व्यापक व्यापार सहयोग
क्वाड और प्रशांत द्वीप फोरम जैसी पहलों के साथ हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है.
वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अधिक एवं प्रभावी योगदान सुनिश्चित करने पर हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क के 14 देशों में सहमति बन गयी है. इस समझौते का उद्देश्य सूचनाओं के परस्पर आदान-प्रदान तथा किसी संकट में साझा सहयोग से वस्तुओं की आवाजाही सुगम बनाना है. कोरोना काल तथा हालिया भू-राजनीतिक तनावों के दौर में अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति शृंखला प्रभावित हुई है, जिससे वस्तुओं का अभाव भी पैदा हुआ तथा उनकी कीमतें भी बेतहाशा बढ़ीं.
वैश्विक अर्थव्यवस्था आज भी इन कारकों के असर में है. उल्लेखनीय है कि दुनिया की आपूर्ति श्रृंखला में चीन की हिस्सेदारी लगभग एक-चौथाई है. इस व्यापारिक दबदबे का फायदा उठाते हुए चीन राजनीतिक, कूटनीति और आर्थिक दबाव बनाने की रणनीति भी अपनाता रहा है. ऐसे में विभिन्न देशों के साथ-साथ बड़े उत्पादक भी भारत समेत अन्य देशों की ओर देख रहे हैं. साथ ही, व्यापार मार्गों, विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, की सुरक्षा बेहतर करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है.
हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क में क्वाड समूह के देशों- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया- के साथ-साथ ब्रुनेई, फिजी, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि हाल ही में जापान में जी-7 समूह के शिखर सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री और अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ बैठक की थी और फिर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया का दौरा भी किया था.
इन दो परिघटनाओं के बीच में प्रधानमंत्री मोदी ने पापुआ न्यू गिनी में प्रशांत क्षेत्र में स्थित 14 द्वीपीय देशों के प्रमुखों के साथ भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग फोरम के तीसरे सम्मेलन में भी शामिल हुए थे. भारत द्वारा स्थापित इस फोरम में भारत के अलावा प्रशांत क्षेत्र के 14 द्वीपीय देश- फिजी, पापुआ न्यू गिनी, कुक आइलैंड्स, किरीबाती, मार्शल आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया, नौरू, नियू, पलाऊ, समोआ, सोलोमन आइलैंड्स, टोंगा, तुवालू और वनुआतू- शामिल हैं.
क्वाड और प्रशांत द्वीप फोरम जैसी पहलों के साथ हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है. फ्रेमवर्क का यह समझौता आपूर्ति शृंखला को लेकर दुनिया का पहला समझौता है. हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क के चार मुख्य स्तंभ हैं- लचीली अर्थव्यवस्था (आपूर्ति शृंखला), स्वच्छ अर्थव्यवस्था, न्यायसंगत अर्थव्यवस्था और संबद्ध अर्थव्यवस्था (व्यापार). भारत संबद्ध अर्थव्यवस्था (व्यापार) में पर्यवेक्षक है, जबकि अन्य तीन स्तंभों में शामिल है. समझौते से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को नया आयाम मिलेगा तथा आर्थिक विकास को नयी गति मिलेगी.