देश के कुछ क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण चिंताजनक गति से बढ़ रहा है. छह राज्यों- महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात- में फिलहाल 78 फीसदी से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. इसमें अगर केरल और छत्तीसगढ़ को भी जोड़ लें, तो यह आंकड़ा 84 फीसदी से अधिक हो जाता है. दूसरी लहर की गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पहली लहर के दौरान संक्रमण के मामलों की संख्या 18 हजार से 50 हजार पहुंचने में जहां 32 दिन लगे थे, वहीं 11 मार्च से 27 मार्च के बीच 17 दिनों में मामले 18,377 से बढ़कर 50,518 हो गये.
बीते सप्ताह संक्रमण से होनेवाली मौतों की संख्या में 51 फीसदी की बढ़त हुई है, जो दिसंबर के बाद सबसे अधिक है. पिछले एक हफ्ते से रोज 200 से अधिक लोगों की मौत हो रही है. विभिन्न त्योहारों और चार राज्यों व एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव को देखते हुए आशंका जतायी जा रही है कि आगामी दिनों में स्थिति और बिगड़ेगी. कुछ रिपोर्टों में दूसरी लहर के मई तक जारी रहने की बात कही गयी है. कुछ अन्य देशों में भी संक्रमण बढ़ रहा है. वायरस के नये रूपों से भी महामारी घातक होती जा रही है. राहत की बात है कि हमारे देश में जनवरी मध्य से शुरू हुआ टीकाकरण अभियान जारी है.
एक अप्रैल से 45 साल आयु के लोग भी टीके की खुराक ले सकेंगे. इसके साथ ही संक्रमित होने के सबसे अधिक जोखिम वाले लोग अभियान के तहत आ जायेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा विभिन्न विशेषज्ञों ने टीकाकरण की गति तेज करने का आह्वान किया है. लोगों को भी इस अभियान का बढ़-चढ़कर फायदा उठाना चाहिए. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि टीके के अलावा कोरोना वायरस से बचाव का कोई अन्य तरीका हमारे पास नहीं है.
इसलिए टीके की खुराक लेने में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए. अब तक छह करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है तथा करीब 90 लाख लोग दोनों खुराक ले चुके हैं. आबादी के बड़े हिस्से को टीका मिलने में अभी काफी समय लग सकता है. ऐसे में हमें बचाव के उपायों पर सख्ती से अमल करने की जरूरत है. मास्क पहनने, समुचित दूरी बरतने और सैनिटाइजर के इस्तेमाल में कोई भी लापरवाही हमें और हमारे आसपास के लोगों को खतरे में डाल सकती है.
ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं कि लोग निर्देशों का पालन ठीक से नहीं कर रहे हैं. अपने जीवन की रक्षा और गंभीर रूप से बीमार होने से बचने के साथ हमें अर्थव्यवस्था की भी चिंता करनी है. विभिन्न पाबंदियों में ढील के बाद आर्थिकी में सुधार के ठोस संकेत मिलने लगे हैं. लेकिन बेकाबू महामारी की दूसरी लहर हमारी उम्मीदों को नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे में केंद्र व राज्य सरकारों की सक्रियता के साथ नागरिकों को भी अपनी जवाबदेही का पालन करना चाहिए.