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ऑनलाइन सट्टे का खतरा

मोबाइल की लत से ग्रस्त लोगों में बड़ी संख्या किशोरों एवं युवाओं की है. यही लोग गेमिंग और बेटिंग एप के झांसे में भी सबसे अधिक आते हैं. खेल के प्रति इनका आकर्षण इन्हें वित्तीय रूप से फंसा देता है.

तकनीक के निरंतर विकास से जहां सुविधाओं एवं सेवाओं में बेहतरी हो रही हैं, वहीं इससे कई तरह की समस्याएं भी पैदा हो रही हैं. मोबाइल एप के द्वारा डाटा चोरी, हैकिंग, धोखाधड़ी आदि की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. अब ऑनलाइन सट्टा और जुआ से हवाला कारोबार करने के मामले भी सामने आने लगे हैं. ऐसी ही शिकायतों के आधार पर भारत सरकार ने ऑनलाइन सट्टा व्यवसाय से जुड़े 22 अवैध एप और वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दिया है. यह निर्णय प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के अनुरोध पर लिया गया है. इडी कुछ एप के जरिये कथित रूप से हवाला से पैसे बाहर भेजने के मामलों की जांच कर रही है.

ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग एप और वेबसाइट हाल के वर्षों में एक बड़ी समस्या के रूप में उभरे हैं. उल्लेखनीय है कि पहले सरकार सौ से अधिक ऐसे एप को प्रतिबंधित कर चुकी है, जो भारतीय उपयोगकर्ताओं के डाटा गैरकानूनी ढंग से देश के बाहर भेज रहे थे. कुछ माह पहले खबर आयी थी कि गुजरात में एक चीनी नागरिक ने स्थानीय सहयोगियों के साथ मिलकर फुटबॉल बेटिंग धोखाधड़ी में केवल नौ दिन में 12 सौ लोगों से 14 सौ करोड़ रुपये की ठगी की थी. अनेक राज्यों से इस तरह के अपराध के मामले सामने आ चुके हैं. एप से कर्ज देकर लोगों को किस्त के चंगुल में फंसाने का सिलसिला भी चल रहा है.

मोबाइल की लत से ग्रस्त लोगों में बड़ी संख्या किशोरों एवं युवाओं की है. यही लोग गेमिंग और बेटिंग एप के झांसे में भी सबसे अधिक आते हैं. खेल के प्रति इनका आकर्षण इन्हें वित्तीय रूप से फंसा देता है. वे न केवल अपना समय और पैसा गंवाते हैं, बल्कि उनके डाटा का भी दुरुपयोग होता है. गेमिंग हो, बेटिंग हो या लोन हो, अधिकतर एप देश के बाहर से संचालित होते हैं. अपराधियों के अंतरराष्ट्रीय गिरोह भारत में भी अपने सहयोगी खोज लेते हैं. सरकार और अदालत की ओर से जुआ और सट्टे को लेकर दिशा-निर्देश हैं, कई कानून भी हैं, लेकिन इस तकनीकी युग में पुलिस के लिए अपराधों की तह में पहुंच पाना बहुत मुश्किल होता है.

इस तरह के एप, वेबसाइट और भुगतान प्रक्रिया को दुनिया की सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियां प्लेटफॉर्म मुहैया कराती हैं. उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराध को जगह न मिले. सरकार को भी इन्हें आगाह करना चाहिए. सभी राज्यों में पुलिस महकमे में साइबर क्राइम रोकने के लिए अलग से विभाग बनाये गये हैं. कानून-व्यवस्था राज्यों की जिम्मेदारी है. उन्हें अधिक सजग होना चाहिए. गंभीर होती चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार को नियमों और कानूनों को अधिक धारदार बनाने के प्रयास करना चाहिए.

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