक विकसित देश होने की तरफ बढ़ेगा.

इसलिए पूंजीगत खर्चों में लगातार बढ़ोतरी मोदी सरकार का सबसे सराहनीय प्रयास है. एक अन्य मुख्य सकारात्मक पक्ष सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए नीतियों में बदलाव है. बजट के माध्यम से इस क्षेत्र के लिए वैधानिक प्रावधानों तथा वित्तीय विकल्पों में व्यापक परिवर्तन किये गये हैं. अब सरकारी बैंक एक उद्यम इकाई का अपने स्तर पर आंतरिक आकलन कर उसे ऋण उपलब्ध करवा सकेंगे.

इससे छोटे व मध्यम वर्ग के व्यापार व उद्योग को किसी बाहरी वित्तीय संस्थान पर अपनी वित्तीय कार्य कुशलता के सर्वेक्षण हेतु निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. सरकार ने बिना गारंटी 100 करोड़ रुपये के ऋण की सुविधा भी इस क्षेत्र के लिए घोषित की है, जो निश्चित तौर पर एक बड़ा वित्तीय प्रोत्साहन है और इसके लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक की नयी शाखाओं का विस्तार भी किया जायेगा.
आयकर दरों में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं किया गया है, जिसने आम व्यक्ति को निराश किया है. पिछले सात वर्षों में जीएसटी संग्रहण में करीब 170 प्रतिशत की औसतन वृद्धि दर्ज की गयी है. अब समय था, जब दरों में बजट के माध्यम से कुछ बदलाव को प्रस्तावित किया जाता, जिससे आम आदमी के आर्थिक जीवन में कुछ राहत मिलती.

इसके अलावा आयकर के स्लैब में बदलाव और मानक कटौती की घोषणा मात्र नये आयकर व्यवस्था में ही की गयी है. पुराने आयकर व्यवस्था की कर दरें जस की तस है. आर्थिक निवेश की सीमा को भी नहीं बदल गया है, जिसकी अपेक्षा की जा रही थी.

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