धौनी में क्रिकेट अभी बाकी है
अगर आप गौर करें, तो पायेंगे कि धौनी की टीम में कोई बहुत बड़ा नाम नहीं है और न ही बहुत चमत्कारी खिलाड़ी हैं, लेकिन उनमें अपनी टीम से सर्वश्रेष्ठ निकाल लेने की कला है.
महेंद्र सिंह धौनी एकबार फिर सुर्खियों में है. हर कुछ दिन बाद धौनी चर्चा में वापस आ ही जाते हैं. भारतीय क्रिकेट प्रशंसक उन्हें भुला नहीं पा रहे हैं. इस बार का नजारा एकदम अलग था, धौनी जहां भी जाते, वहां दर्शक उनके दीवाने नजर आते और हर जगह धौनी-धौनी की गूंज सुनाई पड़ती थी. यहां तक कि प्रशंसक अपनी टीम का साथ छोड़कर धौनी के साथ हो लेते थे. इस आइपीएल ने साबित कर दिया कि देश में धौनी से अधिक लोकप्रिय खिलाड़ी कोई भी नहीं है.
उनके आगे विराट कोहली और रोहित शर्मा फीके नजर आते हैं. वे मैदान में विराट की तरह बेवजह की आक्रामकता नहीं दिखाते हैं और रोहित शर्मा से तो वे आज भी कहीं ज्यादा फिट नजर आते हैं. वे पहले भी कैप्टन कूल थे और आज भी कैप्टन कूल हैं. उस ऐतिहासिक पल को याद कीजिए कि जब देश दुनिया के जाने माने खिलाड़ी सुनील गावस्कर धौनी का ऑटोग्राफ लेते नजर आये. रांची में कोई बड़ा क्रिकेट मैच खेला जाए और उसमें धौनी नजर न आएं, ऐसा हो ही नहीं सकता है.
भले ही वह खेल न रहे हों, लेकिन रांची के स्टेडियम में नारे धौनी-धौनी के ही लगते हैं. रांची वालों को उनसे प्यार है और उन्हें भी रांची से मोहब्बत है. धौनी की चर्चा इसलिए भी ज्यादा होती है, क्योंकि उनकी क्रिकेट शैली और कप्तानी के लोग दीवाने हैं. धौनी ने हर बार अपनी कप्तानी, बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग से आलोचकों को करारा जवाब दिया है, लेकिन आज सबकी जुबान पर एक ही सवाल है कि क्या धौनी आइपीएल को अलविदा कर देंगे?
क्या यह उनका आखिरी आइपीएल सीजन है? वैसे यह सवाल धौनी के लिए नया नहीं है. पिछले कुछ समय से लगातार उनसे यह सवाल पूछा जाता रहा है. गुजरात टाइटंस को आइपीएल में हराने और फाइनल में पहुंचने के बाद कमेंटेटर हर्षा भोगले ने उनसे पूछा था कि क्या चेन्नई के दर्शक आपको फिर यहां देखेंगे? इस पर धौनी बोले कि आप यह पूछना चाह रहे हैं कि क्या मैं यहां फिर खेलूंगा या नहीं? हर्षा भोगले ने फिर पूछा कि क्या आप यहां आकर फिर खेलेंगे?
इस पर धोनी मुस्कुराते हुए बोले- मैं नहीं जानता हूं. मेरे पास इस फैसले के लिए आठ-नौ महीने हैं. दिसंबर के आसपास एक छोटा ऑक्शन होगा, तो वह सिरदर्दी अभी से मैं क्यों लूं. मेरे पास फैसला करने के लिए पर्याप्त समय है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि चाहे मैं बतौर खिलाड़ी रहूं या न रहूं, लेकिन मैं सीएसके के साथ बना रहूंगा. इसी आइपीएल सीजन में जब टॉस के बाद कमेंटेटर डैनी मॉरिसन ने कहा कि आखिरी सीजन में धौनी को हरेक मैदान पर समर्थन मिल रहा है और फिर धौनी से पूछा कि आप इसका कैसे लुत्फ उठा रहे हैं, तो धौनी ने मुस्कुराते हुए कहा कि यानी आपने तय कर लिया है कि ये मेरा आखिरी सीजन है.
