ठोस पहल जरूरी
लापरवाही न केवल ऐसा करनेवालों के लिए घातक है, बल्कि इससे परिजनों और सहकर्मियों के लिए भी जोखिम बढ़ता है. हमें बिना बेचैन हुए निर्देशों और पाबंदियों के अनुपालन पर ध्यान देना चाहिए.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर लगातार आक्रामक होती जा रही है. अमेरिका के बाद भारत दूसरा ऐसा देश बन गया है, जहां एक दिन में एक लाख से अधिक संक्रमण के मामले सामने आये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वायरस के प्रसार, रोकथाम और टीकाकरण समेत विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की है. उन्होंने विशेषज्ञों का एक दल महाराष्ट्र भेजने का निर्देश दिया है, जो महामारी से सर्वाधिक प्रभावित है. ऐसी एक टीम पंजाब और चंडीगढ़ भी जा रही हैं, जहां मृत्यु दर बहुत अधिक है.
प्रधानमंत्री मोदी ने जांच और उपचार की व्यवस्था को बेहतर करने पर जोर दिया है ताकि जानें बचायी जा सकें. सरकार ने टीकाकरण अभियान को तेज करने तथा टीकों की समुचित खुराक मुहैया कराने के लिए निर्माता कंपनियों से उत्पादन बढ़ाने को कहा है. इसके अलावा अन्य देशी-विदेशी कंपनियों को भी निर्माण में लगाने की कोशिशें हो रही हैं. सरकार का मानना है कि मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बरतने तथा हाथ धोते रहने जैसे निर्देशों के प्रति लोगों की लापरवाही संक्रमण की मौजूदा स्थिति का एक कारण हो सकती है.
विशेषज्ञ भी पहले इस कमी की ओर संकेत करते रहे हैं. इसे दूर करने के लिए एक सप्ताह का जागरूकता अभियान चलाने का सरकार का निर्णय स्वागतयोग्य है. इस प्रक्रिया में नागरिक संगठनों, समुदायों और मीडिया को भी पूरा योगदान करना चाहिए. बीते एक साल में तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए देश ने महामारी पर लगभग काबू पा लिया था.
इस अवधि में दो टीके भी मुहैया कराये गये हैं तथा दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान जारी है. शासन और विशेषज्ञों की लगातार चेतावनी और सलाह के बावजूद निर्देशों के पालन में जान-बूझकर हो रही चूक बेहद चिंताजनक है. यह लापरवाही न केवल ऐसा करनेवालों के लिए घातक है, बल्कि इससे उनके परिजन, सहकर्मी और संपर्क में आनेवाले लोगों के लिए भी जोखिम बढ़ जाता है.
जब इतने महीने तक हम अपने व्यवहार में सावधान रहे हैं, तो कुछ समय और संयम बरतने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. संक्रमण बढ़ने की स्थिति में पाबंदियों को कड़ाई से लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है. इससे हमारी ही मुश्किलें बढ़ती हैं. इसलिए हमारा ध्यान सतर्क रहने और टीका लगाने पर होना चाहिए.
अभी दस राज्यों में 90 फीसदी से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से संक्रमण जिस तेजी से पसरा है, उसे देखते हुए इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह अन्य राज्यों में भी फैल सकता है. बीते 52 दिनों में सात गुना मामले बढ़े हैं.
कस्बों और गांवों में वायरस के फैलाव को रोकना भी सरकार की प्राथमिकताओं में है क्योंकि ऐसे इलाकों में शहरों की तुलना में संसाधनों की कमी है. हमें बिना बेचैन हुए निर्देशों और पाबंदियों के अनुपालन तथा आसपास के लोगों को सचेत करने पर ध्यान देना चाहिए.
Posted By : Sameer Oraon