विश्व आर्थिक फोरम के अहम सालाना सम्मेलन में भारत की ओर से चार केंद्रीय मंत्रियों और तीन मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की संभावना है. इनमें रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस बोम्मई शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी दावोस पहुंच चुकी हैं. पांच दिन के इस सम्मेलन का थीम ‘विभाजित विश्व में सहयोग’ रखा है
तथा कई देशों के राजनेता, उद्यमी और विशेषज्ञ इस विषय से संबंधित विचार विमर्श करेंगे. दावोस में 130 देशों के 52 राष्ट्राध्यक्ष एवं शासनाध्यक्ष समेत 27 सौ नेताओं के आने की खबर है. उल्लेखनीय है कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 समूह का थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ रखा गया है. स्मृति ईरानी ने कहा है कि वे सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधियों, उद्यमियों, उद्योगपतियों तथा सिविल सोसायटी के लोगों से मिलेंगी.
इस सम्मेलन में भारत अपनी आर्थिक प्रगति, आत्मनिर्भर भारत अभियान, कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में मिली सफलता तथा विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सुचारू रूप से चलाने से संबंधित अनुभवों और संभावनाओं को दुनिया के सामने पेश करेगा. इस वर्ष भारत जी-20 का अध्यक्ष है और इसी साल शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन की भी मेजबानी करेगा.
वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद को देखते हुए यह सम्मेलन एक अहम मौका है. मुख्यमंत्रियों के अलावा अनेक राज्यों के मंत्री भी अपने राज्य के विकास और निवेश की संभावनाओं की जानकारी देंगे. पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध और खाद्य व ऊर्जा का बढ़ता संकट तथा वैश्विक मंदी की आशंका इस सम्मेलन के प्रमुख विषय होंगे. स्वाभाविक है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इन विषयों पर भारत से प्रभावी हस्तक्षेप की आशा करते हैं.
भारत ने भी अपनी सकारात्मक और स्पष्ट राय रखी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों ने अनेक बार संपर्क किया है. विश्व के अन्य नेता भी मानते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में प्रधानमंत्री मोदी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. भारत ने भी संकेत दिया है कि वह ऐसी भूमिका के लिए तैयार है, बशर्ते कोई ठोस प्रस्ताव सामने रखा जाए. विभाजित विश्व में अगर सहयोग बढ़ाने के लिए दावोस या कोई मंच आकांक्षी है, तो उसके समक्ष भारत से बेहतर आदर्श और उदाहरण नहीं हो सकता है.