दुर्घटना का कारण है ओवर-स्पीडिंग
केवल लाल बत्ती पर ही लेन ड्राइविंग सिस्टम को फिक्स कर दिया जाये, तो 80 प्रतिशत यातायात नियमों का उल्लंघन अपने आप ही रुक जायेगा. नतीजा, दुर्घटनाओं में भी कमी आ जायेगी.
अनुराग कुलश्रेष्ठ, अध्यक्ष, ट्रैक्स रोड सेफ्टी
president_tss@trafficzam.com
सड़क दुर्घटना और इसमें मृत्यु होने का सबसे बड़ा कारण है, तेज गति से वाहन चलाना. दूसरा, लाल बत्ती जंप करना और तीसरा, मोबाइल पर बातें करते हुए वाहन चलाना. वाहन चलाते हुए मोबाइल पर बातें करने से एकाग्रता भंग होती है और हम दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. शराब पीकर और राॅन्ग साइड गाड़ी चलाना भी दुर्घटना के कारणों में शामिल है. भले ही उपरोक्त कारण सड़क दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन इसके पीछे कई अन्य वजहें भी हैं.
पहला कारण है, मानसिक तौर पर उकसावे की कार्रवाई करना. हमारे यहां सड़क सुरक्षा के जो नीति-निर्माता हैं, वे खुद यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं. बिना हेल्मेट के चलते हैं. तो यह अप्रत्यक्ष रूप से उकसावे वाली कार्रवाई ही है. नीति-निर्माता एक तरह से जनता को, अपने फाॅलोवर को मानसिक तौर पर यातायात नियमों का पालन नहीं करने के लिए उकसाते हैं.
दूसरा, जिन लोगों पर यातायात नियमों का पालन करवाने की जिम्मेदारी है, वे भी नियमों का पालन नहीं करते हैं. 90 प्रतिशत से अधिक पुलिसवाले वाहन चलाते समय हेल्मेट नहीं पहनते, सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं. जहां मन होता है, वहीं अपनी पीसीआर वैन खड़ी कर देते हैं. जब प्रशासन द्वारा खुद ही नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो जनता, विशेष रूप से युवाओं के मन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यही कारण है कि वाहन चलाते हुए बहुत से लोग हेल्मेट नहीं पहनते हैं. 99 प्रतिशत लोगों को यह पता होता है कि उन्हें कहां जाना है और किन रास्तों पर पुलिस चेकिंग करती है, उन रास्तों पर पहंुचने से पहले वे हेल्मेट पहन लेते हैं, और बाद में उसे निकाल देते हैं.
तीसरी उकसावे की कार्रवाई टीवी पर आनेवाले विज्ञापन, सीरियल्स और फिल्मों में दिखाये जानेवाले स्टंट व रैश ड्राइविंग के दृश्य हैं. सिनेमा में वाहन चलाने से जुड़े लगभग 99 प्रतिशत दृश्यों में यातायात नियमों का उल्लंघन दिखाया जाता है. ये सभी दृश्य युवाओं के मन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं. उन्हीं दृश्यों का अनुकरण करते हुए युवा भी नियमों का उल्लंघन करते हैं.
दुर्घटना का एक और प्रमुख कारण है सड़कों का खराब होना और उनका डिजाइन सही तरीके से न बनाया जाना. लेकिन इस बारे में कभी बात ही नहीं होती है. अक्सर देखने में आता है कि सड़क बनने के तुरंत बाद ही टूट जाती है, उसमें गड्ढे हो जाते हैं, महीनों उसकी मरम्मत नहीं होती है. जब इंफ्रास्ट्रक्चर सही नहीं बनाया जाता है, तो लोग भी उसका सही तरीके से उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं. ऐसे में दुर्घटना होना तय है. यदि दिल्ली की ही बात करें, तो रेल भवन के पास के गोल चक्कर की सड़क पर तीन रोड साइन लगे हैं, जिस पर लिखा है ‘बायीं तरफ चलना अनिवार्य है’.
लेकिन इस गोल चक्कर पर शत-प्रतिशत लोग दायीं ओर मुड़ते हैं, मंत्री, उनके सचिव व उनके सभी कर्मचारी भी ऐसा ही करते हैं, क्योंकि बायीं ओर जानेवाला रास्ता बहुत समय से आमलोगों के लिए बंद है. ऐसे में देश को सड़क सुरक्षा के बारे में कैसे समझाया जा सकता है. जब आपको इंफ्रास्ट्रक्चर गलत दिया जा रहा है, सड़क की डिजाइन गलत दी जा रही है, तो आप यातायात नियमों का पालन कैसे करेंगे.
हमारे यहां सड़क दुर्घटना का एक और बड़ा कारण है, रोड डिवाइडर के बीच लगे पेड़-पौधे. इनके कारण वाहन चालक को सड़क पार करते हुए सामने से आती हुई गाड़ी दिखायी नहीं देती है. वाहन चलाते हुए चालक को 180 डिग्री तक दिखायी देना चाहिए, लेकिन इस हरियाली के कारण विजिबिलिटी कम हो जाती है. रोड साइन छिप जाते हैं, पारपथ व लाल बत्ती भी दिखायी नहीं देती है.
ऐसे में यातायात नियमों का पालन करना मुश्किल हो जाता है. सड़क दुर्घटना में कमी लाने के लिए डिवाइडर से पेड़-पौधे हटने चाहिए. हमारे यहां सड़क दुर्घटना में सबसे ज्यादा जान दुपहिया वाहन चालकों की जाती है (लगभग 35 प्रतिशत). इसका सबसे बड़ा कारण होता है हेल्मेट न लगाना या सस्ता वाला टेंपररी हेल्मेट लगाना.
सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए नियमों में बदलाव करना होगा. हमारे यहां यातायात नियमों के तहत जो चालान होता है, उनमें लाल बत्ती जंप करना, बहुत ज्यादा तेज गति से वाहन चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, रैश ड्राइविंग आदि कारण शामिल हैं. लेकिन अपनी लेन में नहीं चलने के कारण कभी कोई चालान नहीं होता है. लेन में चलते हुए कभी भी बहुत तेज गति से गाड़ी नहीं चलायी जा सकती है, न ही रैश ड्राइविंग ही हो सकती है. लाल बत्ती भी पार नहीं कर सकते हैं आप. इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए लेन ड्राइविंग सिस्टम लागू करना बहुत जरूरी है.
इस सिस्टम को लागू नहीं करने के कारण ही यातायात नियमों का उल्लंघन होता है. यह पुलिस पर प्रश्नचिह्न है कि आजतक उसने कहीं भी लेन ड्राइविंग को फिक्स क्यों नहीं किया. केवल लाल बत्ती पर ही लेन ड्राइविंग सिस्टम को फिक्स कर दिया जाये, तो 80 प्रतिशत यातायात नियमों का उल्लंघन अपने आप ही रुक जायेगा. नतीजा, दुर्घटनाओं में भी कमी आ जायेगी. हाइवे पर भी लेन में न चलने के कारण ही दुर्घटना होती है. भारी वाहनों को यदि बायीं ओर चलने के लिए फिक्स कर दिया जाये, तो छोटी गाड़ियां अपनी लेन से आराम से निकलती रहेंगी.
(बातचीत पर आधारित)