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भारत के लिए जीत का सुनहरा मौका

हाल के एशिया कप को छोड़ दें, तो इस बात पर चिंतन की जरूरत है कि 2011 के बाद हम कोई बड़ा टूर्नामेंट क्यों नहीं जीत सके हैं. आज भारत के पास गेंदबाजी के कई विकल्प हैं. बल्लेबाजी में भी गहराई है. एक कमी मुझे टीम में श्रेष्ठ ऑल-राउंडरों की लगती है.

देश में वायरल बुखार तो चल ही रहा है, पर चुनाव और क्रिकेट का बुखार भी चढ़ता जा रहा है. इस सप्ताह भारत में वनडे विश्व कप का आगाज होने जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान और नीदरलैंड की टीमें भारत पहुंच चुकी हैं. क्रिकेट प्रेमी तो इसे क्रिकेट का महाकुंभ भी करार देते हैं, और यह तुलना गलत भी नहीं है. हम सब जानते हैं कि यह देश क्रिकेट का दीवाना है. हम सब इस बार भारत के विश्व कप जीतने की उम्मीद लगाये बैठे हैं. खेल विशेषज्ञों का भी मानना है कि इन अपेक्षाओं में दम है. टीम इंडिया वनडे रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर है. साथ ही प्रतियोगिता आपके घर में हो रही है. आप यहां की पिच से भी वाकिफ हैं और टीम भी कमोबेश ठीक बन गयी है. वैसे तो इसे लेकर काफी दिनों से मशक्कत चल रही थी.

अलग-अलग खिलाड़ियों को आजमाया जाता रहा. राहुल द्रविड़ की अगुआई में टीम में इतने प्रयोग हुए हैं कि कहा जाने लगा कि भारतीय टीम प्रयोगों की कहानी बन गयी है. पता ही नहीं चलता था कि कौन खिलाड़ी कब खेलेगा और क्यों खेलेगा, लेकिन विश्व कप की टीम में अनुभवी और युवा खिलाड़ियों को स्थान दिया गया है और टीम ठीक-ठाक बन गयी है. बल्लेबाजी में रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल, ईशान किशन, सूर्यकुमार यादव जैसे खिलाड़ी हैं, तो तेज गेंदबाजी में बुमराह, शमी, सिराज की तिकड़ी और स्पिन में कुलदीप व अश्विन की जोड़ी है. ऑलराउंडर के रूप में हार्दिक, जडेजा और शार्दुल ठाकुर टीम में हैं. पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने विश्व कप के सेमीफाइनल में चार के बजाए पांच संभावित टीमों का नाम लिया है. उनके अनुसार सेमीफाइनल में भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड पहुंच सकती हैं. गांगुली के अनुसार न्यूजीलैंड को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. भारत का पहला मुकाबला आठ अक्तूबर को ऑस्ट्रेलिया के साथ है. भारत और पाकिस्तान 15 अक्तूबर को टकरायेंगे. गांगुली चाहते हैं कि सेमीफाइनल भारत और पाकिस्तान के बीच हो. ऐसा हुआ, तो यह मैच कोलकाता के ईडन गार्डन में खेला जायेगा, जिसका रोमांच अलग ही होगा.

हाल के एशिया कप को छोड़ दें, तो इस बात पर चिंतन की जरूरत है कि 2011 के बाद हम कोई बड़ा टूर्नामेंट क्यों नहीं जीत सके हैं. आज भारत के पास गेंदबाजी के कई विकल्प हैं. बल्लेबाजी में भी गहराई है, लेकिन विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में हर मैच में और सभी विधाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है. एक कमी मुझे टीम में श्रेष्ठ ऑल-राउंडरों की लगती है. इंग्लैंड में हुए 1983 के विश्व कप के समय टीम में कई ऑल-राउंडर थे- कपिल देव, मोहिंदर अमरनाथ, रवि शास्त्री और कीर्ति आजाद. बहुत पुरानी बात नहीं है, जब पहले भारतीय टीम के सभी शीर्ष बल्लेबाज गेंदबाजी कर सकते थे. सचिन तेंदुलकर, सुरेश रैना, वीरेंद्र सहवाग और यहां तक कि सौरव गांगुली भी गेंदबाजी कर लेते थे, लेकिन अब कोई भी बल्लेबाज गेंदबाजी नहीं करता, जिससे कप्तान के पास गेंदबाजी के विकल्प सीमित हो गये हैं.

लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल, रवि बिश्नोई और ऑलराउंडर दीपक चाहर को टीम में स्थान नहीं देने के फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं. कुछ समय पहले कपिल देव ने भारतीय टीम को चोकर्स करार दिया था, यानी ऐसी टीम, जो आम मैचों में तो अच्छा खेलती है, लेकिन अहम मुकाबलों में जीतने से रह जाती है. अब तक दक्षिण अफ्रीका को ही इस श्रेणी में रखा जाता रहा था, लेकिन अब इसमें भारत का नाम भी लिया जाने लगा है. पिछले छह विश्व कप में भारतीय टीम पांच बार नॉकआउट चरण में हार कर बाहर हुई है, जबकि यही वह टीम है, जिसने लगभग सभी देशों के साथ शृंखलाओं को जीता है. भारतीय टीम 2014 के टी20 विश्व कप के फाइनल में पहुंची, लेकिन श्रीलंका से हार गयी. वर्ष 2015 के विश्व कप में भी वह सेमीफाइनल में हार गयी. वर्ष 2016 के टी20 विश्व कप में भी सेमीफाइनल में हार मिली. वर्ष 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भी उन्हें पाकिस्तान से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. टीम 2019 के विश्व कप सेमीफाइनल में भी हार गयी थी. वर्ष 2021 के टी20 विश्व कप से टीम पहले ही दौर से बाहर हो गयी थी. वर्ष 2022 में भी भारत एक बार फिर सेमीफाइनल में हार गया.

जब भी कोई विश्व कप होता है, तो महेंद्र सिंह धौनी की याद आती है. धौनी भारत के सबसे सफल कप्तान रहे हैं. ऐसी कोई ट्रॉफी नहीं, जो उन्होंने अपनी कप्तानी में न जीती हो. धौनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने सबसे पहले 2007 में टी20 विश्व कप का खिताब जीता था. उसके बाद उसने 2011 में वनडे विश्व कप जीता और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती. इसमें कोई शक नहीं कि शुभमन गिल अथवा उस जैसे अन्य खिलाड़ी आयेंगे और रोहित शर्मा एवं विराट कोहली से ज्यादा शतक लगा देंगे, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि कोई भी भारतीय कप्तान आइसीसी की तीनों ट्रॉफी जीत पायेगा. वर्ष 2016 तक कप्तान धौनी ने हमें किसी-न-किसी टूर्नामेंट का चैंपियन बनाये रखा. उसके बाद धौनी ने कप्तानी छोड़ दी, लेकिन उनकी बनायी टीम अगले कुछ साल खेलती रही.

नतीजतन 2018 में रोहित शर्मा की कप्तानी में भी हम एशियाई चैंपियन बनने में सफल रहे, लेकिन उसके बाद टीम का प्रदर्शन गिरता चला गया. वर्ष 2019 में विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम इंग्लैंड में हुए वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में हार गयी. इसके बाद टीम 2021 के टी-20 विश्व कप में फिर विराट की कप्तानी में उतरी, लेकिन तब हम सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पाये. वर्ष 2022 में रोहित शर्मा की कप्तानी में भी एशिया कप में वही कहानी दोहरायी गयी. धौनी जानते थे कि किस खिलाड़ी का कब इस्तेमाल करना है और किस तरह खिलाड़ियों पर दबाव को हावी नहीं होने देना है. धौनी अपने खिलाड़ियों में भी ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करते थे और हर खिलाड़ी को उसकी भूमिका का पता होता था. उनके जाने के बाद परिदृश्य बदल गया. अब भारतीय टीम दो देशों की सीरीज तो जीत जाती है, लेकिन बड़ी प्रतियोगिताओं में हार जाती है, मगर इस बार भारतीय टीम के सामने विश्व कप जीतने का सुनहरा मौका है. उत्साह बढ़ाने वाले घरेलू दर्शक हैं, घरेलू मैदान है और घरेलू पिच है. हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय खिलाड़ी निराश नहीं करेंगे.

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