23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

परिवार नियोजन के क्षेत्र में काफी सफलता मिली है

परिवार नियोजन का आशय गर्भनिरोधकों से कहीं आगे है. यह महिलाओं, परिवारों और समुदायों के स्वास्थ्य एवं कल्याण का अभिन्न अंग है.

विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर हम परिवार नियोजन के क्षेत्र में भारत की अविश्वसनीय यात्रा पर गौर करते हैं, अपनी सफलताओं का उत्सव मनाते हैं, आशाओं से भरे भविष्य की कामना करते हैं तथा आगामी चुनौतियों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं. जैसा कि मई 2024 में जनसंख्या विकास पर संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आइसीपीडी) में संकल्प व्यक्त किया गया है, भारत ने न केवल आइसीपीडी के एजेंडे को मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है, बल्कि बेहतर परिवार नियोजन सेवाओं और स्वास्थ्य संबंधी नतीजों, विशेषकर मातृ और बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के जरिये जमीनी स्तर पर जबरदस्त प्रगति का प्रदर्शन किया है.

भारत में मिलेनियल महिलाएं छोटे परिवारों को चुन रही हैं. ऐसे परिवार में औसतन केवल दो बच्चे होते हैं. यह प्रवृत्ति पिछले दशक में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जिसके दौरान प्रजनन आयु (15 से 49 वर्ष) की 57 प्रतिशत महिलाओं ने आधुनिक गर्भनिरोधकों का उपयोग किया है. यह व्यापक उपयोग भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता को दर्शाता है.

परिवार नियोजन का आशय गर्भनिरोधकों से कहीं आगे है. यह महिलाओं, परिवारों और समुदायों के स्वास्थ्य एवं कल्याण का अभिन्न अंग है. यह महिलाओं, लड़कियों एवं युवाओं को अधिकार और विकल्प प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाता है. भारत 10-24 वर्ष की आयु के 36.9 करोड़ युवाओं के साथ एक परिवर्तनकारी जनसांख्यिकीय बदलाव के दौर से गुजर रहा है और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए तैयार है.

पिछले कुछ दशकों में इस कार्यक्रम में काफी विकास हुआ है और परिवार नियोजन के विभिन्न तरीकों को अपनाया गया है. यह बदलाव आबादी की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नीतियों को ढालने का प्रतिनिधित्व करता है. राष्ट्रीय जनसंख्या और स्वास्थ्य संबंधी नीतियां परिवार नियोजन की अधूरी रह गयी उस जरूरत को पूरा करने की आवश्यकता पर बल देती हैं, जिसे वैसी महिलाओं के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो बच्चे नहीं चाहतीं या देर से बच्चे जन्म देना चाहती हैं, पर गर्भनिरोधक का कोई तरीका नहीं अपनाती हैं.

इस कार्यक्रम ने 2012 में प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य दृष्टिकोण के संस्थागतकरण के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, साथ ही परिवार नियोजन 2020 और अब परिवार नियोजन 2030 के माध्यम से परिवार नियोजन पर वैश्विक स्तर पर जोर दिया गया. इसने निरंतर जागरूकता बढ़ाने, सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने, सूचना और सेवाओं की सुलभता में सुधार करने, गर्भनिरोधक विकल्पों की सीमा का विस्तार करने, अंतिम छोर तक दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता संबंधी आश्वासन सुनिश्चित करने और उच्च प्रजनन क्षमता वाले क्षेत्रों में नयी रणनीतियों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया है.

भारत पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर (टीएफआर 2.0) को प्राप्त कर चुका है और एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पहले ही यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं. परिवार नियोजन को मातृ एवं शिशु रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के लिए भी वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण घटक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना है.

भारतीय राज्यों की जनसांख्यिकीय विविधता के अनुरूप परिवार नियोजन की रणनीतियों को ढाला गया है. सुलभ गर्भनिरोधक विकल्पों की सीमा को व्यापक बनाने के साथ-साथ यह रणनीति विवाह की आयु, पहले जन्म की आयु और लड़कियों की शैक्षिक प्राप्ति जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी विचार करती है.

भारत सरकार के प्रमुख परिवार नियोजन कार्यक्रमों में से एक- मिशन परिवार विकास- को 2016 में सात राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम) के उच्च प्रजनन दर वाले 146 जिलों में गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था. यह व्यापक अभियानों के माध्यम से परिवार नियोजन सेवाओं के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पर आधारित था.

इसके तहत सारथी वाहनों (वाहन के जरिये जागरूकता), युवा महिलाओं के लिए गर्भनिरोधकों तक पहुंच की सुविधा में सामाजिक बाधाओं को दूर करने के लिए सास-बहू सम्मेलनों का आयोजन और नवविवाहित जोड़ों को परिवार नियोजन के बारे में जागरूक बनाने के लिए नयी पहल किट प्रदान करने जैसे विभिन्न कार्यक्रम शामिल थे.

साथ ही, एक मजबूत परिवार नियोजन लॉजिस्टिक्स प्रबंधन सूचना प्रणाली का उपयोग कर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं और गर्भनिरोधकों की निर्बाध आपूर्ति के लिए स्वास्थ्य प्रणाली को तैयार किया गया था. इन जिलों में बेहतर परिणामों के कारण सरकार ने 2021 में इस कार्यक्रम को सात राज्यों के सभी जिलों और छह पूर्वोत्तर राज्यों में विस्तार करने का निर्णय लिया. वित्त वर्ष 2016-17 में गर्भनिरोधक विकल्पों का भी विस्तार किया गया. वर्तमान में राष्ट्रीय नियोजन कार्यक्रम विभिन्न प्रकार के आधुनिक गर्भनिरोधक प्रदान करता है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें