अस्पतालों और डॉक्टरों की मुस्तैदी के कारण कोरोना संक्रमण से होनेवाली मौतों की दर में लगातार गिरावट हो रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि फिलहाल यह दर 2.49 प्रतिशत है, जो कि विश्व में सबसे कम दरों में है. एक माह पूर्व यह आंकड़ा 2.82 था और इस महीने की 10 तारीख को 2.72 फीसदी के स्तर पर आ गया था. कई महीने से गंभीर रूप से बीमार संक्रमितों के उपचार के अनुभव के आधार पर अब बेहतर ढंग से दवाएं दी जा रही हैं और अन्य उपाय किये जा रहे हैं. यह भी बेहद संतोषजनक है कि 29 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में यह दर राष्ट्रीय औसत से नीचे है तथा इनमें से पांच में यह दर शून्य है और 14 में एक फीसदी से नीचे है.
संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ होने की दर में भी निरंतर सुधार हो रहा है. यह आंकड़ा अब लगभग 63 फीसदी हो चुका है. केंद्र और राज्य सरकारों ने जांच की गति भी तेज कर दी है और यह उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही रोजाना जांच की संख्या अपेक्षित स्तर पर पहुंच जायेगी. इस संबंध में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा अनेक कदम उठाये जा रहे हैं. देशभर में अभी 885 सरकारी प्रयोगशालाओं और 368 निजी प्रयोगशाला चेन के जरिये जांच हो रही है. लेकिन संक्रमितों की संख्या में भी बहुत तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.
यह बढ़त अब उन राज्यों और इलाकों में हो रही है, जहां अब तक स्थिति नियंत्रण में थी. अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि बीते महीनों में जहां से कम मामले आ रहे थे, वहां शासन और समाज में कुछ निश्चिंतता का भाव था और इस कारण निर्देशों के पालन में लापरवाही एवं तैयारियों में चूक हुई है. इससे सबक़ लेने की जरूरत है और पूरे देश में मास्क लगाने, एक-दूसरे से दूरी बरतने, भीड़ नहीं करने तथा साफ-सफाई का ध्यान रखा जाना चाहिए.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का आकलन है कि संक्रमण गंभीर है और इसका सामुदायिक प्रसार हो रहा है. अभी तक कोरोना वायरस का कहर मुख्य रूप से शहरी और घनी आबादी के इलाकों में है, लेकिन धीरे धीरे यह गांवों और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी अपने पांव पसार रहा है. यदि गांवों में हालात बिगड़ते हैं, तो गंभीर रूप से बीमार लोगों और मृतकों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है
क्योंकि वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. सरकार के लिए भी यह आसान नहीं होगा कि हर जगह मेडिकल सुविधाएं मुहैया करायी जा सकें. बारिश के मौसम की वजह से गांवों से शहरों में आ पाना या शहरों से डॉक्टर, एम्बुलेंस आदि भेज पाना भी मुश्किल होगा. सामुदायिक और ग्रामीण संक्रमण के पहलू पर सरकारों को तुरंत ध्यान देना चाहिए. जिन राज्यों और क्षेत्रों में सुधार हुआ है, वहां के अनुभवों को अन्य इलाकों में लागू किया जाना चाहिए.