नारी शक्ति का विकास
महत्वपूर्ण अभियान 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' से पहली बार जनसंख्या में महिलाओं का अनुपात पुरुषों से अधिक हो गया है.
पिछले कुछ समय से जीवन के हर क्षेत्र में स्त्री भागीदारी और उपस्थिति बढ़ी है. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही नारी सशक्तीकरण पर ध्यान दिया गया है, पर पिछले लगभग एक दशक में इसमें बड़ी गति आयी है. कुछ आंकड़ों पर नजर डालें. वर्ष 2014-15 से उच्च शिक्षा में महिलाओं के नामांकन में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. समावेशी वित्त व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से प्रारंभ की गयी जन-धन योजना में लगभग 56 प्रतिशत खाताधारक स्त्रियां हैं. समाज के निम्न वर्ग को समुचित आवास उपलब्ध कराने वाली योजना के तहत 69 प्रतिशत आवंटित घरों का एकल या संयुक्त स्वामित्व महिलाओं के पास है. गर्भवती स्त्रियों के स्वास्थ्य के जांच की विशेष पहल से लगभग चार करोड़ महिलाओं को लाभ हुआ है. गर्भावस्था के दौरान समुचित पोषण सुनिश्चित कराने के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के अंतर्गत पांच हजार रुपये दिये जा रहे हैं. सुरक्षित मातृत्व अभियान के कार्यक्रमों से शिशु एवं माता की मृत्यु दर में बड़ी कमी आयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ से पहली बार समूची जनसंख्या में महिलाओं का अनुपात पुरुषों से अधिक हो गया है. मुद्रा, उज्जवला, जल शक्ति, पोषण, स्वच्छता, शौचालय निर्माण आदि कई योजनाओं से बड़ी संख्या में महिलाओं के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है, जिसकी सराहना विभिन्न भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने की है. निर्धन और निम्न आय वाले परिवारों को मिल रहे निशुल्क अनाज से उन परिवारों की महिलाओं पर दबाव बहुत कम हुआ है. इसी प्रकार आयुष्मान भारत बीमा योजना से भी स्त्रियों को व्यापक तौर पर लाभ हुआ है. कम आमदनी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, बचत नहीं होना, बीमारी आदि समस्याओं से जूझते परिवारों में महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी उठाने पड़ती है. कल्याणकारी योजनाओं ने ऐसी मुश्किलों को कम करने में बड़ा योगदान दिया है. इस संदर्भ में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने के विधायक के पारित होने का उल्लेख आवश्यक है. समुचित प्रतिनिधित्व के बिना कोई भी लोकतांत्रिक व्यवस्था सफल नहीं हो सकती है. लगभग तीन दशक से विधायिका में महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के प्रयास हो रहे थे. महिला कल्याण एवं सशक्तीकरण पर बजट आवंटन में भी निरंतर वृद्धि हुई है. पिछले वर्ष अगस्त में स्त्री सशक्तीकरण पर ही मंत्री-स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया था कि जब स्त्री समृद्ध होती है, तो समूचा विश्व समृद्ध होता है. स्त्रियों के लिए बेहतर वातावरण बनाने के लिए सभी को और प्रयास करना चाहिए.