इस पर मॉरिसन ने कहा कि इसका मतलब है कि आप वापस आ रहे हैं और वे स्टेडियम में बैठे दर्शकों से मुखातिब होते हुए बोले कि धौनी अगले साल भी वापस आयेंगे. धौनी मुस्कुरा कर वहां से वापस चले गये थे. पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान की मानें, तो आइपीएल में इंपैक्ट प्लेयर का नया नियम आ गया है, इसलिए धौनी अगले साल भी खेल सकते हैं.
अगर आप गौर करें, तो पायेंगे कि धौनी की टीम में कोई बहुत बड़ा नाम नहीं है और न ही बहुत चमत्कारी खिलाड़ी हैं, लेकिन उनमें अपनी टीम से सर्वश्रेष्ठ निकाल लेने की कला है. यह मैनेजमेंट के अध्ययन का विषय हो सकता है कि कैसे बिना हो हल्ला किये अपने साथियों का सर्वश्रेष्ठ हासिल किया जा सकता है. क्रिकेट विशेषज्ञ भी मानते हैं कि धौनी इसलिए महान हैं क्योंकि वह दबाव में भी सटीक निर्णय ले सकते हैं.
उनमें मुश्किल परिस्थितियों में भी खुद को शांत रखने की गजब की क्षमता है. कठिन परिस्थितियों में उनके फैसलों ने टीम को अनेक बार जीत दिलायी है. कुछ अरसा पहले धौनी ने कहा था कि वह भी आम इंसान की तरह ही सोचते हैं, लेकिन बस नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण रखने के मामले में वह किसी अन्य की तुलना में बेहतर हैं. धौनी ने कहा कि टी-20 में सब कुछ तुरत-फुरत होता है, इसलिए इसमें अलग तरह की सोच की जरूरत होती है. अगर आप अन्य टीमों से तुलना करें, तो चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाड़ियों में अधिक टीम भावना नजर आती है.
आज धौनी की आक्रामकता में भले ही कमी आ गयी हो, लेकिन तेजी और फुर्ती में कोई कमी नहीं आयी है. पलक झपकते ही वह बल्लेबाज की गिल्लियां उड़ा देते हैं. यह बात देश और विदेश के सभी के खिलाड़ियों को पता है कि अगर धौनी के हाथ में गेंद आ गयी और प्लेयर क्रीज से जरा-सा भी बाहर है, तो बल्लेबाज किसी भी सूरत में बच नहीं सकता है. वह दुनिया के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने आइसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती हैं.
धौनी की कप्तानी में भारत ने 2011 का वर्ल्ड कप और 2007 का आइसीसी वर्ल्ड ट्वेंटी-20 और 2013 में आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता है. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने धौनी को सीमित ओवर का सर्वश्रेष्ठ कप्तान बताया था. धौनी के पास आज भी कौशल की कोई कमी नहीं है, फुर्ती की कोई कमी नहीं है. वह विकेटों के बीच शानदार तरीके से दौड़ लगाते हैं और उनकी विकेटकीपिंग तो लाजवाब है. अगर धौनी के योगदान की समीक्षा करें, तो पायेंगे कि उनका सबसे बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट का पूरा चरित्र बदल दिया है.
इसके पहले भारतीय क्रिकेट टीम में केवल मुंबई और दिल्ली के खिलाड़ियों का बोलबाला था. झारखंड से निकले इस क्रिकेटर ने न केवल टीम का सफल नेतृत्व किया, बल्कि छोटी जगहों से आने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए टीम में आने का रास्ता भी खोला. कपिल देव को छोड़ दें, तो इसके पहले टीम में ज्यादातर बड़े शहरों से आये अंग्रेजीदां खिलाड़ियों का ही बोलबाला रहता था. धौनी ने इस परंपरा को बदला और भारतीय क्रिकेट टीम को तीनों फॉर्मेट में सफल नेतृत्व भी प्रदान किया.
इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि उन्होंने झारखंड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है. भारतीय क्रिकेट के प्रति धौनी से ज्यादा समर्पित कोई खिलाड़ी नहीं है. उन्होंने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है. इसलिए आइपीएल से संन्यास के निर्णय का अधिकार भी उनके पास होना चाहिए. इसमें कथित विशेषज्ञों को बेवजह अपनी टांग नहीं अड़ानी चाहिए. यह फैसला उन्हें ही करना है, क्योंकि उन्हें पता है कि उनमें कितना क्रिकेट बचा है.