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सराहनीय उज्ज्वला योजना

गैस सिलिंडर के इस्तेमाल को केवल खाना बनाने में सुविधा भर नहीं समझा जाना चाहिए. यह महिलाओं और बच्चों के जीवन के लिए भी जरूरी है और पर्यावरण की रक्षा के लिए भी.

सरकारी योजनाओं में से कुछ ऐसी होती हैं, जिनका आम लोगों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ता है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना या पीएमयूवाइ ऐसी ही एक योजना है. वर्ष 2016 से लागू इस योजना के तहत ग्रामीण और गरीब घरों को एलपीजी गैस सिलिंडर दिया जाता है. इसका मूल उद्देश्य स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना था. गांवों और गरीब घरों में खाना बनाने के लिए लकड़ियों, उपलों और कोयले का इस्तेमाल होता रहा है, जिनसे काफी धुआं निकलता है.

इनके इस्तेमाल से खास तौर पर महिलाओं और बच्चों को श्वास संबंधी बीमारियां होने लगती हैं. वर्ष 2019 से 2021 के बीच हुए पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार भारत में 41 फीसदी घरों में लकड़ी-कोयले जैसे ईंधनों से खाना पकाया जा रहा था, जिनमें ज्यादातर गांवों में थे. कई अध्ययनों में यह भी कहा गया कि भारत में 40 फीसदी वायु प्रदूषण रसोई के धुएं से होता है.

पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया कि दुनियाभर में हर साल 32 लाख लोग खाना बनाने के दौरान होनेवाले प्रदूषण की वजह से उम्र से पहले ही मर जाते हैं. जाहिर है, गैस सिलिंडर के इस्तेमाल को केवल खाना बनाने में सुविधा भर नहीं समझा जाना चाहिए. यह महिलाओं और बच्चों के जीवन के लिए भी जरूरी है और पर्यावरण की रक्षा के लिए भी.

इसके अलावा भारत जैसे देश में गैस पर खाना बनाना सामाजिक समानता के प्रश्न से भी जुड़ा है. एक समय था, जब शहरों में भी कुछ ही घरों में गैस स्टोव हुआ करते थे, और ऐसे घरों की हैसियत ऊंची समझी जाती थी. बाद में शहरों में तो गैस सिलिंडर घर-घर पहुंचने लगे, लेकिन गांवों और गरीब घरों में पुराने तरीके से खाना बनाना पिछड़ेपन का प्रतीक बना रहा. उज्ज्ववला योजना ने देश के गांवों और गरीब घरों की तस्वीर बदलने में बड़ी भूमिका निभायी है.

योजना के जरिए महिलाओं की सेहत का तो ध्यान रखा ही गया है, इससे उनके सशक्तिकरण को भी बल मिलता है. इस योजना के तहत गरीब परिवारों से केवल किसी महिला के नाम पर ही यह सुविधा दी जाती है. केंद्र सरकार ने इस सप्ताह 75 लाख और उपभोक्ताओं को इस योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन देने का फैसला किया है.

इसके बाद अब इस योजना के लाभार्थियों की संख्या 10 करोड़ 35 लाख हो गयी है. हालांकि, पिछले दिनों सिलिंडरों की कीमत बढ़ने की वजह से ऐसी भी खबरें आयी हैं कि बहुत सारे लोगों ने महंगाई की वजह से गैस का इस्तेमाल कम कर दिया है. ऐसे में योजना के विस्तार के साथ-साथ, इसे प्रभावी बनाने के लिए सिलिंडरों की कीमतों को भी नियंत्रित रखने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

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