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एआइ पर नकेल

भारत सरकार ने सभी एआई प्लेटफॉर्मों को निर्देश दिया है कि वे अपने उत्पादों को लोगों के सामने लाने से पहले सरकारी अनुमति लें.

एक ओर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के बहुआयामी लाभों को लेकर भारत समेत दुनियाभर में उत्साह है और हर दिन इस क्षेत्र में नये-नये प्रयोग हो रहे हैं. वहीं इस तकनीक के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की आशंकाएं और चिंताएं भी बढ़ती जा रही हैं. वैश्विक स्तर पर एआइ के विस्तार और उपयोग से संबंधित नियमन के लिए मंथन चल रहा है, जिसमें भारत भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस क्रम में बड़ा कदम उठाते हुए भारत सरकार ने सभी एआइ प्लेटफॉर्मों को निर्देश दिया है कि वे अपने उत्पादों को लोगों के सामने लाने से पहले सरकारी अनुमति लें. केंद्रीय सूचना तकनीक मंत्रालय ने अपने निर्देश में यह भी कहा है कि एआइ तकनीक से कौन क्या बना रहा है, उस संबंध में डाटा रखा जाए, ताकि फेक सामग्री बनाने वाले की पहचान की जा सके. सूचना तकनीक राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि जब कोई कार या माइक्रोप्रोसेसर जैसी वस्तु बाजार में लायी जाती है, उससे पहले उसका पूरा परीक्षण किया जाता है, लेकिन एआइ के क्षेत्र में ऐसा नहीं हो रही है. चाहे बड़ी तकनीकी कंपनियां हों या स्टार्टअप, वे अपने एआइ उत्पाद को बिना गहन जांच के उपलब्ध करा दे रहे हैं. इससे उनके दुरुपयोग की आशंका बढ़ जाती है.

चूंकि इस क्षेत्र में ढेरों प्लेटफॉर्म सक्रिय हैं और उनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है, ऐसे में उनका इस्तेमाल कर रहे लोगों की डाटा सुरक्षा में सेंधमारी को रोकने के लिए भी अनुमति की व्यवस्था जरूरी है. हाल के दिनों में भारत और कई देशों में एआइ से डीपफेक और भ्रामक सामग्री बनाने के कई मामले सामने आये हैं. भारत सरकार ने जो निर्देश जारी किया है, उसमें एआइ प्लेटफॉर्मों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि वे किसी पूर्वाग्रह या भेदभाव को बढ़ावा न दें तथा चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों की अनुमति न दें. एक मार्च को जारी यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है तथा एआइ प्लेटफॉर्मों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे प्रावधानों के अमल के बारे में 15 दिनों के भीतर सरकार को सूचित करेंगे. उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर और दिसंबर में राजीव चंद्रशेखर और तकनीक उद्योग के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा हुई थी. उसमें प्रस्तावित कानून और परस्पर तालमेल के साथ-साथ इस पर भी सहमति बनी थी कि एआइ प्लेटफॉर्म अपने उपयोगकर्ताओं को यह स्पष्ट हिदायत देंगे कि गैरकानूनी सूचना के साथ प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल उनके लिए नुकसानदेह हो सकता है, उन पर पाबंदी लगायी जा सकती है और कुछ मामलों में कानूनी व्यवस्था के तहत दंडित भी किया जा सकता है. आशा है कि नये निर्देशों से एआई तकनीक को सुरक्षित एवं प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी.

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