रक्षा क्षेत्र का विस्तार
रक्षा क्षेत्र का विकास आत्मनिर्भर भारत के संकल्प तथा मेक इन इंडिया अभियान का महत्वपूर्ण पहलू है.
पिछले कुछ वर्षों में हुए नीतिगत बदलावों तथा सरकारी संरक्षण के कारण हमारे देश में रक्षा उद्योग लगातार बढ़ता जा रहा है. इससे न केवल आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा भी मजबूत हो रही है. क्षेत्र के विकास की अंतहीन संभावनाओं को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उचित ही कहा है कि पश्चिमी सीमा पर किसी शरारत का जवाब देने में भारत अब अधिक सक्षम है.
रक्षा प्रदर्शनी के बारहवें संस्करण के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने जानकारी दी कि बीते पांच वर्षों में भारतीय रक्षा उद्योग आठ गुना बढ़ा है तथा हम 75 से अधिक देशों को साजो-सामान निर्यात कर रहे हैं. यह उपलब्धि इसलिए विशिष्ट हो जाती है कि भारत आठ साल पहले हथियारों और अन्य वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक था. रक्षा क्षेत्र का विकास आत्मनिर्भर भारत के संकल्प तथा मेक इन इंडिया अभियान का महत्वपूर्ण पहलू है.
पिछले वित्त वर्ष में 13 हजार करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा साजो-सामान निर्यात हुए हैं और आगामी कुछ वर्षों में इस आंकड़े को 40 हजार करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. आयात में कमी आने से जहां एक ओर विदेशी मुद्रा की बचत हो रही है, वहीं रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति में वैश्विक स्तर पर जारी भू-राजनीतिक हलचलें भी कम बाधा बन रही हैं. आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया है कि जल्दी ही 101 और वस्तुओं की सूची जारी होगी. इसके साथ भारत में बनने वाली चीजों की संख्या 411 तक पहुंच जायेगी. रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र के भी आ जाने से निवेश और अनुसंधान के लिए भी राहें खुल रही हैं. देश में निर्मित वस्तुओं को हमारी सेनाएं तो इस्तेमाल कर ही रही हैं, उनके निर्यात से भारत की वैश्विक साख तथा सामरिक प्रभाव में भी बढ़ोतरी हो रही है.
जैसा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है, रक्षा प्रदर्शनी इस संबंध में भारत के ठोस संकल्प को इंगित करती है. अब तक के रुझान स्पष्ट संकेत करते हैं कि भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में बड़ी भागीदारी हासिल करने में रक्षा उद्योग बड़ी भूमिका अदा कर सकता है. सरकार का लक्ष्य अगले 25 वर्षों में देश को रक्षा निर्माण में एक बड़ी शक्ति बनाना है. स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूरे होने से लेकर सौ वर्ष पूरे होने की अवधि को अमृत काल की संज्ञा दी गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के साथ रक्षा क्षेत्र के उल्लेखनीय विकास का आह्वान किया है.